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    उमर सरकार का यू-टर्न, चुनाव में जम्मू-कश्मीर के लोगों को मुफ्त बिजली का वादा, अब 20 प्रतिशत सरचार्ज का प्रस्ताव

    By Raziya Noor Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:25 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार ने मुफ्त बिजली के चुनावी वादे से यू-टर्न लेते हुए उपभोक्ताओं पर 20% सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव रखा है। सरकार का कहना है कि इससे प्राप्त राजस्व का उपयोग बिजली के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में किया जाएगा। 

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    इस फैसले से जनता में आक्रोश है और विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं।

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। चुनावी प्रचार के दौरान उपभोक्ताओं को बिजली की 200 यूनिट मुफ्त देेने का वादा करने वाली उमर सरकार उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ाने जा रही है। घोषणा के बिलकुल उलट सरकार लोगों को महंगे दामों बिजली देने की तैयारी में है। 

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    वह भी सुबह व शाम के समय जब घाटी के लोग हाड़ कंपाने वाली ठंड से बचाव के लिए गर्मी पहुंचाने वाले इलेक्ट्रिक उपकरणों का अधिक इस्तेमाल करते हैं। केपीडीसीएल ने पीक आवर्स में खर्च की जाने वाली बिजली पर 20 प्रतिशत अधिक सरचार्ज लगाने का सुझाव दिया है। पीडीडी ने भी इसे स्वीकार करते हुए जेईआरसी को प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेज दिया है। 

    जानकारी के मुताबिक, केपीडीएलसी ने जेईआरसी से पीक आवर्स के दौरान एग्रीकल्चर सेक्टर को छोड़कर सभी कैटेगरी के कंज्यूमर्स पर 20 प्रतिशत सरचार्ज लगाने की मंज़ूरी मांगी है जब घाटी में हाड़ कंपा देने वाली ठंड की वजह से डिमांड सबसे ज़्यादा होती है। 

    अलग-अलग कंज्यूमर कैटेगरी के लिए सरचार्ज का प्रपोजल

    जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए जेईआरसी के सामने फाइल की गई एक पिटीशन के मुताबिक, केपीडीसीएल ने घरेलू कंज्यूमर्स समेत अलग-अलग कंज्यूमर कैटेगरी के लिए सरचार्ज का प्रपोज़ल दिया है। जेईआरसी, जो एक क्वासी-ज्यूडिशियल बॉडी है, टैरिफ प्रपोजल को मंज़ूरी देने या रिजेक्ट करने का अधिकार रखती है।

    इसकी पुष्टि करते हुए, केपीडीसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर, महमूद अहमद शाह ने कहा कि केपीडीसीएल ने दिन के पीक आवर्स के लिए टैरिफ पर 20 परसेंट सरचार्ज का प्रपोज़ल दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक, रेगुलेटरी कमीशन ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है।

    यह प्रस्ताव टाइम ऑफ़ डे टैरिफ सिस्टम का हिस्सा है, जिसके तहत बिजली की कीमत कंजम्पशन के समय के हिसाब से अलग-अलग होती है। हालांकि, वीरवार को केपीडीसीएल की पिटीशन पर सुनवाई के दौरान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री केसीसीआई ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था।

    हाालंकि अभी इस प्रस्ताव पर जेईआरसी का फैसला आना बाकी है। अलबत्ता मुद्दे को लेकर आम लोगों में बेचैनी बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि यदि एेसाहुआ तो उनकी परेशानियां दुगनी हो जाएगी। 

    हमें मुफ्त बिजली का वादा किया अब किराया बढ़ाया जा रहा है

    मोहम्मद सलीम नजार नामक एक नागरिक ने कहा, मैंने भी खबर सुनी थी कि अब सुबह व शाम को इस्तेमाल की जाने वाली बिजली पर हमें 20 प्रतिशत एकस्ट्रा पैसा अदा करना पड़ेगा। नजार ने कहा, यह जुल्म है, हम गरीब लोगों पर। सर्दियों के दिनों में हमें वैसे भी काफी दिकक्तें झेलनी पड़ती हैं। बिजली के हवाले से तो कुछ ज्यादा ही।

    अब यह नई मुसीबत खड़ी हो गई है। हमें सुबह व शाम कड़ाके की ठंड की वजह से गीजर, ब्लावर, हीटर, वगैरह की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर अब इस फैसले पर मंजूरी मिली तो बताइएं कि हम गरीब लोग क्या करे।

    अब्दुल अहद गूरू नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा, अगर सच पूछें तो उमर अब्दुल्लाह को हमने सिर्फ इसी लिए वोट दिया था कि वह हमें स्मार्ट मीटरों से राहत लिदाएंगे। बिजली फीस में कमी करवाएंगे। हालांकि उन्होंने वादा किया था कि वह सरकार बनाते ही हमें बिजली के 200 यूनिट फ्री देंगे।

    उमर ने सब कुछ उन्होंने वोट हासिल करने के लिए किया

    अब हम जान गए हैं कि यह सब कुछ उन्होंने वोट हासिल करने के लिए किया। गूरू ने कहा,200 यूनिट फ्री बिजली.बिजली फीस में कटौती की तो अब हमें तस्सली हो गई है। लेकिन कम से कम अब बिजली की कीमतें ना बढ़ाएं। हम पहले ही परेशानियों से जूझ रहे हैं। हमारी परेशानियां और अधिक ना बढ़ाए।

    इधर व्यापारिक संगठनों ने भी इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। केसीसीआई के महा सचिव फैज बख्शी ने कहा,हम इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा,सर्दियों में सुबह व शाम बिजली का इस्तेमाल एक ज़रूरत होती है। ना चाहते हुए भी लोग भीषण ठंड की वजह से बिजली पर चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। एेसे में इस अविध के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली बिजली पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाना गलत है।

    केश्मीर ट्रेडर्स एंड मेन्यूफकिचरर्स फेडरेशन ने भी इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया

    इधर केश्मीर ट्रेडर्स एंड मेन्यूफकिचरर्स फेडरेशन के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन खान ने भी इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध कर इसे अवाम दुशमन करार दिया। खान ने कहा,प्रशासन को भी पता है कि घाटी के लोग एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। बेरोजगारी व महेंगाई की मार तो यहां के लोग झेल ही रहे हैं कि इसी बीच पहलगाम आतकी घटना से यहां की अर्थव्यवस्था को लगे जोरदार झटके ने यहां के लोगों की दिक्कतों को कई गुना बढ़ा दिया है।

    लोग आर्थिक संकट का शिकार है। गरीब लोग मुशिकल से दो वक्त की रोटी जुटा पा रहे हैं। ऐसे में इस तरह के प्रस्ताव वह भी ओछे बहानों की आढ़ में लेकर आना प्रशासन की तरफ से बहुत ही क्रूर है। खान ने कहा,इस प्रस्ताव को खामोशी से कूड़ादान में फैक देना चाहिए। क्योंकि ऐसे प्रस्ताव अवाम दोस्त नही होते।