J&K विधानसभा ने पंचायत राज संशोधन विधेयक किया पारित, अब चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ
जम्मू और कश्मीर विधानसभा ने पंचायत राज संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया, जिससे चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया। विधेयक में चुनाव आयुक्त की अधिकतम आयु सीमा 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष कर दी गई है। ग्रामीण विकास मंत्री जावेद अहमद डार द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को सदन ने मंजूरी दे दी। संशोधन के बाद सरकार जल्द ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेगी, जिससे पंचायत और निकाय चुनाव कराए जा सकेंगे।

विधानसभा ने पंचायत राज संशोधन विधेयक पारित किया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। प्रदेश में अगले चंद दिनों में प्रदेश चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मार्ग प्रदेश विधानसभा में जम्मू और कश्मीर पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2025‘ के पारित होने के साथ ही प्रशस्त हो गया।
यह विधेयक प्रदेश चुनाव आयुक्त की अधिकतम आयु सीमा को 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष सुनिश्चित करता है। उल्लेखनीय है कि गत अप्रैल में तत्कालीन प्रदेश चुनाव आयुक्त बीआर शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद रिक्त पड़ा हुआ था और प्रदेश सरकार संबधित अधिनियम में संशोधन के बाद उनका उत्तरााधिकारी नियुक्त करना चाहती थी।
ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री जावेद अहमद डार ने गत बुधवार को ‘जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए विधेयक को सदन के पटल पर रखा था,जिसे आज बिना किसी संशोधन के सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। नए कानून के मुताबिक, अब प्रदेश चुनाव आयुक्त की अधिकतम आयु 70 होगी।
प्रदेश चुनाव आयुक्त अपने पद पर 70 वर्ष की आयु सीमा पूरी होने के बाद नही रह सकता।उसका कार्यकाल पांच वर्ष ही होगा और अगर वह 70 वर्ष की आयु सीमा प्रापत करने से पहले पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुका होगा तो उसकी नियुक्त स्वत: समाप्त मानी जाएगी,बशर्ते उसे पुन: नियुक्त न किया गया हो।
मौजूदा समय में जमू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 की धारा 36 ए के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त का अधिकतम कार्यकाल पांच वर्ष है। वह उक्त पद 65 वर्ष की आयु होने पर नहीं रह सकता।
दोनों में जो भी पहले हो,उसका कार्यकाल समाप्त माना जाता है। प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद गत अप्रैल में तत्कालीन प्रदेश चुनाव आयुक्त बीआर शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही रिक्त पड़ा है।
जम्मू कश्मीर में पंचायत और नगर निकायों के चुनाव लंबित होने का एक कारण प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद रिक्त होना बताया जा रहा है। पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराना, प्रदेश चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी है।
संबधित अधिकारियोंने बताया कि पंचायत राज अधिनियम मेंसंशोधन के बाद प्रदेश सरकार जल्द ही योग्य व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नियुक्त करने जा रही है। इसके बाद अगले वर्ष की शुरुआत में प्रदेश में पंचायत व निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।

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