किसान राहत कोष को लेकर किसानों में तेज हुई चर्चा, ब्लाक स्तर पर हो रही बैठकें
सरहदों की सुरक्षा कर रहे सैनिक को अगर कुछ हो जाए तो उसके परिवार का ख्याल सरकार रखती है लेकिन खेतों में काम कर रहे सैनिक की अगर आकस्मिक मृत्यु हो जाए तो पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने वाला कोई नजर नहीं आता।

जम्मू, जागरण संवाददाता : किसान राहत कोष बनाने की मांग को लेकर किसानों में अब खुलकर चर्चाएं होने लगी हैं। ब्लाक स्तर पर भी बैठकों का दौर शुरू कर दिया गया है ताकि इस मामले को लेकर आम राय बनाई जा सके। किसानों का कहना है कि किसान देश का अनाज का भंडार भरने का काम करना है। उसको भी ऐसे ही सुविधा मिलनी चाहिए जैसे कि एक सिपाही को मिलती है।
सरहदों की सुरक्षा कर रहे सैनिक को अगर कुछ हो जाए तो उसके परिवार का ख्याल सरकार रखती है, लेकिन खेतों में काम कर रहे सैनिक की अगर आकस्मिक मृत्यु हो जाए तो पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने वाला कोई नजर नहीं आता। किसानों के परिवारों का ख्याल भी तो रखा जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड के सदस्य कुलभूषण खजुरिया ने कहा कि किसान राहत कोष बनाने की मांग कोई नई नहीं है। लंबे समय से किसान इस कोष को बनाने की बात कर रहे हैं मगर सरकार की समझ में यह बात नही आ रही है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में श्रीनगर में किसानों की हुई बैठक में इस मुद्दे पर जमकर चर्चा हुई और किसानों ने किसान राहत कोष पर विचार करने के लिए कहा। इस कोष का बनना बेहद जरूरी है और इस पर चर्चा होनी चाहिए। वहीं किसानों ने कहा कि हर साल जम्मू-कश्मीर में खेतों में काम करते समय सर्पदंश या पंप सेट की मोटर चलाते हुए करंट लगने से कई किसानों की मौत हो जाती है।
सीमांत क्षेत्रों में तो कई बार पाक गोलीबारी में भी किसानों की जानें गईं। वहीं खेतों में काम करते समय हदय गति रुकने से भी किसानों की मौत हो जाती है। मगर बाद में किसान परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो जाता है। अगर किसान राहत कोष होगा तो उसमें से राशि पीड़ित परिवार को दी जा सकती है।
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