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    मंडी: आपदा में सब कुछ खोने वाली 11 माह की नीतिका का सहारा बने हरियाणा व हिमाचल के ये चार युवा, हर महीने कर रहे मदद

    By HANS RAJ SAINIEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 12:57 PM (IST)

    मंडी जिले में प्राकृतिक आपदा के कारण अनाथ हुई नितिका को चार युवाओं ने सहारा दिया है। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के इन युवाओं ने उसे अपनी बहन मानकर आर्थिक मदद करने का संकल्प लिया है। नितिका ने इस आपदा में अपने माता-पिता और दादी को खो दिया था। सरकार ने भी नितिका को आर्थिक सहायता प्रदान करने का वादा किया है, और उसकी बुआ अब उसकी कानूनी अभिभावक बनेंगी।

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    मंडी की आपदा में माता-पिता को खोने वाली नीतिका से बात करते सीएम सुक्खू। बच्ची बुआ की गोद में है। फाइल फोटो

    हंसराज सैनी, मंडी। प्राकृतिक आपदा में सब कुछ खो देने के बावजूद नन्ही नितिका के जीवन में आज भी उम्मीद की किरण जल रही है। सराज क्षेत्र की परवाड़ा पंचायत के तलवाड़ा गांव की नन्ही बच्ची 30 जून की रात को जब मलबे और पानी के भंवर में फंसी थी तो किस्मत ने उसे तो बचा लिया, मगर उसके सिर से मां, पिता और दादी का साया हमेशा के लिए उठ गया। 

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    इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया था, लेकिन उसी मंजर के बाद चार अजनबी युवाओं ने नितिका का हाथ थामकर मानवीय संवेदना की मिसाल पेश की है।

    छोटी बहन मान भविष्य सुरक्षित बनाने का लिया प्रण

    हरियाणा के रमेश कुमार, सुंदरनगर के आवेश राणा, कुल्लू के अमन कुमार और कांगड़ा के रजत ठाकुर ने नितिका को अपनी छोटी बहन मान लिया। उन्होंने वादा किया कि वे इस अनाथ बच्ची का भविष्य सुरक्षित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और वह अपने वादे पर अब तक अडिग हैं।

    पांच माह से भेज रहे सहायता

    पांच माह से चारों युवा हर माह नितिका के नाम पर सहायता राशि भेज रहे हैं। आवेश राणा ने 1000 रुपये, रमेश कुमार ने 1100 रुपये, रजत ठाकुर ने 500 रुपये नितिका के 18 वर्ष की होने तक और अमन कुमार ने एक वर्ष तक हर माह 500 रुपये देने का संकल्प लिया है। तीन युवा नितिका की बुआ किरणा देवी को आनलाइन सहायता भेजते हैं, जबकि अमन कुमार डाकघर में नितिका के नाम आरडी योजना में पैसे जमा करवाते हैं।

    बुआ किरणा होगी कानूनी तौर पर नितिका की अभिभावक, प्रक्रिया आरंभ

    बुआ किरणा देवी जो नितिका की देखरेख कर रही हैं, अब कानूनी रूप से उसकी अभिभावक बनने जा रही हैं। प्रशासन ने उसे अस्थायी तौर पर संरक्षण दिया था, लेकिन अब विधिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी के तहत सोमवार को प्रशासन ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के माध्यम से नितिका के बैंक खाते से जुड़ी जानकारी और पासबुक किरणा देवी को सौंपी। इस खाते में इस समय 7,95,961 रुपये जमा हैं, जिसे नितिका के 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर ही निकाला जा सकेगा। 

    बच्ची की मां और दादी का अब तक नहीं लगा सुराग

    दुख की बात है कि सवा चार माह बाद भी नितिका की मां और दादी का कोई सुराग नहीं लग पाया है। दोनों 30 जून की रात तेज बहाव में बह गई थीं। प्रशासन की ओर से अभी तक उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है, जबकि नितिका के पिता का शव अगले दिन घर के पास ही बरामद हो गया था। उनके नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र पहले ही जारी किया जा चुका है। मां और दादी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होते ही किरणा देवी को कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। इस मासूम की कहानी ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री सुक्खू तक को भावुक कर दिया था।

    सुक्खू ने किया 21 लाख रुपये की एफडी करवाने का वादा

    प्रधानमंत्री ने आपदा में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को दो-दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की, वहीं मुख्यमंत्री सुक्खू ने नितिका के नाम 21 लाख रुपये की एफडी करवाने का वादा किया है, ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रह सके। अब यह नन्ही बच्ची अपनी बुआ की गोद में स्नेह और सुरक्षा पा रही है। जिन युवाओं ने उसे अपनी बहन कहा था, वह हर महीने यह भरोसा दिला रहे हैं कि इंसानियत आज भी जिंदा है।

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    नन्ही नितिका अभी कुछ समझने की उम्र में नहीं है, लेकिन उसकी मासूम मुस्कान के पीछे आज कई दिलों की दुआएं जुड़ी हैं। जब वह बड़ी होगी, तो शायद उसे पता चलेगा कि आपदा ने भले ही उसका परिवार छीन लिया, पर समाज ने उसे अपनापन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।