जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट झीलों के संरक्षण को लेकर सख्त, एक्शन प्लान बनाने के दिए निर्देश
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की प्रमुख झीलों के संरक्षण के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया है जिसमें पहले से ही देरी हो चुकी है। वुलर झील सुरुईंसर-मानसर हैगम शलबुग सो-कर और सो-मोरारी झील के संरक्षण पर टिप्पणी की गई है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दोनों प्रदेशों और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद निर्देश दिया।

जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट ने दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की प्रमुख झीलों के संरक्षण को लेकर एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसमें पहले से ही काफी विलंब हो चुका है। हाईकोर्ट ने वुलर झील, सुरुईंसर-मानसर, हैगम, शलबुग, सो-कर व सो-मोरारी झील के संरक्षण को लेकर टिप्पणी की है।
प्रदेश के वेटलैंड के संरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने दोनों प्रदेशों व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से सौंपी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद निर्देश दिए। बेंच को बताया कि वुलर झील के लिए इंटीग्रेटिड मैनेजमेंट प्लान को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है। सुरुईंसर-मानसर झील के लिए प्रदेश प्रशासन ने प्लान नहीं दिया है।
हैगम व शैलबुग वेटलैंड के लिए आइआइटी रूढ़की से तकनीकी राय ली जा रही है। एक सप्ताह के भीतर यह प्रक्रिया पूर्ण होगी। लद्दाख की सो-कर व सो-मोरारी झील के लिए प्लान अभी नहीं मिला है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सालिस्टर जनरल ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट को विश्वास दिलाया कि एक सप्ताह में आवश्यक मंजूरी प्रदान कर दी जाएगी।
हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक नदीम कादरी ने बताया कि 200 करोड़ आवंटित होने के बावजूद वूलर झील के साथ लगते 33 गांवों की गंदगी को झील में जाने से रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। कोर्ट ने छह अक्टूबर को केस की अगली सुनवाई निर्धारित करते हुए जमीनी स्तर पर हो रहे काम की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
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