दिल्ली विस्फोट में मारे गए बिलाल सागू का शव घाटी पहुंचा, पैतृक गांव में किया सुपुर्द-ए-खाक, हर तरफ दिखी शोक की लहर
दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट में मारे गए कश्मीरी मजदूर बिलाल अहमद सागू का शव गांदरबल स्थित उनके पैतृक गांव पहुंचा। बिलाल, जो बाबा नगरी वांगत के रहने वाले थे, दिल्ली में मजदूरी करते थे। हमले में 13 लोग मारे गए थे। विधायक मियां मेहर अली ने सरकार से बिलाल के परिवार को मुआवजा देने की मांग की।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी आतंकवाद के पीड़ित हैं।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए आतंकी विस्फोट में मारे गए एक स्थानीय नागरिक का शव बुधवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में उसके पैतृक गांव पहुंचा।
हमले में जिले के बाबा नगरी वांगत गांव से संबंधित एक कश्मीरी मजदूर बिलाल अहमद सागू की उस मौत हो गई थी जब एक आतंकी साजिशकर्ता डॉ उमर नबी ने दिल्ली में लाल किले के पास अपनी विस्फोटकों से लदी आई20 कार में विस्फोट कर दिया था, जिसमें 13 नागरिक मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।
बिलाल अहमद सागू घाटी के दूरदराज के बाबा नगरी वांगत से मजदूर के रूप में काम करने के लिए दिल्ली चले गए थे।कंगन के विधायक मियां मेहर अली उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने वांगत बिलाल के जनाने में मौजूद थे।
मीडिया से बात करते हुए मियां मेहर अली ने कहा कि गरीब ग्रामीण अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दिल्ली में मजदूरी कर रहा था। उन्होंने कहा,वह एक गरीब आदमी था, और हमने पहले भी उसके परिवार का साथ दिया है और आने वाले दिनों में भी देते रहेंगे।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला साहब पहले ही केंद्र सरकार से उस गरीब कश्मीरी के परिवार को मुआवज़ा देने का अनुरोध कर चुके हैं। उमर पहले ही कह चुके हैं कि हर कश्मीरी को शक की नज़र से नहीं देखा जाना चाहिए और बिलाल अहमद सागू की मौत साबित करती है कि कश्मीरी आतंकवादी घटनाओं के लाभार्थी नहीं, बल्कि पीड़ित हैं।

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