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    जम्मू-कश्मीर की जहरीली होती जा रही है हवा, स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 के आंकड़े चौंकाने वाले

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 03:50 PM (IST)

    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और जम्मू शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में श्रीनगर 21वें और जम्मू 22वें स्थान पर है। निर्माण कार्य और ठोस कचरा प्रबंधन में कमज़ोरी प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य पूरा होने और कचरा प्रबंधन सुधरने से रैंकिंग में सुधार होगा।

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    सर्दियों में स्थिति और खराब हो सकती है।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। मैदानी इलाकों के मुकाबले पहाड़ी क्षेत्रों की आबोहवा स्वच्छ मानी जाती है और यहीं कारण है कि मैदानी इलाकों की धूल भरी जिंदगी से राहत पाने के लिए लोग पहाड़ों की ओर रूख करते हैं लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर की आबोहवा स्वच्छ नहीं है और इसमें प्रदूषण का जहर घुल चुका है।

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    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से मंगलवार को स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट जारी की गई है और इस रिपोर्ट में श्रीनगर व जम्मू शहर की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। इस रिपोर्ट में श्रीनगर शहर का स्थान 21वां है जो जम्मू शहर का स्थान 22वां आया है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में 2011 की जनगणना को आधार मानते हुए शहरों को श्रेणी में विभाजित किया गया था।

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    श्रीनगर को 10, जम्मू में 3 से 10 लाख आबादी की श्रेणी में

    श्रीनगर को दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रखा गया था और जम्मू तीन से दस लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में आता है। हालांकि 2023 में श्रीनगर चौथे स्थान पर था और जम्मू 38वें रैंक पर। वर्ष 2024 में दोनों शहरों का डाटा समय पर नहीं भेजा जा सकता जिसके चलते रैंकिंग नहीं हुई और इस बार श्रीनगर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में लुढक कर 21वें स्थान पर पहुंच गया है जबकि 2013 की तुलना में जम्मू की रैंकिंग में सुधार हुआ है।

    लोगों को जागरूक करना सर्वेक्षण का उद्​देश्य

    इस सर्वेक्षण का उद्देश्य लोगों में वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने, खराब हवा के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले असर, विभिन्न शहरों की वायु गुणवत्ता की तुलना और सबके लिए साफ हवा के लक्ष्य को हासिल करना था।

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    यह रैंकिंग स्थानीय निकायों की स्वयं मूल्यांकन रिपोर्ट और उसके बाद एयर क्वालिटी मानिटरिंग कमेटी, जिसे प्रमुख सचिव के आधार पर किया जाता है, के आधार पर की जाती है। इसमें ठोस कचरा जलाने, सड़कों पर धूल, निर्माण व ध्वस्तीकरण संबंधी कचरा की धूल के अलावा वाहनों से निकलने वाले धुआं और उद्योगों से फैलने वाले प्रदूषण समेत आठ सेक्टर में मूल्यांकन के आधार पर रैंकिंग की जाती है।

    निर्माण कार्य व वालिड वेस्ट मैनेजमेंट बना मुख्य कारण

    जानकारों की माने तो जम्मू शहर में जारी विभिन्न विकास कार्य वायु में धूल कणों के बढ़ने का मुख्य कारण है। निर्माण कार्यों के दौरान निर्माण सामग्री भी सड़कों पर रहती है जो अक्सर गाड़ियों की आवाजाही से हवा में जाती है और यहीं धूल कण वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बनते हैं।

    जानकारों का मानना है कि जैसे ही ये मुख्य निर्माण कार्य सम्पन्न होंगे, शहर की रैंकिंग में सुधार होगा क्योंकि पिछले कुछ सालों में जम्मू की रैंकिंग में लगाकर सुधार हो रहा था। दूसरा मुख्य कारण सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का है और यह प्रोजेक्ट भी इस साल अंत तक पूरा हो जाएगा जिससे शहर की रैंकिंग में काफी सुधार होगा।

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    हवा में पीएम 10 की मात्रा बढ़ी है

    जम्मू की रैंकिंग में पिछली रैंकिंग के मुकाबले काफी सुधार हुआ है लेकिन इस बार हमने देखा है कि हवा में पीएम 10 की मात्रा बढ़ी है जिससे हमारी रैंकिंग अन्य शहरों की तुलना में नीचे है। इसका मुख्य कारण एक्सप्रेस-वे का निर्माण जम्मू तक पहुंचना, कुंजवानी-सतवारी फ्लोईओवर निर्माण, भगवती नगर फ्लाईओवर निर्माण और स्मार्ट सिटी के तहत हुए निर्माण कार्य है क्योंकि सबसे अधिक धूल इन्हीं निर्माण कार्यों की वजह से हो रही है। जैसे ही ये निर्माण कार्य खत्म होंगे, आप देखेंगे कि जम्मू की रैंकिंग में एकदम उछाल आएगा क्योंकि औद्याेगिक प्रदूषण व वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर काफी हद तक काबू पाया गया है। -वासु यादव, चेयरमैन प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण समिति

    सर्दियों में और नाजुक हो सकती है स्थिति

    सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर आमतौर पर काफी बढ़ जाता है। धुंध व कोहरे के कारण धूल कण जमीन के निकट आ जाते है जिससे पीएम 10 का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा खेतों में पराली जलाए जाने से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सर्दियों के दिनों में जम्मू में यह समस्या बढ़ सकती है।

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    क्या होता है पीएम 10

    पीएम 10 हवा में मौजूद कणों (कणिकीय पदार्थ) का एक प्रकार है, जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। ये कण सांस के द्वारा फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, क्योंकि इनमें धूल, कालिख, धातु और अन्य हानिकारक रसायन शामिल हो सकते हैं. पीएम 10 के संपर्क में आने से खांसी, घरघराहट और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और यह हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

    पीएम 10 के स्रोत :

    दहन प्रक्रियाएं :

    • कोयला, लकड़ी, डीजल और कृषि अपशिष्ट के अधूरे दहन से उत्पन्न कण

    वाहन :

    • कारों के टायरों के घिसाव से निकलने वाले कण

    निर्माण :

    • निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल

    औद्योगिक व कृषि प्रक्रियाएं

    • विभिन्न औद्योगिक और कृषि गतिविधियों से उत्पन्न कण

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    स्वास्थ्य पर प्रभाव

    • यह खांसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है।
    • अस्थमा या तीव्र ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए स्थिति बिगड़ सकती है।
    • उच्च सांद्रता के नियमित संपर्क से दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
    • बेंजोपाइरीन जैसे कैंसरकारी पदार्थ भी पीएम 10 में पाए जा सकते हैं।