जम्मू-कश्मीर राज्यसभा चुनाव में BJP और NC के बीच टक्कर, यूं समझें इलेक्शन में उम्मीदवारों की हार-जीत का गणित
जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस और पीडीपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने समर्थन मांगा है, लेकिन दोनों दलों ने अंतिम समय तक निर्णय टाल दिया है। इस खींचतान का लाभ भाजपा को मिल सकता है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस-पीडीपी का सस्पेंस, बीजेपी को फायदा (File Photo)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा में चार सीटों के लिए शुक्रवार (24 अक्टूबर) को होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस और पीडीपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
बुधवार को श्रीनगर में नेकां की सहयोगी दलों के साथ बैठक में दूरी बनाने वाली कांग्रेस ने कहा कि वह हाईकमान के निर्देश का इंतजार कर रही है। वहीं, नेकां की ओर से चुनाव में सहयोग मांगने पर पीडीपी ने कहा कि गुरुवार को होने वाली पार्टी की बैठक में इसका निर्णय लेंगे।
छह विधायकों वाली कांग्रेस और तीन विधायक वाली पीडीपी ने नेकां को समर्थन देने का निर्णय अंतिम समय तक टाल दिया है। ऐसे में पार्टियों के जारी खींचतान का लाभ भाजपा को होता दिख रहा है।
मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों और विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को देखते हुए चार में से तीन सीटों पर 41 विधायकों वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है और चौथी सीट की लड़ाई में 28 विधायकों वाली भाजपा का पलड़ा भारी है।
हालांकि, अंतिम समय तक राजनीति में कुछ भी संभव है। राज्यसभा चुनाव को लेकर गर्माई सियासत के बीच पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने इस चुनाव में हिस्सा लेने से पहले ही इन्कार कर दिया है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ चुनाव जीतने वाले अवामी इतेहाद पार्टी के विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उनके भी मतदान में शामिल होने के आसार कम हैं।
उमर की रणनीति पर कांग्रेस को ऐतराज
हालांकि, शोपियां के विधायक बशीर अहमद कुले ने स्पष्ट किया है कि वह मतदान में हिस्सा लेंगे। उमर ने राज्यसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए श्रीनगर में बुधवार को बैठक बुलाई थी। इसमें कांग्रेस ने शामिल न होकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी है। बता दें कि नेकां के असुरक्षित सीट से उम्मीदवार उतारने की पेशकश को कांग्रेस ने ठुकरा दिया था। कांग्रेस राज्यसभा की एक सुरक्षित सीट मांग रही थी।
इसके बाद कांग्रेस ने नगरोटा विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में भी अपना उम्मीदवार उतारने से इन्कार कर दिया था। नेकां की बैठक में हिस्सा न लेने वाली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद करा ने कहा कि हम पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद वीरवार को राज्यसभा चुनाव को लेकर रणनीति की घोषणा करेंगे।
नेकां ने कांग्रेस, पीडीपी से एकजुट होकर भाजपा को हराने के लिए समर्थन मांगा था, लेकिन बुधवार को इन दोनों दलों ने पत्ते नहीं खोले। पीडीपी प्रधान महबूबा मुफ्ती ने भी नेकां को समर्थन देने की हामी नहीं भरी।
ऐसे होगा राज्यसभा का चुनाव
राज्यसभा की चार सीटों में से दो सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव होगा, यानी एक विधायक दोनों सीट पर अलग-अलग वोट डालेगा। दो अन्य सीट के लिए एकसाथ चुनाव होना है। इन दोनों सीटों के लिए एक विधायक सिर्फ एक बार ही वोट डाल सकता है। सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के 41 विधायक हैं, ऐसे में दो सीटों के लिए अलग-अलग होने वाले चुनाव को जीतने में नेकां सक्षम है।
वहीं, एक साथ दो सीटों के लिए चुनाव में नेकां 30 वोटों के साथ एक सीट तो जीत लेगी, लेकिन उसके पास दूसरी सीट के लिए 11 वोट ही बचेंगे। इस सीट के लिए भाजपा के पास अपने 28 विधायक हैं। ऐसे में अन्य दलों के विधायकों के चुनाव से दूरी बनाने का लाभ भाजपा को ही मिलेगा। चौथी सीट भाजपा के उम्मीदवार सत शर्मा को मिलना तय है।
नेकां की तीन सुरक्षित सीट के लिए चौधरी मोहम्मद रमजान, सज्जाद अहमद किचलू और शम्मी ओबराय उम्मीदवार हैं। वहीं, असुरक्षित चौथी सीट के लिए नेकां ने इमरान नबी डार को मौका दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें हैं और मौजूदा समय में 88 विधायक मतदान करेंगे। बड़गाम व नगराटा की दो खाली सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होना है।
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