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    कुल्लू: आंखों के सामने राख हो गए 11 आशियाने, तमाशबीन बनकर रह गए लोग; काष्ठकुणी घरों में आखिर क्यों भड़कती है सर्दियों में आग?

    By Digital Desk Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 10 Nov 2025 04:08 PM (IST)

    कुल्लू के तीर्थन घाटी के झनियार गांव में आग लगने से 11 घर जल गए। गांव सड़क से दूर होने के कारण दमकल की गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाईं। काष्ठकुणी शैली में बने लकड़ी के मकानों में आग तेजी से फैली। सर्दियों में लकड़ी और घास के भंडारण के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। 

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    जिला कुल्लू के तीर्थन घाटी के झनियार गांव में भड़की आग।

    डिजिटल डेस्क, कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में अकसर बड़े अग्निकांड होते हैं। बंजार की तीर्थन घाटी में सोमवार दोपहर अचानक उठी चिंगारी में पूरा गांव जल गया। झनियार गांव के अधिकतर घर आग की चपेट में आ गए। लोगों की आंखों के सामने 11 घर जल गए। 

    झनियार गांव सड़क से एक किलोमीटर दूर होने के कारण यहां दमकल वाहन भी मौके पर नहीं पहुंच पाया। इस कारण लोग तमाशबीन बनकर रह गए। लोगों की आंखों के सामने आशियाने जल गए। देखते ही देखते एक के बाद एक मकानों में आग लगती चली गई।

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    सर्दी में बढ़ते हैं आग लगने के मामले

    पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में आग लगने के ज्यादा मामले सामने आते हैं। कई बार ऐसा होता है कि सारे का सारा गांव ही राख हो जाता है। 

    काष्ठकुणी शैली में बने होते हैं मकान

    पहाड़ी काष्ठकुणी शैली में बने ये घर घर तीन से चार मंजिला होते हैं, इनमें धरातल पर पशु बांधे होते हैं व ऊपर लोग स्वयं रहते हैं। ये मकान पूरी तरह से लकड़ी से बने होते हैं, इनमें एक बार चिंगारी भड़कने पर वह पूरे मकान जलाकर ही शांत होती है।

    घर में स्टोर कर रखा होता है घास और लकड़ियां

    दरअसल लोग सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए बालन लकड़ी स्टोर करके रख लेते हैं। पशुओं के लिए सूखी घास भी यहीं रखी होती है। जरा सी लापरवाही भारी पड़ जाती है। सूखी घास और लकड़ी जब आग पकड़ती है तो वह एकाएक प्रचंड हो जाती है। जिस पर काबू पाना आसान नहीं रहता। 

    साथ-साथ बने होते हैं घर

    पहाड़ी क्षेत्र में समतल जगह कम होने के कारण अकसर यहां घर साथ-साथ ही बने होते हैं। एक घर में आग लगने पर साथ लगते अन्य घर भी आग की चपेट में आ जाते हैं। 

    सड़क न होने से बढ़ती है परेशानी

    पहाड़ी गांवों तक सड़क न होने के कारण मौके पर दमकल की गाड़ी भी नहीं पहुंच पाती। ऐसे में एक बार आग भड़क जाने पर उसे काबू करना मुश्किल हो जाता है।

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