हिमाचल विधानसभा: सत्र शुरू होते ही पंचायत चुनाव पर स्थगन प्रस्ताव लाया विपक्ष, चर्चा के बाद मुख्यमंत्री का भी आया बयान
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र के शुरू होते ही विपक्ष ने पंचायत चुनावों पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए विपक्ष पर कटाक्ष किया और उनकी रणनीति पर सवाल उठाए। विपक्ष ने सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे उनकी आदत बताया।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र के आरंभ पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से हाथ मिलाने पहुंचे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू। सौ. विधानसभा
जागरण टीम, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार को तपोवन में शुरू हो गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने पंचायती राज चुनाव को लेकर चर्चा की मांग रखी। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। प्रश्नकाल को स्थगित कर पंचायती राज चुनावों के स्थगन को लेकर सदन में चर्चा शुरू हुई।
सीएम बोले, यह विपक्ष की आदत ही बन गई
चर्चा को लेकर सहमति देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष हर सत्र में काम रोको प्रस्ताव लाती है, यह विपक्ष की आदत ही बन गई है, लोकतंत्र में हम विपक्ष की भावनाओं का सम्मान करते हैं और सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन चर्चा तथ्यों पर होनी चाहिए।
रणधीर शर्मा ने शुरू की चर्चा
सदन में नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई। जिला बिलासपुर के श्रीनयना देवी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रणधीर शर्मा ने चर्चा शुरू की।
मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान और यहीं जश्न
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि आपदा के नाम पर पंचायत चुनाव रोकना तर्कसंगत नहीं है, जब सड़कें नहीं थी तब भी मतदान होता था। सरकार लोगों के संवैधानिक अधिकार छीनने का प्रयास कर रही है। मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान और मंडी में ही सरकार का तीन वर्ष का जश्न हो रहा है, यह सरकार की आपदा के प्रति गंभीरता को दर्शा रहा है।
इस आपदा से बड़ी विपदा थी फिर भी चुनाव करवाए : जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरी तरह से निराशाजनक रहा है। कांग्रेस अब पंचायत चुनाव के परिणामों से बचने के लिए ऐसा रास्ता निकाल रही है। कांग्रेस सरकार आपदा के नाम पर चुनाव टाल रही है। लेकिन आपदा से बड़ी विपदा कोविड था, उस समय भाजपा सरकार ने जनवरी 2021 में पंचायती राज चुनाव करवाए थे, ऐसी अव्यवस्था नहीं देखी, जो कांग्रेस के इस तीन वर्ष के कार्यकाल में व्यवस्था परिवर्तन के नाम फैली है।

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