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    IIT Mandi में इनोवेट इन इंडिया पर जोर, भ्रूण की हृदय गति की निगरानी करेगा डिवाइस, बुजुर्गों के लिए स्मार्ट एयरबैग सिस्टम बनेगा

    By HANS RAJ SAINIEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sun, 12 Oct 2025 02:13 PM (IST)

    आईआईटी मंडी ने 'अभियंता 1.0 इनोवेशन चैलेंज' शुरू किया है, जिसका उद्देश्य तकनीकी सोच को बढ़ावा देना है। इसके तहत, सीखने की अक्षमता के लिए न्यूरोफीडबैक प्रणाली, भ्रूण निगरानी उपकरण, त्वचा रोग पहचान प्रणाली, स्ट्रोक पुनर्वास उपकरण और बुजुर्गों के लिए स्मार्ट एयरबैग सिस्टम जैसे नवाचारों पर काम किया जा रहा है। यह पहल भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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    हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में स्थित आईआईटी मंडी का परिसर। जागरण आर्काइव

    हंसराज सैनी, मंडी। क्या होगा जब किसी बुजुर्ग को गिरने से पहले चेतावनी संकेत मिलेंगे? या कोई स्मार्टफोन आधारित एआइ एप आपके त्वचा रोगों का निदान और उपचार बताएगा? सोचिए, जब कोई गर्भवती हल्का डिवाइस पहने और उसके पेट में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य संकेत मिल जाएं। ये और ऐसे कई नवाचार अब संभव होंगे।

    नवाचार राष्ट्र की प्रगति का इंजन है। इसी विचार को साकार करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी की इनोवेशन हब (आइहब) और ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआइ) फाउंडेशन ने युवा इंजीनियरों और नवोन्मेषकों के लिए एक अवसर की शुरुआत की है।

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    भारत को आत्मनिर्भरता की नई उड़ान देगा

    भारतरत्न एम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को समर्पित ‘अभियंता 1.0 इनोवेशन चैलेंज’ उनके अद्वितीय योगदान को नमन करते हुए भारत को आत्मनिर्भरता की नई उड़ान देगा। यह चैलेंज भारत की रचनात्मकता को नई दिशा देने वाला एक राष्ट्रीय अभियान है। इसका उद्देश्य तकनीकी सोच, उद्यमशीलता और शोध को एक मंच पर लाना है। इस पहल से देश के युवा विज्ञानी, इंजीनियर और विद्यार्थी वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान में योगदान देंगे। 

    इनोवेट इन इंडिया पर जोर

    लक्ष्य यह भी है कि देश मेक इन इंडिया से आगे बढ़कर इनोवेट इन इंडिया को साकार करे। देश में लगभग 10 से 15 प्रतिशत बच्चे सीखने की अक्षमताओं से जूझ रहे हैं, और निदान समय पर नहीं हो पाता है। सीखने में अक्षमता के लिए न्यूरोफीडबैक प्रणाली, ईईजी, आइ-ट्रैकिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) सक्षम स्मार्ट पेन के संयोजन से शीघ्र पहचान में मदद मिलेगी। एआइ आधारित विश्लेषण बच्चों की सीखने की गति और पैटर्न को समझकर व्यक्तिगत स्पर्श देगा। यह है पहली परियोजना।

    भ्रूण की हृदय गति और मां के स्वास्थ्य संकेतों की निगरानी करेगा डिवाइस

    दूसरा कार्य मातृ एवं भ्रूण स्वास्थ्य निगरानी उपकरण है। भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को घटाने के लिए निरंतर प्रसवपूर्व निगरानी आवश्यक है। यह हल्का, पहनने योग्य डिवाइस होगा जो भ्रूण की हृदय गति और मां के स्वास्थ्य संकेतों की निगरानी करेगा। एआइ एल्गोरिदम असामान्य गतिविधि को पहचान कर स्वास्थ्य कर्मियों को तुरंत चेतावनी देंगे। मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को स्वास्थ्य शिक्षा भी मिलेगी। यह उपकरण गर्भावस्था के दौरान अपने योगदान से जीवन बचाने में मदद करेगा।

    त्वचा रोग पहचान प्रणाली

    तीसरा महत्वपूर्ण काम एआइ संचालित त्वचा रोग पहचान प्रणाली है। भारत में त्वचा रोग दो प्रतिशत आबादी को प्रभावित करते हैं, पर विशेषज्ञ सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्लभ हैं। स्मार्टफोन-आधारित एआइ एप त्वचा की तस्वीरों से प्रारंभिक निदान तुरंत उपलब्ध कराएगा। यह प्रणाली फंगल, एक्जिमा और अन्य सामान्य रोगों की पहचान स्वतः करेगी। इससे आशा कार्यकर्ताओं को ग्रामीण स्तर पर त्वचा रोगों का शुरुआती समाधान मिलेगा।

    स्ट्रोक पुनर्वास उपकरण

    चौथा स्ट्रोक पुनर्वास उपकरण है, क्योंकि भारत में हर साल 18 लाख से अधिक स्ट्रोक के मामले दर्ज होते हैं। यह पोर्टेबल डिवाइस मददगार होगा और इसे ऐसा बनाया जाएगा कि घर पर उपयोग हो सके। 

    ग्रामीण टेलीमेडिसिन आइओटी उपकरण

    पांचवां, ग्रामीण टेलीमेडिसिन आइओटी उपकरण है। ग्रामीण भारत में डाक्टर-रोगी अनुपात बेहद असंतुलित है, जिससे उपचार में देरी होती है। यह बहु-कार्यात्मक डिवाइस ईसीजी, रक्तचाप, वजन, ऑक्सीजन सहित कई जांच करेगा। एआइ एल्गोरिदम तुरंत प्रारंभिक निदान देंगे और परिणाम 15 मिनट में उपलब्ध होंगे। 

    डिजिटल स्टेथोस्कोप अटैचमेंट

    छठा डिजिटल स्टेथोस्कोप अटैचमेंट होगा। यह उपकरण पारंपरिक स्टेथोस्कोप को ब्लूटूथ-सक्षम, एआइ-संचालित डिवाइस में बदल देगा। एआइ एल्गोरिदम हृदय और फेफड़ों की असामान्य ध्वनियों का स्वतः विश्लेषण करेंगे। 

    बुजुर्गों के लिए स्मार्ट एयरबैग सिस्टम

    सातवां है बुजुर्गों के लिए स्मार्ट एयरबैग सिस्टम। भारत की बढ़ती वरिष्ठ नागरिक आबादी में गिरने से होने वाली चोटें गंभीर समस्या हैं। एआइ और सेंसर-आधारित यह पहनने योग्य डिवाइस गिरने का संकेत दे देगा। 

    डिवाइस-मुक्त कैशलेस भुगतान 

    आठवां बायोमीट्रिक भुगतान प्रणाली है। यह प्रणाली डिवाइस-मुक्त कैशलेस भुगतान सुनिश्चित करेगी। नवां प्रयोग आगमेंटेड रियलिटी व वर्चुअल रियलिटी पर आधारित शिक्षा किट होगा। अंतिम होगा भारत में हवाई अड्डों के ढांचों को सुरक्षित रखने का काम।

    एम विश्वेश्वरैया को सच्ची श्रद्धांजलि  

    आइआइटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया केवल एक अभियंता नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मा थे। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। यह इनोवेशन चैलेंज उनके सृजनशील भारत के सपने को नई ऊर्जा देगा।