Delhi Blast: पुलवामा से एक और डॉक्टर गिरफ्तार, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर के करीबी दोस्त पर लिया एक्शन
दिल्ली विस्फोट मामले में पुलवामा से एक और डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर के करीबी दोस्त पर कार्रवाई की है। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और गिरफ्तार डॉक्टर से पूछताछ जारी है ताकि विस्फोट के पीछे की सच्चाई सामने आ सके।

दिल्ली धमाके में उमर मुख्य आरोपी था (जागरण संवाददाात फोटो)
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। दिल्ली धमाके मामले में मुख्य संदिग्ध उमर के एक दोस्त को पुलिस ने हिरासत में लिया है। वह भी पुलवामा का रहने वाला है। आज सुबह पुलवामा से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर के भाई और मां को हिरासत में लिया, इसके कुछ समय बाद ही डॉक्टर सज्जाद अहमद को गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार, यह भी डॉक्टर ही है।
उमर का होगा डीएनए टेस्ट
कार में धमाके के बाद डॉ उमर की पहचान के लिए मां के डीएनए का नमूना लिया जाएगा। उमर के दोनों भाई भी पुलिस हिरासत में हैं। उन्हें श्रीनगर में पूछताछ के लिए लाया गया है। डॉ. उमर की भाभी ने बताया कि शुक्रवार को उसने फोन पर बात की थी। उसने कहा कि यहां कुछ समस्या है। उसने कहा कि मैं तीन दिन बाद आऊंगा।
उसने कहा कि मेरा एक एग्जाम है, उसकी तैयारी कर रहा हूं। वह दो तीन साल से वहां थे। वह वहां प्रोफेसर था। हमारी मां को पुलिस अपने साथ ले गई है। वह सिर्फ नमाज और कुरान में व्यस्त रहता था।
उमर को लेकर पूर्व डीजीपी का रिएक्शन
दिल्ली धमाके के लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने लिखा कि संदिग्ध डॉक्टर उमर नबी फरीदाबाद की अल फलाह विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर था और वह कश्मीर के पुलवामा के निवासी हैं। जानकारी के अनुसार, उस पर दिल्ली में लाल किला विस्फोट में आत्मघाती हमलावर होने का संदेह है।
पूर्व डीजीपी ने लिखा कि घाटी में सबसे अधिक मांग वाले पेशे डॉक्टर के रूप में योग्यता प्राप्त करने के बाद भी वह आत्मघाती हमलावर बन गए। कथित तौर पर, कटड़ा मेडिकल कॉलेज में लगभग 70% सीटें कश्मीर के छात्रों को आवंटित की गई थीं। कटड़ा मेडिकल कॉलेज को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, और मेडिकल कॉलेज सहित श्राइन बोर्ड का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से मंदिर में आने वाले हिंदू तीर्थयात्रियों के दान से वित्त पोषित होता है। और फिर हम डॉ मुजम्मिल या डॉ. नबी जैसे डॉक्टरों को देखते हैं, जो संभवतः ऐसे संस्थानों से ग्रेजुएट होते हैं, वही कर रहे हैं जो वे हमेशा करते हैं। कौन जिम्मेदार है? क्या किया जाना चाहिए था, और क्या अभी भी किया जा सकता है

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