ज्यादा तापमान, फोरेंसिक चूक... कैसे हुआ नौगाम ब्लास्ट? जांच में हुआ अहम खुलासा
जम्मू-कश्मीर में एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में पुलिस, एसआईए और नागरिकों सहित कई लोगों की जान चली गई। जांच में पता चला कि यह घटना नौगाम में धमकी भरे पोस्टर लगने से शुरू हुई थी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें मौलवी इरफान अहमद और फरीदाबाद के अल-फला यूनिवर्सिटी के डॉक्टर शामिल हैं।

कैसे हुआ नौगाम ब्लास्ट? जांच में हुआ अहम खुलासा। फोटो जागरण
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर के नौगाम पुलिस थाने में हुआ विस्फोट जांच के दौरान एक फारेंसिंक त्रुटि का नतीजा है। इस विस्फोट के पीछे आतंकियों का हाथ नहीं है। शुरुआती जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के अनुसार फारेंसिक जांच के दौरा विस्फोट के परीक्षण के दौरान थाने में तेज रोशनियों का इस्तेमाल किया गया था। इसके कारण थाने में तापमान में वृद्धि होने से अस्थिर विस्फोटक फट गया।
रविवार को यह जानकारी इस विस्फोट की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने दी। शुरुआती जांच में यह पता लगा कि विस्फोट का कारण तापमान बढ़ जाना था। अधिकारियों के अनुसार, विस्फोट शुक्रवार रात 11.20 बजे हुआ था। रात को फरीदाबाद स्थित अल-फला यूनिवर्सिटी से बरामद विस्फोटक सामग्री के अंतिम बॉक्सों का सैंपल लिया जा रहा था। इन अंतिम बाक्सों में तरल रसायन मौजूद थे।
रोशनी बढ़ाने से बढ़ा तापमान
इनमें एसीटोफेनोन, हाइड्रोजन पेराक्साइड, सल्फ्यूरिक एसिड जैसे अत्यंत संवेदनशील रसायन थे। रसायन को करीब से देखने के लिए रोशनियों को बढ़ाया गया था। इसके कारण तापमान में वृद्धि हुई और रसायनों के मिश्रण में प्रतिक्रिया होने से विस्फोट हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि एसीटोफेनोन भले ही सामान्य औद्योगिक रसायन हो लेकिन एसीटोन पेराक्साइड एक अत्यंत खतरनाक व संवेदनशील विस्फोटक का प्रमुख घटक है।
बरामद किए गए 360 किलोग्राम रसायनों की सैंपलिंग दो दिनों से जारी थी। यह मामला मूल रूप से नौगाम थाने में दर्ज किया गया था। इसलिए सामग्री की जांच व सैपंलिंग की कार्रवाई भी इसी थाने में होनी थी। बरामद की गई सामग्री में अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट व सल्फर शामिल थे।
विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि थाने की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई व आसपास की इमारतों को भी नुकसान पहुंचा। विस्फोट के बाद रविवार को केंद्रीय फारेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला व राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की टीमों ने मौके से नमूने एकत्र किए।
क्या बोले डीजीपी नलिन प्रभात
जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख नलिन प्रभात व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (कश्मीर) प्रशांत लोखंडे ने शनिवार को एक जैसे बयान में कहा था कि सामग्री की अस्थिरता व संवेदनशीलता को देखते हुए पूरी प्रक्रिया अत्यंत सावधानी से की जा रही थी। दुर्भाग्य से यह दुर्घटना हो गई।
मृतकों में पुलिस, एसआइए, जिला प्रशासन के कर्मियों के साथ 47 वर्षीय दर्जी मोहम्मद शफी पर्रे भी मारे गए थे। वह अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे।
वहीं मारे गए एसआइए के इंस्पेक्टर इसरार अहमद शाह 2011 बैच के अधिकारी थे। यह मामला व्हाइट कालर माड्यूल के भंडाफोड़ से जुड़ा था। नौगाम के बुनपोरा में पुलिस व सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर लगने से शुरूआत हुई थी।
एसएसपी श्रीनगर डा जी वी सुंदीप चक्रवर्ती ने जांच का नेतृत्व किया व सीसीटीव की फुटेज से तीन आरोपियों को पकड़ा गया। पकड़े गए देशविरोधी तत्वों में आरिफ निसार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ व मकसूद अहमद उर्फ शाहिद शामिल थे।
उनसे पूछताछ में मौलवी इरफान अहमद का नाम सामने आया जिसने कथित रूप से पोस्टर सप्लाई करने के साथ डाक्टरों को कट्टरपंथी बनाया। जांच आगे बढ़ी व फरीदाबाद की अल-फला यूनिवर्सिटी से डा मुजफ्फर गनई व डा शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। वहीं से 360 किलो रसायन भी जब्त किए गए।
अधिकारियों का संदेह है कि इस माड्यूल को तीन मुख्य लोग चला रहे थे। इनमें डा गनई व उमर नबी शामिल थे जिसकी कार 10 नवंबर को रेड फोर्ट के पास हुए धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी। वहीं मुजफ्फर राथर फरार है।

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