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    Jammu Kashmir: कंडी इलाकों में क्यों वन विकसित करेगा वन विभाग, क्या है विभाग की योजना

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Tue, 07 Dec 2021 12:31 PM (IST)

    वन विभाग के आयुक्त सचिव संजीव वर्मा ने बताया कि इस क्षेत्र में 3.35 लाख पौधे लगाए जाएंगे। ये वे पौधे होंगे जो कंडी इलाकों में आम पाए जाते हैं ताकि उन पौधों को बढ़ने में समस्या न हो।1365 हेक्टेयर कंडी क्षेत्र में 47 तालाब भी बनाए जाएंगे।

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    इन तालाब व बावलियों में इकट्ठा होने वाला पानी विचरण करने वाले जानवरों को पीने के लिए पानी भी मिलेगा।

    जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू संभाग के बीरान पड़े कंडी इलाकों में वनों को विकसित करने की योजना वन विभाग बना रहा है। अगले वित्त वर्ष में विभाग इस योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर रहा है और पहले चरण में कंडी इलाके में 1365 हेक्टेयर भूमि पर पौधे लगाए जाएंगे।

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    वन विभाग के आयुक्त सचिव संजीव वर्मा ने बताया कि पहले चरण में इस क्षेत्र में 3.35 लाख पौधे लगाए जाएंगे। ये वे पौधे होंगे जो कंडी इलाकों में आम पाए जाते हैं ताकि उन पौधों को बढ़ने में समस्या न हो। इसके अलावा 1365 हेक्टेयर कंडी क्षेत्र में 47 तालाब भी बनाए जाएंगे और बावलियों का भी निर्माण होगा। इससे वन क्षेत्र में जल संरक्षण भी होगा। इन तालाब व बावलियों में इकट्ठा होने वाला पानी वन क्षेत्र में विचरण करने वाले जानवरों को पीने के लिए पानी भी मिलेगा और भूजल का स्तर भी बढ़ेगा।

    वहीं वन विभाग ने इस योजना में अपने साथ सायल एंड वॉटर कंजरवेशन विभाग को भी अपने साथ मिलाया है। तालाब व बावलियां बनाने का जिम्मा इसी विभाग को सौंपा गया है जबकि इनको तैयार करने के लिए स्थानीय युवाओं की मदद ली जाएगी। युवाओं को इलाके की सुरक्षा और प्रबंधन का जिम्मा भी सौंपा जाएगा।

    वहीं संजीव वर्मा ने बताया कि कंडी क्षेत्र में वनों का विकसित करने वन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना है। कंडी इलाकों में वनों के विकसित होने से इन इलाकों में रहने वाले लोगों को लाभ मिलेगा। उनके पशुओं का चारा, जलाने की लकड़ी की पूर्ति भी उनके इलाके से हो जाएगी। कंडी इलाकों में पानी की समस्या रहती है। तालाब, बावलियां बनने से कम से कम इन इलाकों में रहने वाले लोगों के मवेशियों के लिए बारह महीने पानी की मिलेगा। वर्मा ने उम्मीद जताई कि आने वाले दो तीन वर्षों में इस योजना का लाभ लोग ले रहे हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण को भी लाभ मिलेगा।