बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में हालात का जायजा लेने के बाद दिल्ली लौटे अमित शाह, जानिए केंद्रीय गृहमंत्री के दौरे के मायने
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन कर प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने का निर्देश दिया। अमित शाह ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया और क्षेत्र में विकास कार्यों को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बाढ़ से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में हालात का जायजा लेने के बाद दिल्ली लौट गए। उनके यहां दौरा सिर्फ जम्मू प्रांत की बाढ़ प्रभावित जनता और प्रदेश प्रशासन को भी बाढ़ से क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मुरम्मत और पुनर्बहाली के लिए केंद्र से आवश्यक वित्तीय पैकेज दिलाने तक सीमित नहीं है।
उनका यह दौरा प्रदेश के मौजूदा आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर भी महत्व रखता है। केंद्रीय गृहमंत्री ने अपने दौरे के दौरान सिर्फ पीड़ितो के आंसू पोंछने का काम नहीं किया है, उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश देते हुए पहलगाम जैसी किसी दूसरी की घटना की पुनार्वृत्ति रोकने के लिए हर संभव उपाय करने को कहा है।
बीते तीन माह के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री का यह दूसरादौरा है। इससे पूर्व वह पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी के दौरे पर आए थे। उनका यह दौरा बाढ़ से उपजेज हालात के मदृदेनजर है। वह रविवार की रात 09:35 बजे जम्मू पहुंचे थे और सोमवार की शाम 05.34 बजे दिल्ली रवाना हुए हैं। उनका यह दौरा पहले दौरे की अपेक्षा ज्यादा व्यस्त रहा है।
अमित शाह ने तीन बैठकें की
उन्होंने आज तीन बैठकें की, दो विशुद्ध प्रशासनिक मुद्दों पर केंद्रित थी और तीसरी बैठक भाजपा के नेताओं के साथ थी। बैठकों से पहले उन्होंने जम्मू शहर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। वह चौथे तवी पुल का जायजा लेने भी गए, उन्होंने क्षतिग्रस्त शिवमंदिर को भी देखा।
आरएसपुरा सेक्टर में मंगू चक्क में भी बाढ़ पीढ़ितों से मिले और उन्होंने वहां एक नहीं कई पीडितों से सीधी बात की और उन्हें मदद का यकीन दिलाया। इसके बाद उन्होंने राजभवन में बैठकों में हालात का जायजा लिया।
उनके इस दौरे ने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के विरोधियों को भी चुप कराया है, जो कह रहे थे कि केंद्र सरकार को, भाजपा को चाहिए कि वह जम्मू के लिए कोई बड़ा राहत पैकेज घोषित करना चाहिए। यह मांग करने वालों में सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी से लेकर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कोई पैकेज घोषित नहीं किया
हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री ने कोई पैकेज घोषित नहीं किया है,लेकिन जिस तरह से उन्होंने बाढ़ से उपजे हालात की बैठक में समीक्षा करते हुए निर्देश जाीर किए हैं,उससे स्पष्ट हो जाता है कि पैकेज मिलेगा और एक व्यावहारिक पैकेज मिलेगा।
जिसका एलान आने वाले दिनों में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। पैकेज को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आवश्वस्त हैं और उनहोंने बैठक के बाद इसकी उम्मीद नहीं यकीन दिलाया है।
बाढ़ से हुई तबाही सिर्फ नागरिक बुनियादी ढांचे ी नहीं हुई है, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी भारत के सिक्याेरिटी ग्रिड को भी नुक्सान हुआ है। इस नुक्सान का पाकिस्तान पूरा लाभ उठाने की फिराक में है और केंद्रीय गृहमंत्री का आगमन और सुरक्षा परिदृश्य पर बैठक बताती है, जम्मू कश्मीर के सीमांत इलाकों की सुरक्षा हो या आंतरिक सुरक्षा, केंद्र सरकार की आज भी पहली प्राथमिकता है।
आतंक के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति
केंद्रीय गृहमंत्री ने बैठक में मौजूद सुरक्षा एजेंसियों केा क्षतिग्रस्त सुरक्षा ढांचे की युद्धस्तर पर मरम्मत कर उसे पूरी तरह बअहाल करने और सीमांत इलाकों में किसी भी स्तर पर घुसपैठ की किसी भी आशंका को समाप्त करने के लिए हर संभव उपाय करने का निर्देश दिया है। उन्होंने आतंक के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के अनुपालन पर जोर दिया है।
जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद शाह ने कहा कि अमित शाह के दौरे को अगर आप ध्यान से देखें तो यह प्रशासनििक- प्रतिरक्षा तक ही नहीं राजनीतिक भी है। उन्होंने अपने दौरे के दौरान जिस तरह से बाढ़ प्रभापितों से मुलाकात की है और बैठक में नुक्सान के सर्वे के बाद ही वित्तीय मदद का यकीन दिलाया है, उससे उन्होंने लोगों को यकीन दिलाया है कि केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी है।
घुसपैठरोधी तंत्र की समीक्षा
उन्होंने सुरक्षा परिदृश्य का जायजा लिया है और आतंकरोधी अभ्यािनों के साथ साथ घुसपैठरोधी तंत्र की समीक्षा की है। अमूमन , जब कोई प्राकृतिक आपदा होती है तो सुरक्षा संबंधी मामलों को इस तरह से तरजीह नही दी जाती। उन्होंने दी है।
इसके साथ ही उन्होंने अपने इस दौरे से भाजपा व केद्र के विरोधियों का मुहं बंद करने के अलावा भाजपा नेताओं के साथ जो बैठक की है, उससे उन्होंने भाजपा के राजनीतिक हितों का भी ध्यान रखा है। भाजपा नेताओं के साथ उनकी बैठक को आप जम्मू कश्मीर में निकट भविष्य में संभावित पंचायत,नगर निकाय चुनावों के साथ भी जोड़ सकते हैं।
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