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    पर्यटकों को अब मोबाइल पर मिलेगी भूस्खलन की चेतावनी, IIT मंडी ने विकसित की नई तकनीक; जानें क्या है यह प्रणाली

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Sun, 09 Jul 2023 06:35 PM (IST)

    Landslide Warning On Mobile आइआइटी मंडी की भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली से यह संभव हो पाएगा। पर्यटकों व लोगों को इसके लिए सिर्फ अपने मोबाइल फोन या लैपटाप में आइआइओटीएस डाट इन वेबसाइट पर लागइन करना होगा। यह वेबसाइट पहले से पहाड़ों पर लगी भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली से जुड़ी है और इससे संबंधित सारा डाटा उपलब्ध कराती है।

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    पर्यटकों को अब मोबाइल पर मिलेगी भूस्खलन की चेतावनी

    मंडी, हंसराज सैनी। मानसून में बीते कुछ दिनों में देश के पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं। कई में पर्यटक और स्थानीय लोग बाल-बाल बचे। इससे देश-विदेश के पर्यटकों को सुरक्षित रखने के लिए आइआइटी मंडी ने अहम पहल की है जिससे मोबाइल फोन पर ही भूस्खलन की चेतावनी मिल सकेगी। इससे जानमाल का नुकसान कम करने में सहायता मिलेगी।

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    आइआइटी मंडी की भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली से यह संभव हो पाएगा। पर्यटकों व लोगों को इसके लिए सिर्फ अपने मोबाइल फोन या लैपटाप में आइआइओटीएस डाट इन वेबसाइट पर लागइन करना होगा। यह वेबसाइट पहले से पहाड़ों पर लगी भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली से जुड़ी है और इससे संबंधित सारा डाटा उपलब्ध कराती है।

    डैशबोर्ड में लोकेशन चयन की सुविधा

    वेबसाइट खुलने पर डैशबोर्ड में जाकर किसी भी भूस्खलन प्रभावित लोकेशन का चयन करने की सुविधा दी गई है। लोकेशन खुलते ही उस क्षेत्र के तापमान, आद्रता, दबाव, बारिश, प्रकाश की तीव्रता, मृदा हलचल, बल व मृदा नमी की भी जानकारी मिलेगी। अगर पहाड़ के अंदर कोई हलचल हो रही है तो इन बिंदुओं के ग्राफ में हुए बदलाव को देखकर पर्यटक और लोग संभावित खतरा भांप लेंगे और समय रहते सावधान रहेंगे।

    सैटेलाइट डाटा से होगा एकीकरण

    अभी पहाड़ों पर लगी आइआइटी की पूर्व चेतावनी प्रणाली से मिली तस्वीरों का अध्ययन किया जाता है। नई व्यवस्था में आइआइटी के विशेषज्ञों ने इन तस्वीरों का इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार (इनसार) के डाटा के साथ एकीकरण करने का निर्णय लिया है। इससे ऊंचे क्षेत्रों से होने वाले भूस्खलन की वस्तुस्थिति का सही आकलन करना संभव होगा।

    आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 में कोटरोपी हादसे के बाद यह तकनीक विकसित की थी। कोटरोपी में पहाड़ दरकने से दो बसों के चपेट में आने से 49 लोगों की मौत हो गई थी।

    मिलती पल-पल की जानकारी

    हिमाचल के तीन जिलों मंडी, कांगड़ा व किन्नौर के 40 भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में प्रशासन के आग्रह पर आइआइटी के विशेषज्ञों ने भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली लगा रखी है। इसमें मंडी में 24, किन्नौर में छह व कांगड़ा के 10 भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं। प्रणाली से आइआइटी के अलावा तीनों जिलों के जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पहाड़ के अंदर होने वाली हलचल की पल-पल की जानकारी मिलती रहती है। भारतीय रेलवे ने कालका-शिमला रेललाइन पर धर्मपुर में तीन व उत्तराखंड सरकार ने भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील तीन क्षेत्रों में प्रणाली लगवा रखी है। सिक्किम में इस प्रणाली का एक यंत्र लगा हुआ है।

    क्या है यह प्रणाली

    यह प्रणाली स्थानीय स्तर पर सड़क पर लगे हूटर और ब्लिंकर के माध्यम और दूर से फोन पर एसएमएस के माध्यम से पहाड़ यानी भूस्खलन संभावित क्षेत्र में मिट्टी के अंदर होने वाली गतिविधि के बारे में समय से पहले अलर्ट प्रदान करती है। वर्षा की 80 प्रतिशत से अधिक संभावना के साथ पांच मिमी से अधिक बारिश की भविष्यवाणी के लिए भी अलर्ट करती है। इसके लिए पहाड़ के अंदर सेंसर लगाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस प्रणाली की सराहना कर चुके है। प्रणाली अभी तक सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा चुकी है।

    आइआइटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेंकट उदय काला ने बताय कि भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली से कोई भी व्यक्ति भूस्खलन संभावित क्षेत्र में होने वाली गतिविधि पर नजर रख सकता है। इसके लिए वेबसाइट पर लागइन करना होगा। यह प्रणाली देश के किसी भी पर्वतीय राज्य में स्थापित की जा सकती है।