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    मुख्यमंत्री उमर का बड़ा आरोप, 'जम्मू-कश्मीर में परिसीमन एक हेरफेर था, भाजपा को फायदा पहुंचाना था मकसद'

    By NAVEEN SHARMAEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 03 Dec 2025 01:57 PM (IST)

    JammuKashmirNews: जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को लेकर उमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर आरोप लगाया कि यह हेरफेर था। उन्होंने चुनाव आयोग से एसआईआर पर स्पष्टीकरण द ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर दिया।

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। JammuKashmirNews: कैबिनेट बैठक के बाद उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बात करते हुए कई मुद्दों पर बात की। इसी दौरान उन्होंने चुनावी कमजोरियों के बारे में अपनी पुरानी चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें वोट चोरी को मुमकिन नहीं बनातीं, फिर भी दूसरे तरीकों से चुनावों में हेरफेर किया जा सकता है। 

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    उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए परिसीमन की बात करते हुए आरोप लगाया कि जम्मू में छह सीटें जोड़ना एक खास पॉलिटिकल पार्टी (भाजपा) को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। यह “एक हेरफेर” ही था। 

    इसी बीच स्टेटमेंट ऑफ़ इंटेंट रिपोर्ट (एसआइआर) के खिलाफ विपक्ष के विरोध पर भी बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने इसकी ज़िम्मेदारी सीधे चुनाव आयोग पर डाली। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को देश में निष्पक्ष स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह सुनिश्चित बनाने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और इस प्रक्रिया से संबंधित सभी राजनीतिक हितधारकों को इसका मकसद और इसका मेकैनिज्म समझना चाहिए। 

    चुनावी प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता जरूरी

    इंस्टीट्यूशनल क्लैरिटी और बड़े पैमाने पर पॉलिटिकल बातचीत की मांग करते हुए मुख्यमंत्री उमर ने चुनाव आयोग से सभी पार्टियों को बुलाने और एसआईआर के बारे में साफ-साफ बताने की अपील की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चुनावी प्रक्रिया में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता सबसे जरूरी है।

    शिक्षण संस्थानों को सांप्रदायिक सोच और बहस से दूर रखना चाहिए

    श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस दाखिले को लेकर चल रहे विवाद से जुड़े सवाल के जवाब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसे जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि “अगर आप धर्म के आधार पर बांटना चाहते हैं, तो आप वह जगह अल्पसंख्यकों के लिए पूरी तरह आरक्षित कर दें। 

    इस तरह के विवाद ऐसे संस्थानों की निष्पक्षता उनके उद्देश्य को कमजोर बनाते हैं। समाज को बांटने का काम करते हैं। शिक्षण संस्थानों को सांप्रदायिक सोच और बहस से दूर रखना चाहिए।