हिमाचल में GPF भुगतान में अब नहीं होगी देरी, नई व्यवस्था लागू; अनियमितता पर भी लगेगा अंकुश
हिमाचल प्रदेश सरकार ने जीपीएफ भुगतान प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब देरी नहीं होगी। वित्त विभाग ने नई एसओपी जारी की है, जिसके तहत डीडीओ ई-बिल्स के माध्यम से सीधे एजी ऑफिस को भुगतान अनुरोध भेज सकेंगे। इससे सत्यापन प्रक्रिया में लगने वाला समय बचेगा और अनियमितताओं पर भी अंकुश लगेगा, साथ ही कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय होगी।

हिमाचल प्रदेश में जीपीएफ भुगतान में अब देरी नहीं होगी। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। समय से इसका भुगतान हो, इसके लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दिया गया है।
वित्त विभाग की ओर से इसके लिए नई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी कर दी गई है। वित्त विभाग ने जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) के अंतिम भुगतान की प्रक्रिया को और सुगम बनाया है।
अब प्रदेश के सभी डीडीओ (ड्राइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर) जीपीएफ के अंतिम भुगतान के मामलों को फाइल पर भेजने के बजाए ई-बिल्स (आइएफएमआइएस पोर्टल) के माध्यम से सीधे सीधे लेखा महानियंत्रक (एजी) को भेजेंगे।
अभी महालेखाकार को दस्तावेज भेजने के बाद होता है सत्यापन
अभी तक की व्यवस्था के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद विभाग की ओर से सभी तरह के दस्तावेज की हार्ड कॉपी महालेखाकार (एजी ऑफिस) में भेजे जाते हैं। वहां सत्यापन के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कर्मचारी को जीपीएफ भुगतान किए जाते हैं। इससे भुगतान में काफी समय लग जाता है। वित्त विभाग की इस नई व्यवस्था से अनियमितता पर भी अंकुश लगेगा वहीं समय की भी बचत होगी।
पहले यह थी व्यवस्था
वित्त व कोषागार विभाग जनवरी महीने से इस नई प्रणाली पर काम कर रहा था। राजस्व व स्वास्थ्य शिक्षा विभाग में इस व्यवस्था को ट्रायल आधार पर लागू किया गया था। अब इसे सभी विभागों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत अब दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन नहीं किया जाएगा। इससे फाइल तैयार करने और इसके आदान-प्रदान पर समय बर्बाद नहीं होगा। कागजों की बचत होगी व बिल लेकर जो कर्मचारी दिनभर एजी व कोषागार कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं वह भी बचेगा। संबंधित अफसरों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी। यानी, निर्धारित अवधि में भुगतान सुनिश्चित करना होगा।
सभी विभागों को भेजी एसओपी
निदेशक कोष, लेखा एवं लॉटरी विजय वर्धन की ओर से इस संबंध में बीते 23 अक्टूबर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है। सभी डीडीओ को कहा गया है कि इस एसओपी के अनुरूप कार्य करें। इसमें डिजिटल हस्ताक्षरित जीपीएफ अंतिम भुगतान प्राधिकरणों को ई-बिल्स प्रणाली के माध्यम से निपटाने की व्यवस्था की गई थी।
अब ऐसे होगा काम
अब नई व्यवस्था के तहत, डीडीओ स्वयं अपने लॉगिन से जीपीएफ अंतिम भुगतान का अनुरोध तैयार कर सकेंगे। आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद उसे एजी कार्यालय को भेज सकेंगे। यदि किसी स्तर पर आंतरिक स्वीकृति आवश्यक हो, तो संबंधित विभाग या डीडीओ को स्वयं वह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
पहले क्या होता था
प्रक्रिया पहले बिल बनता था फिर डीडीओ उस पर साइन करते थे। उसके बाद मैसेंजर के माध्यम से वह ट्रेजरी में आता था। वहां चेक होने के बाद पास होता था। फिर वहां से बैंक जाता था। बैंक से कर्मचारी के खाते में उसको ट्रांसफर किया जाता था। बैंक में जाने के बाद भी अगर किसी कर्मी का दूसरे बैंक में खाता रहा तो दो दिन या उससे अधिक दिन लग जाते थे। नई प्रणाली से व्यवस्था बदल दी गई है।

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