हिमाचल में चार दिन में तीन पैराग्लाइडर पायलट दुर्घटनाग्रस्त, आखिर क्यों हो रहे हादसे, विशेषज्ञों ने बताई वजह?
हिमाचल प्रदेश में पैराग्लाइडिंग दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। हाल ही में, मनाली में एक रूसी नागरिक घायल हो गया और धर्मशाला के पास एक कनाडाई पायलट की मौत हो गई। बरोट घाटी में फंसे एक ऑस्ट्रियाई पायलट को बचाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा का अचानक रुख बदलना दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। पायलटों को सुरक्षा नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

हिमाचल प्रदेश में चार दिन में तीन पैराग्लाइडिंग हादसे हो गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो
जागरण टीम, बैजनाथ/कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में चार दिन में तीसरा पैराग्लाइडिंग हादसा पेश आया है। कुल्लू जिला के मनाली में पैराग्लाइडिंग के दौरान पैराग्लाइडर क्रैश होने से रूसी नागरिक 38 वर्षीय निकिता वासिल्त्सोव घायल हो गई। निकिता ने अन्य दो साथियों के साथ शनिवार को कांगड़ा जिला की बीड़ बिलिंग घाटी से टेक ऑफ किया था। उन्होंने उसी दिन शागंचर जो कि मनाली की ऊपरी पहाड़ी पर है, लैंड किया था। वे वहीं जंगल में रुके थे।
रविवार को सुबह 9:30 बजे उन्होंने शागंचर से टेक आफ किया व दोपहर 12:30 निकिता का पैराग्लाइडर सोलंग गांव के पीछे क्रैश हो गया। सूचना मिलते ही निकिता को मनाली लाया गया जहां से क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू रेफर कर दिया गया।
कनाडा की पायलट की मौत
पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध बीड़ बिलिंग से उड़ान भरने के बाद धर्मशाला और आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के बीच धौलाधार पर्वत शृंखला में इमरजेंसी लैंडिंग करते समय उतरी कनाडा की महिला पायलट का ग्लाइडर के साथ शव मिल गया है। महिला पायलट ने बिलिंग स्थित पैराग्लाइडिंग की टेक आफ साइट से शनिवार को धर्मशाला की ओर उड़ान भरी थी।
धौलाधार की पहाड़ियों में करनी पड़ी थी क्रैश लैंडिंग
27 साल की मेगन एलिजाबेथ एक शौकिया पैराग्लाइडर पायलट थी और वह अकेले ही ग्लाइडर में धर्मशाला की ओर जा रही थी। इस दौरान आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के पीछे धौलाधार पर्वत शृंखला में करीब 3900 मीटर की ऊंचाई पर मेगन एलिजाबेथ को क्रैश लैंडिंग करनी पड़ी थी।
बरोट के पहाड़ों में फंस गया था ऑस्ट्रिया का पायलट
दूसरी ओर बरोट वैली में पहाड़ों में फंसे आस्ट्रिया के पायलट को हेलीकाप्टर की मदद से सुरक्षित निकाल लिया है। हेलीकॉप्टर के माध्यम से पायलट का रेस्क्यू किया गया। पायलट जैकअप को बरोट और लुहारड़ी से ऊपर डैहनसर झील के समीप करीब 14000 फीट की ऊंचाई पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। वहां से निकलने का कोई रास्ता न होने के कारण पायलट ने रेस्क्यू के लिए जीपीएस के माध्यम से संदेश भेजा था। मंगलवार सुबह उक्त पायलट को भी बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन ने सुरक्षित निकाल लिया।
यह है हादसे की वजह
बीड़ बिलिंग से धर्मशाला की तरफ काफी संख्या में विदेशी पायलट उड़ान भरते हैं। बीड़ बिलिंग में अक्टूबर और नवंबर में कई देशों से पायलट बेहतरीन मौसम होने के कारण पहुंचते हैं। बिलिंग से धर्मशाला का एयर डिस्टेंस करीब 40 किलोमीटर है। इस दौरान पायलट धौलाधार पर्वत शृंखला के साथ या बीच से होकर गुजरते हैं।
इसमें कई स्थान ऐसे हैं जहां पर एकदम से हवा का रुख बदल जाता है। इससे ग्लाइडर बंद होना शुरू हो जाता है। दोनों तरफ कई संकरे पहाड़ होने से पायलट ग्लाइडर को नहीं संभाल पाते और ग्लाइडर कहीं जोर से फंस जाता है। पायलट इस दौरान चट्टानों से या पत्थरों से टकरा जाते हैं।
पहाड़ की संकरी गलियों से अचानक आती है तेज हवा
आदि हिमानी चामुंडा और धर्मशाला से पीछे की तरफ की पहाड़ियों में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं। बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के फाउंडर सदस्य सुरेश ठाकुर का कहना है कि इसमें पहाड़ की संकरी गलियों से तेज हवा अचानक आती है, जिससे क्रैश लैंडिंग होती है। ऐसे में पायलटों को बार-बार हिदायत दी जाती है कि वे ऐसी जगह पर या तो ऊंचाई से जाएं या वहीं से पीछे आ जाएं।
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