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    रेवाड़ी में गुणवत्ता के मापदंड से बाजरा खरीद में अड़चन, सरकारी एजेंसी से खरीद के लिए इंतजार

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 02:35 PM (IST)

    रेवाड़ी में बाजरे की सरकारी खरीद गुणवत्ता मानकों के कारण बाधित है। सरकार द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा न करने के कारण खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। किसान आढ़तियों को कम कीमत पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं हालांकि कुछ किसान सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक पर बेच रहे हैं। पिछले साल 88123 मिट्रिक टन बाजरा खरीदा गया था।

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    बदरंग होने से नहीं हो पाई बाजरा की सरकारी खरीद

    ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी। सरकार के निर्धारित सात मापदंडों में से एक गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं उतरने के चलते बाजरा खरीद प्रक्रिया आरंभ नहीं हो पाई है। किसानों को भले ही आढ़तियों के माध्यम से बाजरा बिक्री करने में कोई परेशानी नहीं आ रही हो, लेकिन सरकारी खरीद के लिए एजेंसियों को इंतजार ही करना पड़ रहा है।

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    हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन (एचडबलूसी) और हैफेड के माध्यम से बाजरा की सरकारी खरीद 22 सितंबर से शुरू करने की घोषणा हुई थी लेकिन आज तक एजेंसी बाजरा खरीद नहीं कर पाई है। सरकारी नियम अनुसार 2200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा खरीद करने का प्रविधान है। इसमें 575 रुपये भावांतर भरपाई के रूप में किसानों को भुगतान किया जाता है।

    इस हिसाब से किसान को 2775 प्रति क्विंटल तक बाजरा का भाव मिलना चाहिए, लेकिन बाजरा पकाव और कटाई के समय हुई वर्षा के चलते बाजरा की गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण खरीद एजेंसी बाजरा नहीं खरीद पा रही है।

    किसान आढ़तियों को 1980 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बाजरा बेच रहे हैं। ऐसे में जो किसान 2300 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बाजरा बेच रहे हैं उन्हें 575 रुपये भावांतर भरपाई भी प्राप्त कर सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक भाव प्राप्त कर रहे हैं। वहीं उन किसानों के लिए नुकसान है जिनका इससे कम भाव में बाजरा बिक रहा है।

    यह है सरकार के सात मापदंड

    बाजरा में बाह्य तत्व एक प्रतिशत से अधिक नहीं हाेना चाहिए, बाजरा में कोई अन्य मिक्सर दो प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। बाजरा में क्षतिग्रस्त दानों की मात्रा एक प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार आंशिक क्षतिग्रस्त और बदरंग, संकुचित और अधपके दाने पांच- पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

    बाजरा में 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। खरीद एजेंसियों के अधिकारियों का मानना है कि इसमें बाह्वय तत्व, बाजरा में मिश्रण की मात्रा को तो नजर अंदाज किया जा सकता है लेकिन बदरंग, क्षतिग्रस्त और अधपके दानों को खरीदना संभव नहीं है।

    पंजीकृत किसानों को नहीं कोई नुकसान

    जिन किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण कराया हुआ है और ई-खरीद के माध्यम से अपनी उपज बेच रहे हैं उनके लिए भावांतर भरपाई का लाभ तो मिल ही रहा है। वहीं बहुत से किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी फसल खराबे का विवरण दिया हुआ है। उसके अनुरूप सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई होने से राहत मिल सकेगी।

    बाजरा बिक्री एक नजर में

    पिछले साल कुल 88123 मिट्रिक टन बाजरा की खरीद हुई थी। इसमें खरीद एजेंसी हैफेड ने 4,8408 मिट्रिक टन बाजरा खरीद की थी। वहीं वेयर हाउस कॉरपोरेशन ने 39,715 मिट्रिक टन खरीद की थी। इस साल सरकारी खरीद नहीं हुई है।

    सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप बाजरा की खरीद की जा रही है। मापदंड के अनुरूप जो एक से दो प्रतिशत बाजरा मिल रहा है वह समर्थन मूल्य से अधिक भाव में किसान आढ़तियों को बेच रहे हैं। सरकारी नियम के अनुसार 2200 रुपये प्रति क्विंटल भाव तक ही एजेंसी खरीद सकती है। इसमें 575 रुपये किसान को भावांतर भरपाई का लाभ मिल जाएगा।

    - डा. प्रवीण शर्मा, जिला प्रबंधक, हैफेड