पांचवी से 10वीं पास इस तरह कई लोगों को बना रहे मूर्ख, गिरफ्तार होने पर बता दिए सारे सीक्रेट
सोनीपत साइबर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। आरोपियों ने एक व्यवसायी को ड्रग्स में फंसाने की धमकी देकर 3.87 लाख रुपये ठगे। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से नकदी और मोबाइल बरामद किए हैं। जांच में पता चला कि वे इंस्टाग्राम पर शिकार तलाशते थे।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। थाना साइबर पुलिस ने ऐसे साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर लोगों से ठगी कर रहे थे। गिरोह के सदस्य महज पांचवी से 10वीं पास ही है। सदस्य डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे थे। आरोपितों ने एक व्यवसायी को ड्रग्स सप्लाई में संलिप्त होने का डर दिखाकर 3.87 लाख रुपये की ठगी की थी।
गिरफ्तार आरोपित नीरज, कृष्णपाल और भागवत मध्य प्रदेश के शिवपुरी के रहने वाले हैं। आरोपित नीरज और कृष्णपाल 10वीं जबकि भागवत पांचवीं पास है। आरोपितों के पास से 24 हजार रुपये नकद और 2.20 लाख रुपये बैंक में सीज करवाए गए हैंं। वहीं, तीन मोबाइल भी बरामद किए गए है। फिलहाल पुलिस ने आरोपितों को न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
गांव नया बांस के रहने वाले विकास ने साइबर थाना पुलिस को शिकायत दी कि पांच जून को उनके मोबाइल नंबर पर काल आई थी। फोन करने वाले ने खुद का परिचय दिल्ली की करोल बाग चौकी में तैनात सत्य यादव के रूप में दिया। उसने विकास को कहा कि दिल्ली जीबी रोड एक युवती ड्रग्स बेचते गिरफ्तार हुई है। तुम भी ड्रग्स बेचते हो क्या। विकास ने बताया था कि उसने अपने बचाव में कहा कि वह ये सब काम नहीं करता है।
इसके कुछ देर बाद ही व्हाट्सएप पर वीडियो काल आ गई। वीडियो काल पर पुलिस की वर्दी पहने शख्स दिखा, जिसने कहा कि उनके खिलाफ एफआइआर हो चुकी है। उसने घर पर पुलिस भेजने की धमकी दी। वहीं, कहा कि वो इस केस को बंद करवा सकते है।
आरोपित ने व्हाट्सएप पर एक एफआइआर की कापी भी भेज दी। उसने जुर्माना भरने के लिए कहा। विकास का कहना है कि डर के चलते उसने 7210 रुपये भेज दिए। इसके बाद जुर्माने के तौर पर उससे और रुपये मांगे गए। उसने 10,600 रुपये और भेज दिए। इसके बाद तीन दिन तक फोन आते रहे। उससे गिरफ्तारी का डर दिखा कर रुपये मांगते रहे।
वह रुपये ट्रांसफर करता रहा। उसने 3,87,410 रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद 13 जून को फिर से फोन आया। उसे थाने आने के लिए कहा गया। विकास का कहना है कि जब अपने स्तर पर पता किया तो जानकारी मिली कि फर्जी एफआइआर भेज उनके साथ ठगी की गई है। शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। अब तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
इंस्टाग्राम पर तलाशते थे शिकार
जांच में सामने आया है कि आरोपित इंस्टाग्राम के जरिए शिकार तलाशते थे। कई लोगों से अश्लील बात कर उनकी वीडियो वायरल करने की धमकी देकर भी ठगी की है। हालांकि पुलिस को उनके खातों में कोई बड़ी ट्रांजेक्शन नहीं मिली है। पुलिस उनके अन्य साथियों की गिरफ्तारी के बाद जांच को आगे बढ़ाने की बात कह रही है।
डिजिटल अरेस्ट कर पहले भी हो चुकी ठगी
नवंबर, 2024 में शहर के माडल टाउन के रहने वाले बुजुर्ग दंपती को डिजिटल अरेस्ट कर 1.78 करोड़ रुपये की ठगी की थी। दोनों को अशोक गुप्ता मनी लाड्रिंग केस में भूमिका का डर दिखा कर वारदात को अंजाम दिया गया था।
पीड़ित विनोद चौधरी और उनकी सेवानिवृत्त पत्नी को व्हाट्सएप पर गिरफ्तारी वारंट भेज दो दिन होटल में रखा गया था। वारदात के बाद दंपती कई दिन तक सदमें में रहे थे। वहीं, सनसाइन काउंटी की रहने वाली रेनू को मनी लाड्रिंग में भूमिका का डर दिखा डिजीटल अरेस्ट कर 56 लाख की ठगी की गई थी।
पुलिस जांच करती है तो उसकी ये है प्रक्रिया
पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं करती। पुलिस के सामने कोई भी मामला आने पर पहले एफआइआर दर्ज की जाती है। पूछताछ के लिए भी पहले आरोपित को नोटिस भेजा जाता है और उसे थाने में बयान के लिए एक तारीख दी जाती है।
कोई भी बयान आनलाइन नहीं होता। यदि गिरफ्तारी करनी है तो उसे पुलिस सीधे पहले गिरफ्तार नहीं करती। गिरफ्तार होने के बाद इसकी सूचना परिवार को दी जाती है। बताया जाता है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 24 घंटे के अंदर उसे कोर्ट में पेश किया जाता है।
आपको ऐसी ही कोई काल या मैसेज आता है, जिसमें डरा-धमकाकर पैसे की मांग की जाती है तो इसकी नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत जरूर करें। http://www.cybercrime.gov.in पर भी आनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। -कुशल पाल सिंह, एसीपी
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