रेणुका ठाकुर हाटकोटी मंदिर में माथा टेकने के बाद जाएंगी घर, प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से गदगद मां ने कही बड़ी बात
क्रिकेट विश्व कप जीतकर रेणुका ठाकुर घर लौट रही हैं। हाटकोटी मंदिर में दर्शन के बाद उनका परिवार नागरिक अभिनंदन करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने रेणुका की मां सुनीता ठाकुर के संघर्ष की सराहना की, जिससे वह बहुत खुश हैं। सुनीता ने बताया कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने उनके संघर्ष के दिनों के दर्द को कम कर दिया। रेणुका 9 नवंबर को पारसा पहुंचेंगी।

क्रिकेटर रेणुका सिंह ठाकुर भारतीय टीम की जर्सी में व मां सुनीता के साथ।
जागरण टीम, रोहड़ू (शिमला)। क्रिकेट विश्व कप जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला टीम की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर कल घर पहुंचेंगी। हाटकोटी मंदिर में माथा टेकने के बाद घर आएगी। स्वजन रेणुका का नागरिक अभिनंदन करने की तैयारी कर रहे हैं।
रेणुका की माता सुनीता ठाकुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा से गौरवान्वित हैं। सुनीता ठाकुर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से सिंगल पेरेंट के दर्द व मेहनत को समझते हुए उनका हौसला बढ़ाया, इससे हिमाचल ही नहीं बल्कि देश के हर सिंगल पेरेंट को प्रोत्साहन मिलेगा।
पहले बेटी ने सम्मान दिलाया और अब प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने संघर्ष के दौर का दर्द खत्म कर दिया। सुनीता ने बताया कि रेणुका नौ नवंबर को पारसा आ रही है।
शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के पारसा गांव की निवासी रेणुका ठाकुर ने प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली में प्रधानमंत्री से बात की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने रेणुका की मां सुनीता की तारीफ कर उनकी मेहनत व संघर्ष को पूरे देश में पहचान दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रेणुका को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां का योगदान सराहनीय है। उन्होंने सिंगल पेरेंट रहते हुए बहुत मेहनत की है।
पीएम ने कहा था, पहाड़ी की मेहनत व संघर्ष को जानते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह 1998 से लेकर 2003 तक हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी के तौर पर काम कर चुके हैं। वे पहाड़ की मेहनत व संघर्ष दोनों को जानते हैं।
1500 रुपये में की बच्चों की परवरिश
रेणुका के पिता केहर सिंह ठाकुर का निधन वर्ष 1999 में हो गया था। उनके निधन के बाद घर का सहारा छिन गया, लेकिन मां ने हार नहीं मानी। सुनीता ठाकुर उस समय जल शक्ति विभाग में दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम करती थीं। महीने के 1500 रुपये मिलते थे और इन्हीं से उन्हें दो बच्चों की परवरिश करनी थी।
सूखी रोटियां खाकर बेटी को क्रिकेटर बनाया
सुनीता ने बच्चों को कभी पैसे की कमी महसूस नहीं होने दी। बेटी को क्रिकेटर बनाने के लिए एसडीओ से पैसे भी उधार लिए। कई बार खुद सूखी रोटियां खाईं, लेकिन बेटी को हिमाचल प्रदेश क्रिकेट अकादमी (एचपीसीए) भेजा और उसकी हर जरूरत को पूरा किया। रेणुका ठाकुर जब तीन से चार वर्ष की थी तो कपड़े के बाल और लकड़ी के बैट से खेलती थी।

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