हिमाचल: नगर निगम मेयर का कार्यकाल 5 साल होगा, विक्रमादित्य की अनुपस्थिति में विधानसभा में अध्यादेश पेश
हिमाचल प्रदेश में नगर निगम के मेयर का कार्यकाल अब 5 साल का होगा। यह अध्यादेश विधानसभा में विक्रमादित्य सिंह की गैरमौजूदगी में पेश किया गया। सरकार का मानना है कि इस फैसले से नगर निगमों में स्थिरता आएगी और विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। इस अध्यादेश का मुख्य उद्देश्य मेयरों को निश्चित कार्यकाल प्रदान करना है।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में संबोधित करते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू।
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में नगर निगम महापौर व उप महापौर का कार्यकाल पांच साल का होगा। सरकार मंत्रिमंडल में लिए निर्णय के बाद इस पर अध्यादेश लाई थी, जिसे बुधवार को विधानसभा में पेश किया गया। अब सदन में सरकार का यह अध्यादेश कानून के रूप में आएगा।
शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की अनुपस्थिति में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सदन में इस अध्यादेश को पेश किया। अभी तक नगर निगमों में महापौर व उप महापौर का कार्यकाल ढाई साल का है, जिसे बढ़ाकर पांच वर्ष करने के लिए अध्यादेश लाया है।
यह दिया तर्क
सरकार का तर्क है कि मौजूदा ढाई साल का कार्यकाल जन प्रतिनिधियों को प्रभावी नेतृत्व देने और लंबे समय की विकास योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए इसे बढ़ाया जा रहा है।
अधूरे रह जाते हैं महत्वपूर्ण काम
सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि कम अवधि के कारण कई महत्वपूर्ण विकासात्मक कार्य अधूरे रह जाते हैं और निगम की प्रशासनिक स्थिरता भी प्रभावित होती है। पांच वर्ष का पूर्ण कार्यकाल मिलने से महापौर व उप महापौर को बेहतर योजनाएं, निरंतरता और सुशासन सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी, जिससे जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ सकेंगे।
इसलिए लाना पड़ा था अध्यादेश
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र में नहीं थी और संशोधन को तुरंत लागू करना आवश्यक था, इसलिए राज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 1 के तहत यह अध्यादेश 28 अक्टूबर 2025 को जारी किया। इसे 3 नवंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश राजपत्र में अधिसूचित किया था। सरकार का दावा है कि यह संशोधन जनहित में किया गया है और इससे नगर निगमों में सुशासन तथा कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।

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