बाक्सर जैस्मिन लंबोरिया के बाद अब साक्षी ढांडा और अरुंधति चौधरी भी पहनेंगी भारतीय सेना की वर्दी
बाक्सर जैस्मिन लंबोरिया सेना की तरफ से खेलने वाली पहली मुक्केबाज हैं। अब भिवानी से ही साक्षी ढांडा और राजस्थान की अरुंधति चौधरी भी सेना की वर्दी में नजर आएंगी। सेना की मिशन ओलिंपिक स्कीम के तहत दोनों मुक्केबाजों को जाब का प्रस्ताव दे दिया है।

ओपी वशिष्ठ, रोहतक : भिवानी की जैस्मिन लंबोरिया सेना की तरफ से खेलने वाली पहली मुक्केबाज हैं। अब जल्द भिवानी से ही साक्षी ढांडा और राजस्थान की अरुंधति चौधरी भी सेना की वर्दी में नजर आएंगी। सेना की मिशन ओलिंपिक स्कीम के तहत दोनों मुक्केबाजों को जाब का प्रस्ताव दे दिया है। पेरिस ओलिंपिक 2024 से पहले ही सेना महिला मुक्केबाजी टीम तैयार करना चाहती है, जो देश का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक हासिल कर सके। सेना में महिला मुक्केबाजी में हरियाणा की दूसरी बेटी हैं। अरुंधति चौधरी और साक्षी ढांडा रोहतक के राजीव गांधी खेल परिसर में साई के बाक्सिंग सेंटर फार एक्सीलेंस में अभ्यास करती हैं।
अरुंधति राजस्थान के कोटा की रहने वाली हैं और राजस्थान का प्रतिनिधित्व करती हैं। हाल ही में नेशनल चैंपियनशिप में अपने राज्य के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया था। एशियन चैंपियनशिप में ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहन के साथ हार गई थी। अरुंधति चौधरी यूथ विश्व चैंपियन भी हैं। हरियाणा मुक्केबाजी संघ के प्रवक्ता अधिवक्ता राजनारायण ने बताया कि हरियाणाा की बेटियां मुक्केबाजी में बेहतर कर रही हैं। सेना में महिलाओं की टीम में हरियाणा की बेटियां उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन करेंगी।
मुक्केबाज साक्षी ढांडा की उपलब्धियां
भिवानी के गांव धनाना निवासी साक्षी ढांडा ने वर्ष 2015 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया था। इसके बाद 2017 में यूथ की विश्व चैंपियन बनीं। इसके अलावा तीन बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुकी हैं। वह राष्ट्रीय स्तर की बेस्ट बाक्सर भी रही हैं। ओलिंपिक क्वालीफाई के लिए चीन में भाग लिया था। हाल ही में जार्डन में एशियन चैंपियनशिप में भी देश का प्रतिनिधित्व किया। द्रोणाचार्य अवार्डी कोच जगदीश साक्षी को प्रशिक्षण देते हैं।
सेना की वर्दी पहनने से बढ़ेगा मान : मनोज
साक्षी के पिता मनोज कुमार का कहना है कि सेना की तरफ से बेटी को हवलदार पद के लिए प्रस्ताव मिला है। बेटी के लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती है। सेना की वर्दी पहनना ही गर्व की बात है, खासकर बेटी के लिए। सेना में पहले लड़कें भर्ती होते थे, लेकिन अब बेटियां भी सेना में लगातार जा रही है। यह बेटियों के लिए बेहतर अवसर हैं। सेना में चयन को लेकर प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी है।
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