हरियाणा के प्राथमिक स्कूलों में अब TGT/PGT शिक्षक करेंगे प्राइमरी के बच्चों के पढ़ाई स्तर का आकलन
शिक्षा विभाग हरियाणा में एक नया प्रयोग कर रहा है। पहली बार राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा दो और तीन के बच्चों का पढ़ाई स्तर जांचने का काम टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों को सौंपा गया है। यह आकलन जनगणना आधारित समूह अभ्यास के तहत होगा। 15 और 16 सितंबर को दो चरणों में आकलन किया जाएगा जिसमें निपुण हरियाणा टीचर एप का उपयोग किया जाएगा।

प्रियंका देशवाल, रोहतक। शिक्षा विभाग की ओर से इस बार एक अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। प्रदेशभर में पहली बार राजकीय प्राथमिक विद्यालयों की कक्षा दो और तीन के बच्चों का पढ़ाई स्तर (लिटरेसी और न्यूमेरेसी) जांचने का काम टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) को सौंपा गया है।
खास बात यह है कि यह आकलन जनगणना आधारित समूह अभ्यास के तहत करवाया जाना है। स्कूलों में अकसर यह माना जाता है कि बच्चा जिस कक्षा में पढ़ रहा है। उसी स्तर पर वह पढ़ाई भी कर रहा होगा लेकिन हकीकत अलग होती है।
कई बच्चे दूसरी कक्षा में पहुंचकर भी शब्द पहचानने या जोड़ घटाव करने में कठिनाई महसूस करते हैं। अब प्रत्येक विद्यार्थी की निपुणता के स्तर की जांच की जाएगी। प्रदेशभर के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 15 और 16 सितंबर को दो चरणों में आकलन िकया जाएगा।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के आकलन आनलाइन माध्यम से निपुण हरियाणा टीचर एप के जरिए करवाने का फैसला लिया है। प्रत्येक विद्यार्थी का व्यक्तिगत आकलन लगभग पांच से 10 मिनट में किया जाएगा व बच्चों का स्तर को सीधा एप पर दर्ज करेंगे।
आकलन कर्ताओं को विद्यालय नाम बोर्ड सहित सेल्फी अपलोड करनी होगी, जिसमें विद्यालय कोड स्पष्ट दिखाई दे। शिक्षा विभाग की ओर से इसे परीक्षा नहीं, बल्कि डायग्नोस्टिक एक्सरसाइज का नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य केवल बच्चों की वास्तविक स्तर पर की जांच करना है कि बच्चे कितनी आसानी से पढ़ सकते है या गणितीय क्रियाएं कर सकते है। इसके तहत पहले दिन यानी 15 सितबंर को भाषा आकलन कराया जाएगा।
जिला एफएलएन कोआर्डिनेटर रुपांशी हुड्डा ने बताया कि इसमें भाषा आकलन के लिए हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषय के शिक्षक और गणित आकलन के लिए गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र और वाणिज्य विषय के शिक्षक जिम्मेदारी निभाएंगे। इसे लेकर पहले सभी आंकलन कर्ताओं को दो घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वहीं, आकलन पूरा होने के बाद ऐप के माध्यम से कक्षा शिक्षक रिपोर्ट देखकर उसे प्रमाणित करेंगे और बच्चों के अधिगम लक्ष्य तय करेंगे। इसके बाद एबीआरसी और बीआरपी रिपोर्ट का सत्यापन करेंगे और कमजोर बच्चों के लिए शिक्षकों को सहयोग देंगे।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, दिलजीत सिंह ने बताया कि स्कूलों में आमतौर पर प्राथमिक स्तर पर बच्चों की टेस्ट से लेकर अन्य आकलन प्राथमिक शिक्षक ही करते हैं, लेकिन इस बार विभाग ने टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी है। क्योंकि विभाग का उद्देश्य हर बच्चे का व्यक्तिगत स्तर जांचना और फिर उसी आधार पर उसे अलग-अलग समूह लो, मीडियम व हाई में बांटकर पढ़ाई में सुधार करना है।
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