जम्मू-कश्मीर में आतंकी मामलों की नए सिरे से छानबीन शुरू, कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के केस भी शामिल
जम्मू-कश्मीर में आतंकी मामलों की नए सिरे से छानबीन शुरू हो गई है, जिसमें कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार से जुड़े केस भी शामिल हैं। सरकार का उद्देश्य इन मा ...और पढ़ें

पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक मामले की जिला स्तर पर निगरानी की जा रही है। फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में पुलिस ने लंबित और बंद पड़े आतंकी मामलों की नए सिरे से छानबीन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। सभी थाना प्रभारियों को प्रभारियों केा अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र से ऐसे मामलों की मौजूदा स्थिति जानकारी देने के लिए कहा गया है।
इन सभी मामलों को अलग अलग वर्गों में बांटा जा रहा है और उनकी गंभीरता के आधार पर उन्हें प्राथमिकता देकर कार्रवाई की जा रही है। इनमें घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के मामले भी शामिल हैं। संबधित सूत्रों के अनुसार, सभी थाना प्रभारियों को लंबित पड़े मामलों की जांच करते हुए, उनमें वांछित तत्वों की गिरफ्तारी व उन्हें कानून के मुताबिक दंड सुनिश्चित बनाने के लिए समुचित कार्रवाई करने को कहा गया है।
जमानत पर रिहा संदिग्ध तत्वों की जमानत रद कार्रवाई जाएगी
इसके साथ ही उन्हें कहा गया कि अगर कोई जमानत पर रिहा है और उसकी मौजूदा गतिविधियां संदिग्ध हैं या फिर वह संबधित मामले में गवाहों या जांच को प्रभावित कर सकता है तो उसकी जमानत रद कराने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए। उन्होंने बताया कि सभी लंबित और बंद पड़े आतंकी मामलों को उनकी गंभीरता के आधार पर अलग अलग वर्गों में बांट, उसकी जांच का जिम्मा प्रदेश जांच एजेंसी,काउंटर इंटेलीजेंस विंग और एसआइयू को भी सौंपा जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक मामले की जिला स्तर पर निगरानी की जा रही है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों पर हमले, आम नागरिकों को अगवा करने, उनकी हत्या करने की कई आतंकी वारदातों की जांच सिर्फ पुलिस फाइलों में मामला दर्ज होने तक सीमित रही है या फिर अपराधियों के नामालूम होने होने के आधार पर जांच को कुछ समय बाद बंद कर दिया गया।इन मामलों में बंधहामा और संग्रामपोरा जैसे कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार की घटनाएं भी शामिल हैं।
फाइलों में दबे पड़े सभी आतंकी मामलों की जांच
कई मामलों में पीड़ितों द्वारा शिकायत किए जाने के बावजूद एफआइआर दर्ज न करने के भी आरोप हैं। कई मामलों में आरोपित अपर्याप्त सुबूतों के आधार पर छूट गए या फिर वह कभी पकडे़ नहीं गए। उपराज्यपाल मनोज मनोज सिन्हा ने इन सभी मामलों का संज्ञान लेते हुए पुलिस व जिला प्रशासन को फाइलों में दबे पड़े सभी आतंकी मामलों की जांच करने और उनमें आरोपितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है।
संबधित सूत्रों ने बताया कि प्रशासन ने पीड़ितों को संबधित पुलिस थानों में संपर्ककरने और संबधित मामले में अपना पक्ष रखने के लिए भी कहा है। उनसे कहा गया है कि अगर मामले की जांच में मददगार साबित होने वाला कोई साक्ष्य उनके पास है तो वह भी उपलब्ध कराएं। इससे न्याय सुनिश्चित करने मेंआसानी होगी।
सल्लाहुदीन के खिलाफ 23 वर्ष पहले मामले में उद्घोषणा भी जारी
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसी प्रक्रिया के तहत शकील बख्शी और जावेद अहमद मीर को गिरफ्तार किया है। यह दोनों वर्ष 1996 में श्रीनगर के नाज क्रासिंग इलाके में एक आतंकी के जनाजे के दौरा हिंसा, आगजनी और सुरक्षाबलों पर फायरिंग के मामले में आरोपित हैं।
यह मामला लंबे समय से दबा हुआ था और आगे नहीं बढ़ रहा था। उन्होंने बताया कि इसी तरह कश्मीरी हिंदु नर्स सरला भट्ट की नृशंस हत्या के मामले की जांच भी शुरु की जा चुकी है। हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू चीफ कमांडर मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सल्लाहुदीन के खिलाफ 23 वर्ष पहले दर्ज एक मामले में उद्घोषणा भी जारी की गई है।
कमजोर जांच के चलते आतंकियों को निकलने का मौका मिला
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी आतंकी मामलों की जो अदालत में विचाराधीन हैं या फिर जो फाइलों में बंद पड़े हैं, सभी में पीडितों को न्याय सुनिश्चित करने और अपराधियों को कठोर दंड दिलाने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। ऐसे मामले की निरंतर समीक्षा की जा रही है। इसके साथ ही उन मामलों का भी संज्ञान लिया जा रहा है, जहां संबधित जांच अधिकारियों की तथाकथित कमजोर जांच के चलते आतंकियों को निकलने का मौका मिला है।

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