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    500 एकड़ से ज्यादा भूमि पर जमी रेत की 20 फीट मोटी परत, यमुना का जलस्तर घटा तो नजर आने लगे बर्बादी के निशान

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 03:26 PM (IST)

    सोनीपत में यमुना का जलस्तर घटने से खेतों में रेत जम गई है जिससे किसान परेशान हैं। लगभग 500 एकड़ भूमि पर रेत की मोटी परत है और भूमि कटाव भी हो रहा है। किसानों को मुआवजा कम लग रहा है और वे सरकार से अधिक मदद की मांग कर रहे हैं। फसलों के नुकसान से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।

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    दहिसरा में जलस्तर कम होने के बाद यमुना के किनारे स्थित खेतों में नजर आता जमा रेत और मिट्टी। जागरण

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। यमुना का जलस्तर घटने के साथ ही असली तस्वीर सामने आने लगी है। नदी के किनारे बसे गांवों के खेतों में तबाही के निशान साफ नजर आ रहे हैं। करीब 500 एकड़ भूमि पर 15 से 20 फीट तक मोटी रेत की परत जम गई है।

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    इससे किसानों की आजीविका पर गहरा संकट खड़ा हो गया है। हालात यह हैं गांव पबनेरा सहित कई स्थानों पर जलस्तर घटने के साथ ही भूमि कटाव हो रहा है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।

    यमुना के तेज बहाव के साथ आया रेत अब खेतों में जम गया है। कुछ गांवों में जहां मिट्टी व रेत की मोटी परत जम गई है, जिससे क्षेत्र खाली मैदान से लगने लगा है, वहीं कुछ स्थानों पर रेत की हल्की परत जमने से फसल का कुछ हिस्सा ही नजर आ रहा है।

    किसानों का कहना है कि इतनी गहराई तक भरी रेत को हटाना उनके बस की बात नहीं है। खेतों को दोबारा उपजाऊ बनाने में कम से कम तीन से चार साल का वक्त लगेगा।

    पबनेरा गांव के किसानों का कहना है कि करीब चार साल बाद बड़ी मुश्किल से खेत में हल चलाया था, अब फिर से सब कुछ रेत में दब गया है। आगे क्या करेंगे, कुछ समझ नहीं आ रहा। रेत इतनी गहरी है कि ट्रैक्टर और जेसीबी भी जवाब दे देंगे। सरकार मदद नहीं करेगी तो हम भूखे मर जाएंगे।

    10 हजार से अधिक भूमि हो गई थी जलमग्न

    यमुना में जलस्तर बढ़ने से जिले के कई गांवों की लगभग दस हजार एकड़ से अधिक भूमि जलमग्न हो गई थी। खेतों में पानी भरने से धान, कपास और अन्य फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं हैं। सबसे ज्यादा नुकसान पबनेरा, बड़ौली, जाजल और आसपास के गांवों को हुआ है।

    प्रशासन ने स्थिति का जायजा लिया है। अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र का सर्वे कराया जा रहा है। किसानों को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल खराबे का रिकार्ड दर्ज कराना होगा।

    100 प्रतिशत नुकसान होने पर किसानों को प्रति एकड़ 15 हजार रुपये मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि किसानों ने इसे बेहद कम बताया है। किसानों की मांग है कि उन्हें प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए।

    खेतों में जाने के रास्तों पर अब भी भरा पानी

    गांव भैरां बांकीपुर निवासी भाजपा जिला संयोजक जयराम शर्मा ने बताया कि यमुना का जलस्तर भले कम हो गया हो, लेकिन गांव से खेतों की तरफ जाने वाले रास्तों पर अब भी पानी भरा हुआ है। खेतों से पानी उतरने के बाद ही रेत की परत कितनी जमी है, उसका पता चल सकेगा। हालांकि फसलें डूबने से किसानों को इस बार भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

    ग्रामीणों का कहना है कि हर साल वर्षा में यमुना उफान पर होती है, जिससे उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इस बार तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है। केवल मुआवजा ही उनके जख्म नहीं भर पाएगा। खेती बंद होने की वजह से रोजी-रोटी का संकट और गहराएगा। किसान अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उन्हें राहत पैकेज और भूमि सुधार के लिए विशेष योजना उपलब्ध कराए।

    पबनेरा में कटाव जारी, सब्जियों की फसलें खराब

    गन्नौर: यमुना का जलस्तर उतरने के बाद भी पबनेरा गांव के हालात सुधर नहीं रहे हैं। नदी का पानी खेतों से तो धीरे-धीरे निकल गया, लेकिन भूमि कटाव लगातार जारी है। कटाव की वजह से किसानों की उपजाऊ जमीन यमुना में समा रही है।

    खेतों में भले ही पानी उतर चुका है, लेकिन धान की फसल खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। जिन खेतों में धान पर बालियां आ चुकी थीं, वहां सफेद परत जम गई है, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। सब्जियों की स्थिति और भी खराब है।

    लगातार भरे पानी ने टमाटर, भिंडी, हरी मिर्च जैसी फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। किसान अब केवल खराब हुई फसलों के अवशेषों को देख कर मायूस हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

    यमुना बांध के अंदर खराब हुई फसलों की मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। यदि मुआवजा न मिला तो उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी। किसानों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द विशेष गिरदावरी करवा कर उनके नुकसान का सर्वे कराया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए।