ऑटो चालक की बेटी ने हांगकांग में रचा इतिहास, रजत पदक जीतकर बोकारो लौटीं Reshama; प्रशासन ने दिखाई बेरुखी
बोकारो की रेशमा ने हांगकांग में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा है। ऑटो चालक की बेटी रेशमा की इस उपलब्धि पर क्षेत्र में खुशी है, पर प्रशासन की बेरुखी देखने को मिली। रेशमा के लौटने पर लोगों ने स्वागत किया, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई, जिससे निराशा है।

अपने परिवार के साथ रेशमा। फोटो जागरण
संवाद सहयोगी, बेरमो। हांगकांग से लानबाल की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर रेशमा मंगलवार की देर शाम अपने गांव होसिर रथटांड़ लौटी। तब घर में बहनों, भाई व पिता ने खुशी का इजहार किया, लेकिन किसी अन्य ने शाबाशी नहीं दी।
यह खेल प्रतिभा के प्रति बेरुखी नहीं तो और क्या है कि, उसकी हौसला अफजाई के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी अब तक उसके घर नहीं पहुंचे। इस वजह से रेशमा को काफी मायूसी हुई है, जबकि उसने हांगकांग में आयोजित इंटरनेशनल क्लासिक टूर्नामेंट-2025 की लानबाल प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर अपने देश भारत समेत झारखंड राज्य काे भी गौरवान्वित किया है। साथ ही अपने निवासस्थल बेरमो कोयलांचल अंतर्गत गोमिया प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र होसिर रथटांड़ का भी मान बढ़ाया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा की प्रदर्शित
कोच डॉ. मधुकांत पाठक के अनुसार हांगकांग में 15 से 23 नवंबर-2025 तक आयोजित उस टूर्नामेंट में रेशमा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महिला पेयर्स वर्ग में तृतीय स्थान पर कब्जा कर कांस्य पदक जीता।
उस टूर्नामेंट की पदक तालिका में स्काटलैंड ने स्वर्ण, हांगकांग ने रजत और भारत व इंग्लैंड ने संयुक्त रूप से कांस्य पदक प्राप्त किया। रेशमा ने उस टूर्नामेंट में भारत की ओर से खेलते हुए बेहतरीन तकनीक, संतुलन व धैर्य का परिचय दिया।
साथ ही सुनियोजित रणनीति व दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर अपने देश भारत को रजत पदक दिलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा प्रदर्शित की।
कठिन परिस्थितियां झेलने के बावजूद नहीं मानी हार
रेशमा ने कठिन परिस्थितियां झेलने के बावजूद हार नहीं मानी। मार्गदर्शक सह कोच आशु भाटिया ने बताया कि 20 वर्षीय रेशमा का यह सफर चुनौतियों से भरा रहा है। उनके पिता सुरेश नोनिया ऑटो चालक हैं, मां आशा देवी का चार वर्ष ही निधन हो चुका।
पिता की सीमित कमाई से छह लोगों के उसके परिवार का सही ढंग गुजर-बसर नहीं हो पा रहा। रेशमा कुल चार बहनों व एक भाई में संझली यानी तीसरी हैं। रेशमा फिलहाल गोमिया कालेज की स्नातक सेकेंड सेमेस्टर की छात्रा है।
उसकी बड़ी बहन दीपा कुमारी आर्थिक कठिनाइयों के कारण मात्र दसवीं तक पढ़ाई कर ड्रापआउट हो गईं। वहीं, मंझली बहन तन्नू कुमारी केबी कालेज बेरमो में स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं और छोटी बहन खुशी कुमारी होसिर हाईस्कूल में कक्षा दसवीं में अध्ययनरत है। जबकि छोटा भाई प्रेम कुमार आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है।

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