गजब! शिमला में कूड़े से बनाई जाएगी बिजली, प्लांट लगाने की तैयारी शुरू
शिमला नगर निगम शहर के कचरे से बिजली बनाने की तैयारी में है। इसके लिए मेथीनेशन प्लांट लगाया जा रहा है जिससे मेथेन गैस से बिजली बनेगी। रोजाना 70 से 90 टन कचरे से बिजली बनाने का लक्ष्य है। निगम को उम्मीद है कि इस प्लांट से बिजली बेचकर अच्छी आय होगी। वर्तमान में 1.5 किलोवाट बिजली बन रही है और इसे बढ़ाने का प्रयास है।

जागरण संवाददाता, शिमला। शहर को साफ रखने के साथ ही नगर निगम शिमला कूड़ा संत्र में बिजली का व्यवसायिक तौर पर भी बिजली का उत्पादन शीघ्र ही शुरू करेगा। निगम प्रशासन ने इसके लिए प्लांट में मैथीनेशन प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए प्लेटफार्म बनाया जा रहा है। बोया मैथीनेशन प्लांट लगने के बाद यहां पर मैथेन गैस से बिजली तैयार होगी।
इस प्लांट की लागत 12 करोड़ के लगभग आंकी जा रही है। शहर में रोजाना निगम को शहर से रोजाना 70 से 90 टन कचरा निकलता है। इस कचरे का भरयाल कूड़ा संयंत्र में प्रबंधन किया जाता है। इसी कचरे से बिजली तैयार की जानी है। अभी कचरे से बिजली बनाने का काम महज 1.5 किलोवाट का ही हो रहा है। हालांकि, इस प्लांट की क्षमता 2.5 मेगावाट तक की है। शहर में लोगों के घरों से जुटाए जा रहे कचरे में गीले कचरे की मात्रा ज्यादा होने के कारण बिजली का उत्पादन कम हो रहा है।
कूड़े से बिजली बनाने के लिए इसका सूखा होना अनिवार्य है। इसीलिए अब ऐसा प्लांट लगाया जा रहा है, इससे गीले कचरे से पहले मैथेन गैस बनेगी। इसके बाद इसे ब्लेंड कर कचरे से बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाएगा। नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि इस प्लांट को लगाने के लिए प्लेटफार्म को लगभग तैयार कर लिया है।
कूड़े की व्यवस्था के लिए उठाया यह कदम
शहर में बिजली उत्पादन के लिए प्लांट में रोजाना 100 टन कूड़े की आवश्यकता रहती है। निगम पूरे शहर से अभी तक 70 से 80 टन तक कूड़ा जुटा पाता है। इस प्लांट की क्षमता को पूरा करने के लिए निगम ने साथ लगती पंचायतों से भी कूड़ा यहां लाने का काम किया है। आसपास की 36 पंचायतों से कूड़ा लाया जा रहा है। इसके साथ ही कुछ स्थानीय निकायों से भी कूड़ा लाया जा रहा है।
बिजली बनने से निगम को होगा फायदा
नगर निगम शिमला को इस प्लांट के बनने के बाद फायदा मिलने के आसार है। बिजली का उत्पादन होने के बाद निगम की अेर से इस बेचा जाएगा। इसके लिए इसे ग्रिड में दिया जाएगा। अनुमान के मुताबिक एक मैगावाट बिजली पर निगम को करीब 6 करोड़ का आय हो सकती है। हालांकि, सही स्थिति उत्पादन शुरू होने के बाद ही स्पष्ट होगी।
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