देश के सबसे प्रदूषित शहर बने धारूहेड़ा और भिवाड़ी, जहरीली हवा में घुट रहा दम
रेवाड़ी जिले में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। धारूहेड़ा देश का सबसे प्रदूषित शहर है, और भिवाड़ी तीसरे स्थान पर है। जहरीली हवा के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। प्रशासन के आदेशों का पालन नहीं हो रहा, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है। एंटी स्माग गन और सफाई व्यवस्था भी सुचारू रूप से नहीं चल रही है।
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रेवाड़ी में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंच गया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। जिले में लगातार बढता वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। जहरीली हवा के कारण लोगों का दम घुट रहा है, लेकिन प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारों तैयारी दीवाली के एक पखवाड़ा के बाद भी फेल है। रविवार को जिले का धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र वायु प्रदूषण के मामले में एक बार फिर से देश का पहला सबसे प्रदूषित शहर बन गया।
धारूहेड़ा का एक्यूआइ 434 दर्ज किया गया। जोकि गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं साथ लगते भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र का एक्यूआइ 376 दर्ज किया गया जोकि एक्यूआइ के हिसाब से देश के तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। लोगों के लिए यह हवा खतरनाक साबित हो रही है। सांस लेने में दिक्कत, खांसी और आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार प्रदूषित हवा में रहने से श्वसन तंत्र कमजोर होता है, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जिला प्रशासन की तरफ से बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेप-2 की पाबंदियों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों को आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन यह आदेश केवल कागजों तक सीमित होकर रह गए। धरातल पर उनका प्रभाव अभी तक खास नजर नहीं आया है।
वायु प्रदूषण रोकने में प्रशासन नाकाम
नगर परिषद की एंटी स्माग गन नियमित रूप से पानी का छिड़काव करने की बजाय खानापूर्ति तक सीमित है। पिछले करीब एक पखवाड़ा से वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में चल रहा है, लेकिन न तो एंटी स्माग गन और न ही स्वीपिंग मशीन सड़कों पर धूल की सफाई करती हुए नजर आई हैं।
वहीं जर्जर हो चुकी सड़कों तथा सड़क किनारें व डिवाइडर के सहारे पड़ी मिट्टी से दिनभर वाहनों के साथ मिट्टी उड़ रही है। इसके अलावा न केवल धड़ल्ले से कचरे को खुले में फेंका जा रहा है बल्कि उसे आग के भी हवाले किया जा रहा है जोकि प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। जिला प्रशासन की मानिटरिंग टीमें कागजों तक ही सीमित होकर रह गई हैं।

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