हिमाचल: कानूनी विवादों में उलझ कर रह गया शिक्षा विभाग, सैकड़ों नहीं हजारों मामले कोर्ट में; आंकड़े देख पकड़ लेंगे सिर
हिमाचल प्रदेश का शिक्षा विभाग कानूनी उलझनों में फंसा हुआ है, जहाँ हजारों मामले अदालतों में लंबित हैं। शिक्षकों की भर्ती, स्थानांतरण और पदोन्नति जैसे सेवा संबंधी विवादों के कारण विभाग का कामकाज प्रभावित हो रहा है। कानूनी मामलों की बढ़ती संख्या से अधिकारी चिंतित हैं, क्योंकि इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। विभाग अब इन मामलों को निपटाने के प्रयास कर रहा है।

शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग का परिसर।
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए शिक्षा विभाग सख्त फैसले ले रहा है। इन फैसलों से गुणात्मक सुधार भी हुआ है। दूसरी तरफ कानूनी विवाद भी विभाग का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। यूं कहें कि विभाग कानूनी मामलों में उलझ कर रह गया है।
आठ हजार से ज्यादा मामले विभाग से जुड़े हैं जो विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। इसमें ज्यादातर मामले वरिष्ठता सूची, वेतनमान, पदोन्नति व वित्तीय लाभ से जुड़े हुए हैं।
कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके मामले अभी तक चल रहे हैं। स्कूल शिक्षा निदेशालय में एक ब्रांच कानूनी मामलों को ही देख रही है। इसमें अनुभाग अधिकारी के अलावा 15 से 20 कर्मचारी इन्हीं मामलों को देखते हैं।
इन्हीं मामलों में उलझे कई अधिकारी
निदेशालय में विधि अधिकारी के अलावा अतिरिक्त निदेशक स्तर के अधिकारी, सचिवालय में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी कानूनी मामलों को ही देख रहे हैं। सचिव व निदेशक स्कूल शिक्षा ऐसे मामलों की संपूर्ण निगरानी करते हैं। रोजाना किसी न किसी बैंच में विभाग का मामला लगता है। ऐसे में अधिकारियों को रिकार्ड लेकर कोर्ट जाना पड़ता है। यह मामले पूर्व की सरकारों के समय से चले आ रहे हैं।
बैठक में चर्चा, मामले जल्द निपटाने के निर्देश
वीरवार को राज्य सचिवालय में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में भी यह मामला उठा। बैठक के लिए अदालती मामलों की पूरी सूची तैयार करने के लिए कहा था कि कौन सा मामला किस स्टेज पर है। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मामलों का निपटारा विभागीय स्तर पर किया जाए। निर्णय लेते समय पूरी पारदर्शिता बरती जाए ताकि कोई कानूनी विवाद न उपजे।
कार्मिक विभाग से मांगी है राय
प्रवक्ता एवं मुख्य अध्यापक पद से प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति करने के मामले में देरी हो रही है। राज्य लोक सेवा आयोग ने विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक में 2023 तक का रिकार्ड तलब किया है। विभाग इस मामले में काफी फंस गया है। इस मामले को लेकर कैबिनेट में भी चर्चा हो चुकी है। अब इस पर कार्मिक विभाग से राय मांगी गई है ताकि पदोन्नति से जल्द 805 स्कूल प्रधानाचार्यों के पद भरे जा सकें।
केस स्टडी
25 सितंबर को हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर स्कूल शिक्षा निदेशक का वेतन तक रोकने के आदेश दे दिए थे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 10 जून 2024 को कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया कि प्रतिवादी राज्य सरकार सहायता अनुदान (ग्रांट-इन-एड) का भुगतान आठ हफ्ते में करे। आदेश लागू करवाने के लिए दो निष्पादन याचिकाएं भी दायर कीं। बावजूद इसके सरकार व विभाग ने आदेश लागू करने में टालमटोल की।
केस स्टडी
वरिष्ठता सूची में संशोधन मामले पर भी कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। हाल ही में विभाग ने 592 प्रवक्ताओं को डिमोट करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें कोर्ट के ही आदेश का हवाला दिया था। हाईकोर्ट ने वरिष्ठता सूची में संशोधन करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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