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    हिमाचल में होगी अमेरिका के इस खास Aloe Vera की खेती, सुंदरनगर में लगाए गए 50 हजार पौधे; अब मालामाल होंगे किसान

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Tue, 08 Aug 2023 04:16 PM (IST)

    हिमाचल में अब अमेरिका के खास एलोवेरा की खेती होगी। सुंदरनगर इलाके में करीब 50 हजार पौधे लगाए गए हैं। एलोवेरा की खेती से किसान भी मालामाल होंगे। हमीरपुर की एक जूस बनाने वाली कंपनी ने जाइका वानिकी परियोजना के साथ एमओयू साइन किया है। कंपनी एलोवेरा के प्लांट उपलब्ध करवाने के साथ-साथ उत्पादकों से इसकी पत्तियों की खरीद करेगी।

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    हिमाचल में होगी अमेरिका के इस खास एलोवेरा की खेती, सुंदरनगर में लगाए गए 50 हजार पौधे

    मंडी, सुरेंद्र शर्मा। अमेरिका में पाए जाने वाले औषधीय गुणों से भरपूर एलोवेरा बारबाडेंसिस मिलर (ए एल वन प्रजाति) की खेती अब किसानों को मालामाल करेगी। जाइका वानिकी परियोजना के तहत सुंदरनगर के ध्वाल व हराबाग में इस वेरायटी के पचास हजार पौधे लगाए गए हैं। जूस तैयार करने वाली हमीरपुर की एक निजी कंपनी के साथ एमओयू साइन किया गया है।

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    कंपनी एलोवेरा के प्लांट उपलब्ध करवाने के साथ-साथ उत्पादकों से इसकी पत्तियों की खरीद करेगी। कंपनी अपने स्तर पर जूस का उत्पादन करने के साथ-साथ दूसरे देशों की कंपनियों को भी उत्पाद का निर्यात करती है। विभिन्न प्रकार के जूस व दवाइयों में एलोवेरा की इस प्रजाति का इस्तेमाल किया जाता है। निजी कंपनी की ओर से वानिकी परियोजना के तहत इस प्रजाति के पचास हजार पौधे उपलब्ध करवाए हैं।

    दो साल में तैयार होता है पौधा, उसके बाद किसानों को राहत

    बता दें कि यह पौधा दो साल में तैयार हो जाता है। इसके बाद प्रत्येक साल में तीन बार इस पौधे से पत्तियों को निकाला जाता है। बड़ी बात यह है कि एक बार पौधा रोपने के बाद 12 से 15 साल तक इससे किसान को उत्पादन होता रहता है। पत्तियों के अलावा पौधों से बेबी प्लांट्स भी निकलते हैं। इन बेबी प्लांट्स को अन्य खेत में रोप कर खेती की जा सकती है। बेबी प्लांट्स को बेच कर भी अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है।

    एक बार रोपने के बाद 15 साल तक काटी जाती है फसल

    एक और खास बाक यह है कि एलोवेरा की इस प्रजाति की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत भी नहीं रहती है। एक बार खेत में पौधे रोपने के बाद करीब पंद्रह साल तक एलोवेरा की फसल को काटा जा सकता है। एलोवेरा के अर्क से जूस तैयार करने के साथ-साथ अन्य फलों के जूस में भी इसका इस्तेमाल करती है। बेसहारा व जंगली जानवरों से परेशान किसानों के लिए एलोवेरा की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकता है। सुंदरनगर उपमंडल में किसानों ने जंगली जानवरों से परेशान होकर ही एलोवेरा की खेती की तरफ रुझान किया है।

    क्यों खास है ये एलोवेरा?

    जाइका वानिकी परियोजना के विषय वाद विशेषज्ञ विजय कुमार का कहना है कि कैंसर समेत विभिन्न रोगों की दवा के निर्माण के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, शूगर, यूरिक एसिड, केलोस्ट्रोल आदि को नियंत्रित करने के लिए भी एलोवेरा के अर्क का इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा का जूस व जैल एंटी एजिंग होता है। इसको चेहरे पर लगाने से व्यक्ति की आयु अपेक्षाकृत कम प्रतीत होती है। सरकार की ओर से प्रमाणित टेस्टिंग लैब में जांच के दौरान इसकी पुष्टि हुई है।

    सुंदरनगर के वन मंडलाधिकारी राकेश कटोच ने बताया कि निजी कंपनी के विशेषज्ञों की टीम ने हाल ही में ध्वाल व हराबाग में प्लांट्स का निरीक्षण कर किसानों के साथ बैठक आयोजित की है। किसानों को महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं। एलोवेरा का उत्पादन लोगों की आर्थिकी को मजबूत करेगा। एमओयू साइन करने वाली कंपनी ही किसानों से एलोवेरा की पत्तियों की खरीद भी करेगी।