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    जम्मू-कश्मीर पर मंडरा रहा अदृश्य खतरा, हर क्लीन-एयर टेस्ट में फेल हुआ प्रदेश, क्या कहती है CREA की रिपोर्ट

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 03:36 PM (IST)

    जम्मू और कश्मीर में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। CREA की रिपोर्ट के अनुसार, यहां पीएम-2.5 का स्तर WHO के मानकों से आठ गुना अधिक है। सभी जिले प्रदूषण नियंत्रण में विफल रहे हैं, जिससे सांस और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। एयर-क्वालिटी मॉनिटरिंग भी नियमित रूप से नहीं होती है। 

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    CREA ने प्रदूषित क्षेत्रों में सुधार के लिए जिला स्तर पर एक्शन प्लान बनाने पर जोर दिया है। फाइल फोटो।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है। सर्दियों का स्मॉग कश्मीर में खराब एयर क्वालिटी की एक गंभीर तस्वीर दिखाता है। वहीं सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक नई रिपोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लगातार वायु प्रदूषण की चुनौतियों को हाईलाइट किया है। 

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    वायु प्रदूषण के आंकड़े

    रिपोर्ट में पता चलता है कि केंद्र शासित प्रदेश के सभी मॉनिटर किए गए जिलों में स्तर पीएम-2.5 का स्तर 40.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा जोकि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन(डब्ल्यूएचओ) की ओर से स्वच्छ वायु के निर्धारित मापदंड से आठ गुणा अधिक रहा। यह एनालिसिस 2023 के सैटेलाइट से मिले डेटा पर आधारित है। इससे पता चलता है कि इंडो-गैंगेटिक प्लेन में पड़ने वाले जिलों में प्रदूषण की एक गंभीर समस्या है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। 

    प्रदूषण के कारण और प्रभाव

    जम्मू-कश्मीर में प्रदूषण में शायद ही कोई कमी दिख रही है। यहां के सभी जिले सर्दी, गर्मी और मॉनसून के बाद के समय में NAAQS का पालन करने में फेल हो जाते हैं। ग्राफ दिखाते हैं कि मॉनसून के बाद थोड़ी राहत मिलती है। वायु प्रदूषण के कारण सांस और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। WHO की गाइडलाइंस से लगातार ज़्यादा प्रदूषित हवा से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। 

    कभी कभार होती है एयर-क्वालिटी मॉनिटरिंग

    जम्मू-कश्मीर में एयर-क्वालिटी मॉनिटरिंग कभी-कभार ही होती है और बहुत कम रियल-टाइम डेटा उपलब्ध होता है। AIQ निगरानी डेटा नियमित रूप से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जाता है, जिससे आकलन और शमन उपायों की योजना बनाने में समस्याएं आती हैं। रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे इंडो-गंगा मैदान के सीमा पार प्रदूषण की गतिशीलता से भी करीब से जुड़े हो सकते हैं। 

    CREA ने एक्शन प्लान बनाने पर दिया जोर

    सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने एनालिसिस प्रदूषित हॉटस्पॉट में टारगेटेड मिटिगेशन का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान करने के लिए सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल करते हुए जिला स्तर पर एक्शन प्लान के लिए साफ हवा की प्लानिंग की वकालत भी की