'श्रीनगर को कंक्रीट का जंगल बनने से रोकें', जीसीसी ने जताई चिंता, बोले- 'अगले 10 साल में खत्म हो जाएगी खेती की जमीन'
गंगा कॉलिंग काउंसिल (जीसीसी) ने श्रीनगर के कंक्रीट के जंगल में बदलने पर चिंता जताई है। जीसीसी का कहना है कि अगले 10 वर्षों में खेती की जमीन खत्म हो जाएगी। अंधाधुंध निर्माण से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जीसीसी ने सरकार से अनियोजित निर्माण पर रोक लगाने की अपील की है।

अगर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो कश्मीर में खेती के लिए कोई जमीन नहीं बचेगी।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SKUAST-K) के वाइस चांसलर डॉ. नज़ीर गनई के यह कहने के कुछ दिनों बाद कि श्रीनगर “बिना लैंड यूज पॉलिसी वाला सबसे अव्यवस्थित शहर है”, ग्रुप ऑफ कंसर्न्ड सिटिज़न्स (GCC) ने दोहराया कि उसने बार-बार इस मुद्दे को गंभीरता से उजागर करने पर भी जम्मू-कश्मीर सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठा रही है।
रिटायर्ड IAS ऑफिसर और ग्रुप ऑफ कंसर्न्ड सिटिजन्स के चेयरमैन खुर्शीद अहमद गनई ने कहा कि VC SKUAST की सलाह पर ध्यान दिया जाना चाहिए। गनई ने कहा, “खेती की जमीन को बचाने के लिए उसके कन्वर्जन को रेगुलेट करें। नहीं तो अगले दस सालों में पूरी घाटी कंक्रीट का जंगल बन जाएगी।
उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि कश्मीर में खेती के लिए कोई जमीन नहीं बचेगी। जमीन की ऊंची कीमतें मालिकों को अपनी खेती की जमीन को बेचने के लिए बढ़ावा दे रही हैं। उन्हें लग रहा है कि खेती के बजाय इसे बेचना सबसे ज़्यादा फ़ायदेमंद है। बिना प्लान के रहने की जगह और दुकानें बनाने के लिए धड़ल्ले से ये जमीनें बेची भी जा रही हैं।
शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के वाइस चांसलर ने सही कहा है कि श्रीनगर सबसे अनऑर्गेनाइज्ड शहर है। इसका मुख्य कारण यह है कि मास्टर प्लान को तोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि GCC ने पिछले साल नवंबर को चीफ सेक्रेटरी के साथ एक मीटिंग में खेती की ज़मीन के अनऑर्गेनाइज़्ड कन्वर्ज़न का यह मुद्दा पहले ही उठाया था। गनई ने आगे कहा कि इस साल जून में उनके साथ एक मीटिंग में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सामने भी यह मुद्दा उठाया गया था।
खास बात यह है कि पिछले हफ़्ते SKUAST-कश्मीर के वाइस चांसलर डॉ. नज़ीर गनई ने कहा था कि श्रीनगर देश का सबसे अनऑर्गेनाइज़्ड शहर है जहां कोई लैंड यूज पॉलिसी नहीं है। वाइस चांसलर ने यह बात कंस्ट्रक्शन में तेज़ी के कारण खेती की ज़मीन के दबने के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कही।

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