हिमाचल: पंचायत चुनाव पर संग्राम, स्कूलों में बच्चे आ रहे तो लोग वोट डालने नहीं पहुंच सकते; रणधीर ने पूछा बहानेबाजी क्यों?
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर सियासी घमासान जारी है। पूर्व विधायक रणधीर शर्मा ने सरकार पर चुनावों को टालने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब स्कूल खुल गए हैं और बच्चे आ रहे हैं, तो वोट डालने में क्या परेशानी है? शर्मा ने सरकार की मंशा पर संदेह जताते हुए जल्द चुनाव कराने की मांग की है।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने पंचायत चुनाव पर सरकार पर जमकर निशाना साधा।
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाकर तीखे तेवर दिखाए। काम रोको प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर हमले बोले और सरकार पर चुनाव से भागने और संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया।
इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करते हुए भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर संविधान की शपथ ली है और यही संविधान कहता है कि पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव पांच साल में करवाने हैं, लेकिन दूसरी तरफ सरकार इन चुनावों को टालने के लिए आपदा की आड़ ले रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता संविधान की प्रति लेकर देशभर में यात्रा कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ उसी संविधान की प्रदेश में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
डिजास्टर एक्ट दो साल लागू रखा तो चुनाव नहीं होंगे
रणधीर शर्मा ने कहा कि डिजास्टर एक्ट की आड़ में चुनाव को टालने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि यदि एक्ट दो साल तक लागू रहता है तो क्या दो साल तक चुनाव ही नहीं करवाए जाएंगे।
स्कूलों में बच्चे पढ़ने आ रहे हैं तो क्या अभिभावक वहां वोट डालने नहीं आ सकते
उन्होंने कहा कि स्कूल और आंगनबाड़ी खुले हुए हैं और वहां बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। ऐसे में क्या उनके अभिभावक वोट डालने नहीं आ सकते। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सड़कें बंद होने की बात कह कर अपनी असफलता को भी मान रही है। उन्होंने कहा कि लोग तब भी वोट डालते थे, जब सड़कें नहीं थी। उन्होंने कहा कि सरकार बहाने बनाकर लोगों के संवैधानिक अधिकार न छीने।
केंद्र का पैसा प्रभावितों के बजाय समारोह पर हो रहा खर्च
उन्होंने जश्न को लेकर आयोजित बैठक में लिए गए निर्णयों की प्रोसिडिंग पढ़ते हुए कहा कि जश्न के लिए विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को लाया जा रहा है। उन्हें एचआरटीसी की बसों को लाया जाएगा और लोगों के लिए बसों में पैक्ड फूड और पानी का सारा खर्च राजस्व विभाग वहन करेगा और इस राशि को आपदा प्रबंधन फंड से खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र से आपदा राहत के लिए जो पैसा आ रहा है, उसे प्रभावितों के बजाय जश्न पर खर्च किया जा रहा है।
सीएम अपने नेता को तो गंभीरता से लें
उन्होंने कांग्रेस के एक नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि वह संविधान की किताब लेकर चलते हैं और जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती। उन्होंने मुख्यमंत्री ने कहा कि कम से कम वे तो उन्हें गंभीरता से लें।
क्या सचिव निर्वाचन आयोग को इस तरह से पत्र लिख सकते हैं
रणधीर शर्मा ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की तैयारियों को लेकर जारी पत्रों का भी सिलसिलेवार जिक्र किया। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के पत्र के अनुरूप कार्य करने के बजाय शहरी विकास विभाग के सचिव आयोग को ही पत्र लिख रहे हैं और इसे स्थगित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या सचिव इस तरह का पत्र आयोग को लिख सकते हैं।
संवैधानिक संस्था का अपमान
उन्होंने पूछा कि आखिर चुनाव टालने के लिए बहानेबाजी क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयुक्त जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनावी सामग्री उठाने को कहते हैं, लेकिन यह सामग्री भी नहीं उठाई जाती और आयोग के साथ टकराव किया जाता है। उन्होंने कहा कि अब सरकार पंचायतों के पुनर्गठन और नई पंचायतों के गठन की बात कर रही है और वह भी तब राज्य निर्वाचन आयोग आचार संहिता का एक एक्ट लागू कर चुका है। उन्होंने इसे संवैधानिक संस्था का अपमान करार दिया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।