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    सोनीपत में मां-बेटे की जोड़ी ने पावरलिफ्टिंग में जीते स्वर्ण, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की है ख़्वाहिश

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 01:23 PM (IST)

    सोनीपत में मां-बेटे की जोड़ी ने पावरलिफ्टिंग में इतिहास रच दिया। गुजरात के मेहसाणा में राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025 में दोनों ने स्वर्ण पदक जीते। ज्योति और उनके बेटे मौलिक ने पहली बार प्रतियोगिता में भाग लिया और छह गोल्ड मेडल अपने नाम किए। ज्योति एक शिक्षिका हैं और दोनों ने केवल एक महीने की ट्रेनिंग में यह उपलब्धि हासिल की। वे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना चाहते हैं।

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    मां-बेटे की जोड़ी ने पावरलिफ्टिंग में रचा इतिहास, जीता सोना

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। पहलवानी के मशहूर सोनीपत की धरती एक बार फिर खेलों में प्रेरणा की मिसाल बनी है। यहां मां-बेटे की जोड़ी ने पावरलिफ्टिंग में इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक जीता है। खास बात यह है कि इस जोड़ी ने पहली बार राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, लेकिन इनके प्रदर्शन ने सबको चकित कर दिया। गुजरात के मेहसाणा में आयोजित की गई राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में मां-बेटे की इस जोड़ी ने न सिर्फ शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि अन्य पावरलिफ्टरों को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

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    मां-बेटा दोनों जिम में करते हैं जीतोड़ मेहनत

    सोनीपत के विकास नगर के सेक्टर-23 की रहने वाली 40 वर्षीय ज्योति और उनके 16 वर्षीय बेटे मौलिक ने गुजरात के मेहसाणा में आयोजित नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में पहली बार हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतने का कारनामा कर दिखाया। दोनों ने छह गोल्ड मेडल अपने नाम कर प्रदेश व जिले का नाम रोशन किया है। ज्योति राजकीय माॅडल संस्कृति स्कूल में प्राइमरी टीचर हैं। वह स्कूल में पढ़ाने के बाद रोज शाम को बेटे मौलिक के साथ करीब दो घंटे जिम में पसीना बहाती हैं। दोनों ने सिर्फ एक महीने की पावरलिफ्टिंग ट्रेनिंग लेकर चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक जीते।

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    मां-बेटे के की जोड़ी ने जीते छह पदक

    राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में ज्योति ने 63 किलो वर्ग, मिक्स कैटेगरी और 40 आयु वर्ग में हिस्सा लेकर डेडलिफ्ट (70 किलो), स्क्वाट (75 किलो) और बेंच प्रेस (30 किलो) में तीन स्वर्ण पदक जीते। वहीं 11वीं कक्षा के छात्र मौलिक ने सब-जूनियर 63 किलो वर्ग में डेडलिफ्ट, स्क्वाट और बेंच प्रेस में भी स्वर्ण पदक की हैट्रिक लगाई। खास बात यह रही कि दोनों ने महज 20 किलो वजन से ट्रेनिंग शुरू की थी और आज 200 किलो तक वजन उठाने की क्षमता रखते हैं।

    चुनौतियों को अपनी ताकत बना शुरू किया सफर

    ज्योति ने बताया कि वे और उनका बेटा ही अब एक-दूसरे का सहारा हैं। पति से अलगाव के बाद दोनों ने चुनौतियों से हार मानने की बजाय उन्हें अपनी ताकत बना लिया। राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन के बाद मां-बेटे की यह जोड़ी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए पदक जीतने का सपना देख रही है।

    मौलिक बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान फिटनेस से साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा और यही उनकी सफलता की सीढ़ी भी बना। उन्होंने बताया कि इस जीत के लिए उन्होंने रोजाना 5 से 6 घंटे तक कड़ी मेहनत की। मां हमेशा हौसला बढ़ाती रही। मां-बेटे की इस जोड़ी ने यह साबित कर दिया कि आत्मविश्वास, अनुशासन और समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

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