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    Himachal: नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद हरकत में आया सिस्टम, आखिर हिमाचल का पुष्पा कौन?

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 04:31 PM (IST)

    Himachal Pradesh Forest सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में नदियों में बहती लकड़ियों के मामले में सरकार से रिपोर्ट मांगी है। वन विभाग रावी और ब्यास नदियों से आई लकड़ियों की जांच कर रहा है। पहले दी गई रिपोर्ट में अनियमितता नहीं पाई गई थी लेकिन मंत्री ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे।

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    रावी नदी में बहकर आई लकड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश की नदियों में बहकर आई लकड़ियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद वन विभाग हरकत में आ गया है। विभाग ने इस पूरे मामले की नए सिरे से रिपोर्ट तलब की है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन कमलेश कुमार पंत ने विभाग को रावी में बहकर आई लकड़ियों की रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।

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    इसी तरह ब्यास में भी लकड़ियों को लेकर नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार अपना जवाब तैयार करेगी। जिसे सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाएगा।

    वन विभाग के फील्ड अधिकारी अब इसमें जुट गए हैं। इसके लिए संबंधित क्षेत्रों में ड्रोन से भी मैपिंग करवाई जाएगी, ताकि कोर्ट को वस्तुस्थिति से अवगत करवाया जा सके।

    नदियों में बड़े पैमाने पर बहकर आई लकड़ी के बाद यही सवाल उठ रहा है कि आखिर हिमाचल का पुष्पा कौन है? इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई फोटो पुष्पा फिल्म में बांध से चंदन की तस्करी की तरह प्रतीत हो रही थी।

    दो पन्नों की रिपोर्ट में दी थी क्लीन चिट

    हिमाचल के कुल्लू में 24 जून को बादल फटने के बाद आई बाढ़ आई थी। इसमें सैकड़ों टन लकड़ियां बहकर पंडोह डैम तक पहुंची थी। इसकी तस्वीरें सामने आने के बाद इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। वन विभाग ने जांच बैठाई थी। दो पन्नों की जांच रिपोर्ट में मामले में पूरी तरह क्लीन चिट दी गई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितताएं नहीं पाई गई है। ये वो लड़कियां थी जो फ्लैश फ्लड के कारण टूटकर पंडोह डैम पहुंची थी।

    रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अवैध कटान का कोई निशान नहीं मिला था। रिपोर्ट में बताया गया है "शिलागढ़ में जिस जगह बादल फटा है, उससे करीब 20 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। 6,000 हेक्टेयर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वन क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में जो पेड़ गिर जाते हैं उसे उठाया भी नहीं जाता। वह पेड़ वहीं सड़ जाते हैं।

    मंत्री ने उठाए थे सवाल

    संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। हर्षवर्धन चौहान ने कहना था कि वन विभाग के आला अधिकारी फील्ड में जाते ही नहीं। जंगलों को गार्ड के भरोसे छोड़ा गया है। आइएफएस अधिकारी और संबंधित डीएफओ जंगलों का मुआयना करने जाते ही नहीं है।

    उन्होंने कहा कि नदियों में यदि पूरा पेड़ आ जाता है तो समझ आता है कि वह बहकर आया होगा। भारी संख्या में स्लीपर, लॉग बहकर आए हैं वह प्रश्न चिह्न खड़ा करते हैं कि कटान हुआ है। उन्होंने कहा कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के जंगलों में किसी तरह की निगरानी विभाग की नहीं है। यहां पर पेड़ किस तरह से कट रहे हैं, इसमें बारीकी से सोचने की जरूरत है।

    क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

    सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल समेत पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर में बाढ़ जैसे हालात पर चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जिस प्रकार दिखाया गया है कि लकड़ियां बहकर आई हैं, वह गंभीर विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल समेत पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर को भी नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। अब राज्य सरकार को अगली सुनवाई में इसका जवाब देना होगा।

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