जम्मू-कश्मीर को एक और तोहफा, चिनाब ब्रिज के बाद पेश है उत्तर भारत का सबसे लंबा पुल, 40 से ज्यादा गांवों को फायदा
जम्मू के अखनूर सेक्टर में चिनाब नदी पर बन रहा इंदरी-पत्तन पुल इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह पुल सीमावर्ती गांवों में विकास लाएगा और सेना की स्थिति मजबूत करेगा। लगभग पौने दो किलोमीटर लंबा यह पुल उत्तर भारत में सबसे लंबा होगा। यह पुल सजवाल और इंदरी-पत्तन के बीच की दूरी को 47 किलोमीटर से घटाकर 5 किलोमीटर कर देगा।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू के अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास चिनाब नदी पर इंदरी-पत्तन पुल इस वर्ष के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण यह पुल न सिर्फ 40 से ज्यादा सीमावर्ती गांवों में विकास और खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करेगा बल्कि अखनूर और प्लांवाला सेक्टर में भारतीय सेना की स्थिति और पहुंच को और ज्यादा मजबूत बनाएगा।
यह पुल उत्तर भारत में किसी भी नदी पर बनने वाला सबसे लंबा पुल होगा। इसकी लंबाई करीब पौने दो किलोमीटर है। सीमावर्ती परगवाल को जम्मू-अखनूर हाईवे से जोड़ने वाली एक मात्र सड़क सुआ नंबर-एक लोगों के लिए जीवन रेखा का काम करती है, लेकिन पाकिस्तान की भारी गोलाबारी की स्थिति में 25-30 हजार की आबादी का संपर्क प्रदेश के अन्य भागों से कट जाता है, क्योंकि यह एकमात्र सड़क कई जगहों पर सीमा के करीब और पाकिस्तानी सेना की सीधी फायरिंग रेंज में है।
चिनाब नदी पर सजवाल के निकट बना यह ब्रिज
इस पुल के बनने से यह परेशानी भी दूर होगी। यह पुल चिनाब नदी पर सजवाल के निकट इंदरी-पत्तन और परगवाल के बीच बनाया जा रहा है। इस डबल लेन पुल का स्पैन 1640 मीटर है। पुल के बनने से सजवाल और इंदरी-पत्तन के बीच की दूरी 47 किलोमीटर से घटकर मात्र पांच किलोमीटर रह जाएगी। यह परगवाल को ज्यौड़ियां क्षेत्र से जोड़ेगा।
इससे आम लोगों के साथ सेना को ज्यौड़ियां-प्लांवाला में एलओसी तक पहुंचने के लिए मौजूदा अखनूर मार्ग का एक कम दूरी का विकल्प उपलब्ध कराएगा। इस पुल की मांग आजादी के बाद से ही हो रही थी, कई बार योजना बनी, लेकिन कागजों में सीमित रही।
अलबत्ता, वर्ष 2016 मे केंद्र सरकार ने 206 करोड़ रुपये की लागत से इस पुल को मंजूरी दे दी और 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू में इसका वर्चुअल शिलान्यास किया था।
2023 में शुरू हुआ दोबारा से काम
अलबत्ता, कोविड काल और तत्कालिक सुरक्षात्मक परिदृश्य के अलावा ठेकेदारों के भुगतान संबंधी मामलों के कारण काम अधर में लटक गया था। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निजी हस्तक्षेप के बाद वर्ष 2023 में इस पर काम दोबारा शुरू हुआ। अधिकरियों ने बताया कि यह पुल परगवाल व खौड़ तहसील के बीच की दूरी को भी 55 किलोमीटर से घटाकर मुश्किल से 14 किलोमीटर कर देगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।