डॉक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक लगाने वाले आदेश पर स्टे, कैट ने कहा- 23 सितंबर तक अपना पक्ष रखे विभाग
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की जम्मू बेंच ने स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक के आदेश पर रोक लगा दी है। कैट ने विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। किशोर कुमार गुप्ता को चीफ इंजीनियर के पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया गया है ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है।
जेएनएफ, जागरण, जम्मू। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के जम्मू बेंच ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है जिसमें कुछ डाॅक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक लगाई गई थी। कैट ने डा. राज कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 28 जुलाई को विभाग की ओर से जारी आदेश पर स्टे लगाया।
डाॅक्टरों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिनव शर्मा ने दलील दी कि विभाग की ओर से बिना याचियों का पक्ष सुने एक तरफा आदेश जारी किया गया जोकि गैर-कानूनी है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से आधार बनाया गया कि हीरानगर, विजयपुर व सांबा के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डाॅक्टर मरीजों को निजी क्लीनिकों में जाने के लिए विवश करते हैं, जबकि इसका कोई सबूत पेश नहीं किया गया।
इस पर कैट ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए 23 सितंबर तक अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए और तब तक डाॅक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक लगाने संबंधी आदेश पर स्टे लगा दिया।
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अतिक्रमण हटाने पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब
सूरनकोट तहसील के हरी गांव में वन विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण के मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की दिशा में की गई कार्रवाई पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। गांव के लोगों की ओर से दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में 30 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया गया था लेकिन इसका फालोअप नहीं किया गया और न ही ताजा रिपोर्ट पेश की गई। लिहाजा अगली सुनवाई के दौरान ताजा स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए।
याची को स्थायी करने के निर्देश
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखते हुए याची किशोर कुमार गुप्ता को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल ने 21 अक्टूबर 2024 को याची को चीफ इंजीनियर पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया था लेकिन प्रदेश प्रशासन की ओर से ट्रिब्यूनल के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
सरकार की ओर से पक्ष रखा गया था कि याची के खिलाफ विभागीय जांच का मामला लंबित था, लिहाजा डीपीसी में उनके नाम को पदोन्नति की स्वीकृति नहीं मिली। वहीं याची की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि जनवरी तक यह जांच लंबित थी और फरवरी तक याची को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
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उसके बाद पदोन्नतियां हुई लेकिन याची को चीफ इंजीनियर पद पर स्थायी नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को उचित ठहराते हुए प्रदेश प्रशासन की अपील खारिज कर दी और याची किशोर कुमार गुप्ता को चीफ इंजीनियर के पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया।
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