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    दिल्ली विस्फोट के विरोध में तिहाड़ जेल में सांसद इंजीनियर राशिद की भूख हड़ताल, मानवता पर हमला बताया

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 11 Nov 2025 06:46 PM (IST)

    दिल्ली में हुए विस्फोट के विरोध में तिहाड़ जेल में बंद सांसद इंजीनियर राशिद ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने इस घटना को मानवता पर हमला बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है। 

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    राशिद, जो आतंकवाद से जुड़े आरोपों के कारण जेल में हैं, हमेशा से इन आरोपों को नकारते रहे हैं।

    डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। जेल में बंद सांसद और अवामी इतिहाद पार्टी (एआईपी) के संस्थापक इंजीनियर राशिद ने दिल्ली विस्फोट और बढ़ती हिंसा के विरोध में 12 से 13 नवंबर तक तिहाड़ जेल में दो दिवसीय भूख हड़ताल की घोषणा की है। उन्होंने इसे मानवता पर हमला बताया है। 

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    इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए एआईपी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने कहा कि राशिद ने जेल नंबर 1 के अंदर प्रतीकात्मक भूख हड़ताल करने के अपने फैसले के बारे में तिहाड़ जेल अधिकारियों को औपचारिक रूप से सूचित कर दिया है। 

    नई दिल्ली के कारागार महानिदेशक (डीजी) को लिखे राशिद के पत्र का हवाला देते हुए इनाम उन नबी ने कहा, "सांसद राशिद ने 10 नवंबर को दिल्ली विस्फोट में हुई दुखद मानवीय क्षति पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने इस हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की है और इसे मानवता पर हमला बताया है।" 

    भूख हड़ताल के जरिए युवाओं तक संदेश पहुंचाने का प्रयास

    बारामूला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राशिद ने हाल ही में मीडिया में आई उन रिपोर्टों पर चिंता जताई है जिनमें डॉक्टरों समेत शिक्षित युवाओं के आतंकवाद और हिंसक विचारधाराओं की ओर आकर्षित होने की बात कही गई है। इनाम ने कहा, "अपनी भूख हड़ताल के जरिए, वह कश्मीरियों को याद दिलाना चाहते हैं कि हम अपने युवा और शिक्षित दिमागों को और खोने का जोखिम नहीं उठा सकते।" 

    उन्होंने आगे कहा कि जेल में रहने के बावजूद, राशिद "लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने की नैतिक ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं।" एआईपी के अनुसार, राशिद ने सभी हितधारकों से शांति को एक सच्चा मौका देने की अपील की है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि "सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।" 

    शांति और अहिंसा के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है

    राशिद के पत्र से एक गांधीवादी संदर्भ का हवाला देते हुए, इनाम उन नबी ने कहा, "उन्होंने गांधी के शब्दों को याद किया, 'अगर मुझे हिंसा का समर्थन करने या कायर कहलाने के बीच चुनाव करना हो, तो मैं कायर कहलाना पसंद करूंगा।' उन्होंने कहा कि यह राशिद की शांति और अहिंसा के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है।" 

    एआईपी ने भूख हड़ताल को नैतिक विरोध और सामूहिक आत्मनिरीक्षण की अपील बताया तथा कश्मीरी युवाओं से हिंसा का त्याग करने तथा शांति और सुलह को ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता मानने का आग्रह किया।