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    एलजी मनोज सिन्हा बोले- सब चलता है की मानसिकता से बाहर निकल पुराने पाठ्यक्रम में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 06:26 PM (IST)

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हमें सब चलता है की सोच से बाहर आकर शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने होंगे जिससे भारत ज्ञान अर्थव्यवस्था बन सके। उन्होंने कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन करते हुए मानव पूंजी और इनोवेशन में निवेश पर जोर दिया। बदलती प्रौद्योगिकी के कारण हमें असाधारण गुणों वाले मानव संसाधनों की आवश्यकता है।

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    सिन्हा ने छात्रों के विकास के लिए बेहतर शिक्षा वातावरण और कौशल विकास को महत्वपूर्ण बताया।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हमें सब चलता है, की मानसिकता से छुटकारा पाना होगा और कालेजों और विश्वविद्यालयों के पुराने पाठ्यक्रम में क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा ताकि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदला जा सके।

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    हमारी शीर्ष प्राथमिकता मानव पूंजी, नवाचार और अनुसंधान में निवेश होनी चाहिए। उपराज्यपाल ने आज केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर, गांदरबल के तुलमुला परिसर में प्रशासनिक ब्लाक और एम्फीथिएटर का उद्घाटन किया।

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    अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत अगले दो दशकों में महत्वपूर्ण विकास के लिए तैयार है और विकसित भारत 2047 के अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अकादमिक और छात्रों का महत्वपूर्ण योगदान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारा विकास मॉडल मानव पूंजी बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सके।

    उन्होंने छात्रों के लिए आकर्षक शिक्षा वातावरण प्रदान करने, महत्वपूर्ण सोच और जीवन कौशल, समस्या समाधान और नवाचार को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। उपराज्यपाल ने कहा कि अंत : विषय पाठ्यक्रमों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

    इन पाठ्यक्रमों से न केवल रचनात्मकता, नवाचार, सोच और कौशल का विकास होता है, बल्कि छात्रों को उनके सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्वों के प्रति भी जागरूक किया जाता है। विश्वविद्यालय विकास का केंद्र है और छात्र इसके परिधि हैं।

    मानव विकास कभी भी यांत्रिक नहीं होता है। इसके लिए बेहतर विश्वविद्यालय, शिक्षक और शिक्षा वातावरण की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि तेजी से विकास और बदलती प्रौद्योगिकी के कारण, हमें असाधारण गुणों वाले मानव संसाधनों की आवश्यकता है।

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    उनमें आजीवन सीखने की क्षमता और समय के साथ बदलने की क्षमता होनी चाहिए ताकि वे अपने कौशल को पुनः विकसित और उन्नत कर सकें। इस अवसर पर कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के नव नियुक्त फैकल्टी के लिए 7-दिवसीय प्रवेश कार्यक्रम भी शुरू किया गया। इस अवसर पर वीसी प्रो ए रविंद्र नाथ, डीआईजी राजीव पांडे उपस्थित थे।