Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Himachal News: सजा पूरी होने पर भी जेल में रखा व्यक्ति, हिमाचल हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान, सरकार को मुआवजा देने का आदेश

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sat, 18 Oct 2025 01:01 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सजा पूरी होने के बाद भी एक व्यक्ति को जेल में रखने के मामले पर सरकार से मुआवजा देने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने रामलाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को रिहा न करना गैरकानूनी था, क्योंकि सरकार ने पहले ही 6 जनवरी 2025 को उसकी समय से पहले रिहाई का आदेश दिया था। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना है।

    Hero Image

    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सजा अवधि पूरी होने के बावजूद व्यक्ति को जेल में रखने पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा अदा करे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने रामलाल द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बाद की हिरासत पूरी तरह से अवैध

    कोर्ट ने कहा कि यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि याचिकाकर्ता को इस आधार पर जेल से रिहा न करना कि उसे किसी अन्य मामले में एक वर्ष का कारावास अलग से भुगतना होगा, पूरी तरह से अवैध और अनुचित है। चूंकि सरकार ने खुद ही याचिकाकर्ता को छह जनवरी 2025 को समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया था, तो उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए था। उसकी बाद की हिरासत पूरी तरह से अवैध है और वास्तव में भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। 

    मुद्दा बहुत ही संकीर्ण दायरे में 

    कोर्ट ने कहा कि मामले में शामिल मुद्दा बहुत ही संकीर्ण दायरे में है। याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए 20 अप्रैल 2000 के निर्णय के तहत दोषी ठहराया गया था। याचिकाकर्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 

    इसके बाद 17 मई 2013 को पैरोल का उल्लंघन करने पर याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया गया और उसे एक वर्ष के कठोर कारावास व 500 रुपये का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई। जुर्माना न देने पर उसे एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भी भुगतना था।

    एक वर्ष कठोर कारावास की सजा आजीवन कैद के साथ पूरी

    याचिकाकर्ता को दी गई एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा आजीवन कारावास की सजा के साथ पूरी हो गई थी। इसके बाद याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत छह जनवरी 2025 को समय से पहले रिहा करने के आदेश पारित कर दिए।

    यह भी पढ़ें: Himachal: कांगड़ा का जवान देश के लिए बलिदान, करवाचौथ पर आया था घर; दिवाली से पहले परिवार में मातम

    रिहाई के आदेश के बाद हिरासत अपने आप में अवैध

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समय पूर्व रिहाई के आदेश के बाद याचिकाकर्ता की हिरासत अपने आप में अवैध है, इसलिए प्रतिवादी-विभाग को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को उसके उक्त कृत्य के लिए मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये का भुगतान कर क्षतिपूर्ति प्रदान करे।