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    हिमाचल को चंडीगढ़ में मिले 7.19% हिस्सेदारी, CM सुक्खू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख कर अमित शाह से उठाई मांग

    By Parkash Bhardwaj Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 06:29 PM (IST)

    मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत चंडीगढ़ में भूमि और संपत्तियों पर 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए केंद्र से इस मामले को उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने बीबीएमबी में स्थायी सदस्यता, रॉयल्टी में वृद्धि और पुरानी बिजली परियोजनाओं को राज्य को वापस करने की भी मांग की।

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    फरीदाबाद में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह, दायें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। सौ. डीपीआर

    राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ ने स्पष्ट कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत हिमाचल प्रदेश को चंडीगढ़ में भूमि व परिसंपत्तियों पर 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी ही चाहिए। यह हमारा वैधानिक अधिकार है। उन्होंने 2011 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसमें हिमाचल को समग्र पंजाब का 7.19 प्रतिशत हिस्सा जनसंख्या अनुपात के आधार पर अधिकारपूर्वक दिया गया है।

    उन्होंने मांग की कि इसे अगली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक के एजेंडे में शामिल कर केंद्र समाधान सुनिश्चित करे। फरीदाबाद में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (एनजेडसी) की 32वीं बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश के हितों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को दृढ़ता से उठाया।

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    अमित शाह से ये महत्वपूर्ण मांगें भी रखीं

    केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उन्होंने चंडीगढ़ पर हिमाचल की वैधानिक हिस्सेदारी से लेकर बीबीएमबी बकाया, आपदा राहत नियम, सीमा विवाद और हवाई संपर्क विस्तार तक कई अहम मांगें जोरदार तरीके से रखीं। बैठक में उत्तरी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल और हिमालय देश के पर्यावरणीय संरक्षण की रीढ़ हैं और केंद्र को इनके संरक्षण व विकास में प्राथमिकता देनी चाहिए।

    बीबीएमबी में स्थायी सदस्यता और रायल्टी 50 प्रतिशत करने की वकालत

    हिमाचल का बीबीएमबी में स्थायी सदस्य होना आवश्यक है, क्योंकि प्रदेश की बिजली परियोजनाएं इसका अहम आधार हैं। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार बीबीएमबी से लंबित देयकों की तुरंत रिलीज की भी मांग की। साथ ही उन्होंने केंद्र संचालित परियोजनाओं में 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली रायल्टी लागू करने और जिन परियोजनाओं की लागत निकल चुकी है, उनमें यह रायल्टी 50 प्रतिशत करने की वकालत की।

    40 साल पुरानी केंद्रीय परियोजनाएं हिमाचल को लौटाई जाएं

    ऐसी सभी जल विद्युत परियोजनाएं, जो 40 वर्ष पूरे कर चुकी हैं, राज्य को वापस हस्तांतरित की जानी चाहिए। किशाऊ और रेणुका डैम परियोजनाओं के बिजली घटक के लिए 100 प्रतिशत केंद्र फंडिंग और परियोजना पूर्ण होने पर हिमाचल–उत्तराखंड को 50-50 प्रतिशत बिजली देने की भी मांग रखी।

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    नशा निवारण और पॉस्को के सख्त पालन की जानकारी

    हिमाचल में चिट्टा जैसी खतरनाक ड्रग्स के खिलाफ तीन महीने का बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। राज्य कानून प्रवर्तन के साथ पुनर्वास और उपचार पर भी समान रूप से ध्यान दे रहा है। पास्को मामलों में शून्य सहनशीलता नीति पर भी उन्होंने जोर दिया।

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    राजस्व घाटे की भरपाई के लिए विशेष टास्क फोर्स की मांग

    जीएसटी मुआवजे की समाप्ति के बाद भी हिमाचल का 9,478 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ है, जोकि अब तक नहीं भरा गया। उन्होंने इस नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए विशेष टास्क फोर्स बनाने की मांग की।