Himachal Assembly: बोर्ड व निगम में कर्मचारियों के 417 पद समाप्त, करुणामूलक नौकरी के कितने मामले लंबित?
Himachal Pradesh Assembly हिमाचल सरकार ने तीन बोर्डों और निगमों में 417 पद समाप्त कर दिए हैं जिनमें नगर निगम शिमला और राज्य बिजली बोर्ड शामिल हैं। नालागढ़-कुनिहार-शिमला सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। करुणामूलक आधार पर रोजगार के 1609 मामले अभी भी लंबित हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास बादल फटने की घटनाओं के अध्ययन के लिए कोई तंत्र नहीं है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के तीन बोर्ड व निगमों में कर्मचारियों के 417 पद समाप्त किए गए हैं। भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के प्रश्न के लिखित उत्तर में सरकार ने वीरवार को सदन में यह जानकारी दी। जानकारी के मुताबिक नगर निगम शिमला में कुल 52 पद समाप्त किए गए हैं।
समाप्त किए गए पदों में कारपेंटर, फिटर, माली, सिलाई अध्यापिका, आया, फेरो प्रिंटर, कुली, औडर्ली, ब्लैक स्मिथ, बायलर मैन व सर्वेक्षक के पद शामिल हैं।
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड में 28 पदों को समाप्त किया गया है। इसमें बेलदार, सह चौकीदार, सहायक अभियंता, वरिष्ठ सहायक, वरिष्ठ प्रबंधक, वित्तीय सलाहकार, जूनियर ड्राफ्ट्समैन व ड्राफ्ट्समैन शामिल हैं।
राज्य बिजली बोर्ड में 337 पद समाप्त किए गए हैं। सरकार ने बताया कि बिजली बोर्ड में कुल 24,866 पद स्वीकृत हैं। जिसमें से 10,357 पद रिक्त है। युक्तिकरण के बाद 337 पद समाप्त किए गए हैं।
नालागढ़-कुनिहार-शिमला को एनएच बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी
ढेरोवाल-नालागढ़-रामशहर-कुनिहार-शिमला सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की केंद्र ने सैद्धांतिक मंजूरी दी है। वर्ष 2016 में कुल 106.00 किलोमीटर की लंबाई की सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। इसके विस्तारीकरण एवं उन्नयन के लिए कंसलटेंसी का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। विधायक रामकुमार के प्रश्न के लिखित उत्तर में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सदन में इसकी जानकारी दी। इसकी इन्सेप्शन रिपोर्ट 2018 को स्वीकृत हो चुकी है। सलाहकार द्वारा ड्राफ्ट अलाइनमेंट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के उपरांत इसे मुख्य अभियन्ता (राष्ट्रीय मार्ग) द्वारा स्वीकृति के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार को भेज दिया गया था। भारत सरकार से अभी तक इसकी मंजूरी/स्वीकृति अपेक्षित है।
करुणामूलक आधार पर रोजगार के 1609 मामले लंबित
राज्य विभिन्न विभागों में करुणामूलक आधार पर रोजगार से संबंधित कुल 1609 मामले लंबित हैं। विधायक जीत राम कटवाल, विपिन सिंह परमार, पवन कुमार काजल के संयुक्त प्रश्न के लिखित उत्तर में सरकार ने सदन में यह जानकारी दी। इसके तहत 14 जनवरी, 2025 तक वित्त विभाग में उपलब्ध सूचना के अनुसार ये मामले लंबित हैं, जबकि 30 नवंबर 2023 तक कुल 180 मामलों में नियुक्तियां प्रदान की गई है। सरकार ने जानकारी दी कि लंबित मामलों के निस्तारण की प्रक्रिया सरकार की नीति के अनुरूप संबंधित विभागों में अविलंब जारी है। करूणामूलक आधार पर रोजगार से संबंधित 30 जुलाई 2025 को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार समस्त औपचारिक अधिसूचनाएं जारी करने की प्रक्रिया सरकार के विचाराधीन है।
बादल फटने, बाढ़ की घटनाओं के अध्ययन को सरकार के पास नहीं तंत्र
पहाड़ी राज्यों में बादल फटने एवं बाढ़ की घटनाओं के कारणों का अध्ययन करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है। विधायक अनुराधा राणा के प्रश्न के लिखित उत्तर में राजस्व मंत्री ने यह जानकारी दी। सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा गठित एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय दल ने 24 से 26 जुलाई के मध्य राज्य का दौरा किया, ताकि प्रदेश में हाल के वर्षों में प्राकृतिक घटनाओं की बढ़ती प्रवृत्ति के मूल कारणों की जांच की जा सके। उक्त दल की अंतिम रिपोर्ट राज्य को अभी प्राप्त नहीं हुई है।
सीमेंट कंपनियों ने एक से 15 रुपये तक बढ़ाए सीमेंट के दाम- उद्योग मंत्री
विधायक राकेश जम्वाल के प्रश्न के लिखित उत्तर में उद्योग मंत्री ने बताया कि सीमेंट कंपनियों ने वर्ष 2023 से सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी की है। 1 जनवरी, 2023 से 31 जुलाई 2025 तक अंबुजा सीमेंट व एसीसी सीमेंट ने 7 बार, अल्ट्राटेक सीमेंट ने 6 बार सीमेंट के खुले बाजार के दामों में वृद्धि की है। औसतन वृद्धि 1 रुपए से 15 रुपये प्रति बैग पाई गई है। उद्योग मंत्री ने बताया कि सीमेंट के बाजार मूल्य निर्धारण का कार्य प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सीमेंट एक अनियंत्रित मद है। सीमेंट के रेट का निर्धारण कंपनियों द्वारा मांग व आपूर्ति के आधार पर स्वयं अपने स्तर पर ही किया जाता है।
पंचायतें वसूलेगी पानी का बिल
विधायक विपिन सिंह परमार के एस प्रश्न के लिखित उत्तर में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल को उपभोक्ता शुल्क के रूप में वसूलने का अधिकार ग्राम पंचायतों को दिया है। पंचायतों के क्षेत्राधिकार में आने वाली पेयजल योजनाओं के संचालन एवं रखरखाव का दायित्व ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है। ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्राधिकार में पड़ने वाली पेयजल योजनाओं के रखरखाव का कार्य उपभोक्ता शुल्क से प्राप्त धनराशि से होगा। 15 मई को इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया अधिसूचित की गई है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार द्वारा इस निर्णय से पूर्व ग्रामीण जनता, पंचायत प्रतिनिधियों से कोई औपचारिक परामर्श नहीं किया गया। भारत सरकार द्वारा जारी जल जीवन मिशन के दिशानिर्देशों के दृष्टिगत व जल शक्ति विभाग से परामर्श करने उपरांत ही यह निर्णय लिया गया है।
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