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    जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल को यातना मामले में CBI की चौंकाने वाली रिपोर्ट, डिप्टी एसपी समेत 7 पर आरोप पत्र दायर

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 18 Nov 2025 07:15 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर पुलिस में एक कांस्टेबल को यातना देने के मामले में सीबीआई ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। इस मामले में डिप्टी एसपी समेत सात लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। सीबीआई जांच में पता चला कि कांस्टेबल को हिरासत में लेकर बेरहमी से यातना दी गई, जिससे उसे गंभीर शारीरिक और मानसिक पीड़ा हुई। 

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    अदालत में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है।

    डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में यातना देने के मामले की सीबीआई जांच में पुष्टि हुई है कि कुपवाड़ा स्थित जेआईसी में उसी के साथी कर्मियों ने उन्हें यातनाएं दी थी। रिपोर्टों से पता चला है कि खुर्शीद को फ्रैक्चर और अन्य चोटें जबरन कबूलनामा लेने के लिए की गई पिटाई या यातना का ही नतीजा है।

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    श्रीनगर की विशेष अदालत में प्रस्तुत अपने निष्कर्षों में सीबीआई ने डिप्टी एसपी एजाज अहमद, सब-इंस्पेक्टर रियाज अहमद मीर, एसपीओ जहांगीर अहमद बेग और पांच अन्य साथी पुलिस कर्मचारियों तनवीर अहमद मल्ला, मोहम्मद यूनिस खान, शाकिर अहमद, अल्ताफ हुसैन भट और शाहनवाज अहमद दीदाद के खिलाफ कबूलनामा और जानकारी हासिल करने के लिए यातना देने का आरोप पत्र दायर किया है। 

    कुपवाड़ा हिरासत में यातना मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर आरोपपत्र में, तत्कालीन पुलिस चौकी द्रुगमुल्ला में तैनात सब-इंस्पेक्टर मंजूर अहमद शेख की गवाही, एक मजबूत सबूत बन गई है। 

    मंजूर अहमद ने दी गवाही

    सीबीआई के आरोपपत्र से पता चलता है कि सब-इंस्पेक्टर मंजूर अहमद शेख 23 और 25 फरवरी, 2023 को संयुक्त पूछताछ केंद्र (जेआईसी) गए थे ताकि चौहान का हालचाल जान सकें। चौहान को 20 फरवरी को तत्कालीन एसएसपी कुपवाड़ा के हस्ताक्षरित आदेश पर बारामूला, जहां वे तैनात था, से जेआईसी लाया गया था। 

    जब चौहान को 25 फरवरी, 2023 की दोपहर को डिप्टी एसपी एजाज अहमद के कार्यालय में शेख के सामने लाया गया तो उनका वजन एक पैर पर था। दूसरे पैर का अंगूठा मुश्किल से जमीन को छू रहा था। यही नहीं उनका एक हाथ बेकाबू होकर कांप रहा था, जो जेआईसी में कथित यातना की खामोश कहानी बयां कर रहा था। 

    जबरन कबूलनामा करवाने के लिए दी यातनाएं

    शेख की गवाही ने उन आरोपों की पुष्टि की कि चौहान को जेआईसी कुपवाड़ा में तैनात उनके आठ साथी पुलिसकर्मियों ने 20 से 26 फरवरी, 2023 के बीच लगभग छह दिनों तक मादक पदार्थों के एक मामले में जबरन कबूलनामा करवाने के लिए क्रूर यातनाएं दीं। 

    जेआईसी कुपवाड़ा जम्मू कश्मीर पुलिस की एक कड़ी सुरक्षा वाली परिचालन इकाई है जो आतंकवाद, मादक पदार्थों के मामलों में संदिग्धों और आरोपियों से पूछताछ करने के अलावा विभिन्न अभियानों में जिला पुलिस का सहयोग करती है। 

    पुलिस उपाधीक्षक एजाज अहमद और उप निरीक्षक रियाज अहमद ने शेख को बताया कि कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान दो अन्य व्यक्तियों के साथ, मादक पदार्थों के मामलों में शामिल है और उसी को लेकर उससे पूछताछ की जा रही है। लिहाजा वह इस मामले से दूर रहे। 

    मेडिकल रिपोर्ट में भी हुई यातनाएं देने की पुष्टि

    उन्हें हिरासत में यातना दिए जाने की आशंका कुछ दिनों बाद आई मेडिकल रिपोर्ट में पुष्ट हुई, जिसमें आरोपों के अनुरूप पैर में फ्रैक्चर, व्यापक चोट के निशान और चोटें दिखाई गई हैं।

    सीबीआई ने कई अस्पतालों के मेडिकल रिकॉर्ड का हवाला दिया जिसमें उपजिला अस्पताल कुपवाड़ा, सरकारी मेडिकल कॉलेज बारामूला, एसकेआईएमएस सौरा और बारज़ुल्ला स्थित बोन एंड जॉइंट सर्जरी हॉस्पिटल शामिल है। चौहान के बाएं पैर में फ्रैक्चर सहित कई घावों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट्स से पता चला कि फ्रैक्चर और अन्य चोटें "जबरन कबूलनामा लेने के लिए की गई पिटाई या यातना का ही नतीजा है। 

    जेआईसी सीसीटीवी फुटेज में भी मिले साक्ष्य

    चौहान की डिस्चार्ज समरी, जिसे सीबीआई ने सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया था, में भी घावों की एक गंभीर सूची का वर्णन किया गया था। दोनों आंखों में कंजंक्टिवल सूजन, उसके अग्रभागों और पिंडलियों पर खरोंच, दोनों पैरों पर खून के धब्बे, जांघों पर गहरी चोट के निशान आदि हैं।सीबीआई को जेआईसी के सीसीटीवी फुटेज में भी महत्वपूर्ण दृश्य साक्ष्य के तौर पर मिले। जिसमें चौहान एक गलियारे से गुजरते हुए भारी लंगड़ाते हुए दिखाई दे रहे थे। 

    दिल्ली के आरएमएल अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों वाले एक बहु-संस्थागत चिकित्सा बोर्ड (एमआईएमबी) ने भी इस मामले में एक विस्तृत फोरेंसिक राय दी। उससे भी यह निष्कर्ष निकाला गया कि नितंबों, ऊपरी जांघों, तलवों और हथेलियों पर लगी चोटें खुद से नहीं लगी थीं और यह किसी यातना के दौरान प्रहार का परिणाम थीं।