जम्मू बाढ़ प्रभावितों की कम नहीं हो रही दिक्कतें, बारिश के साथ बढ़ती जा रही धड़कनें, खाने-पीने को मोहताज हुए लोग
जम्मू में भारी बारिश से त्राहिमाम! निचले इलाकों में रहने वाले लोग बेहाल हैं पिछली बाढ़ में भारी बर्बादी झेल चुके लोगों का कहना है कि इस बार तो आफत की वर्षा हुई है। प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिली है। प्रभावित लोग खाने-पीने की चीजों के लिए भी तरस रहे हैं। निजी संस्थाओं ने थोड़ी मदद की है लेकिन हालात बदतर हैं।

जागरण संवाददाता, जम्मू। भगवान करे कि अब वर्षा थम जाएं। अब और बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं है। पहले ही सब बर्बाद हो चुका है। रोज-रोज के भारी वर्षा के अलर्ट चिंतित कर रहे हैं।
डर लगा रहता है कि जाने रात को कब पहले की तरह ही पानी घरों में घुस आए और प्राण पखेरू उड़ जाएं। सच कहा है किसी ने मुसीबत में कोई साथ नहीं देता। न तो प्रशासन और न ही कोई ओर हमारी मदद ही कर रहा है। आश्वासनों से ज्यादा कुछ मिला नहीं है।
यह कहना है कि त्रिकुटा नगर, नानक नगर, रूपनगर डिग्याना, माडल टाउन के निचले क्षेत्रों में रहने वाले उन लोगों को जिन्होंने पिछली बाढ़ में भारी बर्बादी सही। उनका कहना है कि इस बार तो आफत की वर्षा हुई है। पहले भी जलभराव होता था लेकिन इतना नहीं कि सबकुछ ही बर्बाद हो जाए। हमारे घरों में आटा तक नहीं बचा था।
घर बर्बाद हो गए। सामान बचा नहीं। जिंदगी थम सी गई है। प्रशासन व नेता दावे तो बहुत कर रहे हैं लेकिन हमारे हाथ अभी तक तो कुछ नहीं आया। बारिशों के चलते दिहाड़ी भी नहीं लगी। खाने-पीने के लाले पड़ चुके हैं। हाथ भी तो फैलाए नहीं जाते, फैलाएं भी किसके आगे। सब आश्वासन दे रहे हैं, कोई सहायता को नहीं आ रहा।
तबाही से उभर नहीं पा रहे लोग
शहर के निचले क्षेत्रों राजेंद्र शर्मा, राजीव नगर, गुज्जर नगर, पीरखोह, त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन, आंबेडकर नगर, नानक नगर, संजय नगर, प्रीत नगर, रूपनगर डिग्याना, ऊधम सिंह नगर, सारिका विहार, जानीपुर, तोमाल, तालाब तिल्लो में 24 अगस्त, रविवार और 26 अगस्त, मंगलवार को वर्षा से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। आज दिन तक लोगों के घरों में मलबा, कीचड़ खत्म नहीं हो सका है।
खाने-पीने की चीजें नहीं रहीं। इस बाढ़ से प्रभावित लोग उभर नहीं पा रहे हैं। अभी तक प्रशासन की तरफ से इन लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। कुछ निजी संस्थाओं व लोगों ने थोड़ी-बहुत खाने-पीने की चीजें देकर मदद जरूर की है लेकिन कुछ मिलाकर हालात बदतर हैं। चूंकि नाले टूट चुके हैं। जलभराव का खतरा बढ़ा हुआ है। आए दिन मौसम विभाग भारी वर्षा का अलर्ट जारी कर रहा है।
यह भी पढ़ें- बिना टिकट ट्रेनों में सफर करने वालों पर रेलवे का एक्शन, अगस्त में यात्रियों से वसूला 35 लाख रुपये जुर्माना
दावे नहीं काम होना चाहिए
‘जनाब, प्राकृतिक आपदा है। ऐसे समय के लिए ही तो सरकार चुनी जाती है। हमारी सरकार, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। लोगों का सब बर्बाद हो चुका है। कोई राहत नहीं मिली। टीवी, इंटरनेट पर दावे ही सुनने को मिल रहे हैं। हम बेहाल हैं।’ -सुभाष चंद्र शर्मा, निवासी विक्रम चौक
‘बिना देरी सरकार को प्रभावितों को राहत देनी चाहिए थी। ऐसा नहीं हुआ। कभी एक तो कभी दूसरा नेता आकर आश्वासन दे रहा है। आठ दिन हो चुके हैं। फिर बारिश आ रही है। नुकसान कर रही है। हमारी मदद तो किसी ने नहीं की। बातें बहुत हो रही हैं।’ -रानी देवी, निवासी प्रेम नगर
‘यह आपदा का समय है। जम्मू की अनदेखी इस आपदा में सामने दिख रही है। श्रीनगर में ऐसा हुआ था तो पूरा प्रशासन, सरकार और केंद्र खुलकर सामने आ गया था। हर प्रकार की राहत तुरंत जारी की गई। यहां आठ दिन बाद भी कुछ नहीं।’ -योगेश धर, निवासी त्रिकुटा नगर
श्रमिक और मशीनरी जुटी
‘नगर निगम और प्रशासन की तरफ से हरेक प्रभावित मुहल्ले में यथासंभव कर्मचारियों और मशीनरी की तैनाती कर राहत प्रदान करने का काम पहले दिन से हो रहा है। ज्यादा इलाके प्रभावित हुए हैं। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को तुरंत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। मुफ्त पानी के टैंकर, बिजली-पानी की व्यवस्था बनाने को प्राथमिकता दी गई है। अन्य सुविधाएं भी तेजी से दी जा रही हैं।’ -डा. देवांश यादव, आयुक्त, जम्मू नगर निगम
यह भी पढ़ें- बसंतर नदी की बाढ़ ने जिला सांबा के सीमांत किसानों को दिए कभी न भरने वाले जख्म, 400 एकड़ कृषि भूमि पर बिछी गाद
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।