Smart Meter: स्मार्ट मीटर विवाद के बीच डीवीसी ने जारी की नई गाइडलाइन, उपभोक्ताओं को राहत
बोकारो में स्मार्ट मीटर को लेकर डीवीसी ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके अनुसार संविदा श्रमिक बैंक और डाकघर कर्मचारी विद्यालयों के कर्मचारी डीवीसी के पेंशनरों को प्रीपेड मीटर प्रणाली के तहत बिजली मिलेगी। यह व्यवस्था 1 सितंबर 2025 से लागू होगी जिसमें उपभोक्ताओं का खाता शून्य शेष राशि से शुरू होगा। डीवीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैलेंस खत्म होने पर तुरंत बिजली नहीं कटेगी।
संवाद सूत्र, बेरमो। Smart Meter Installation: स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर चल रहे विरोध और आंदोलन के बीच डीवीसी प्रशासन ने उपभोक्ताओं को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है।
डीवीसी ने स्पष्ट किया है कि संविदा श्रमिकों, बैंक कर्मचारियों, डाकघर कर्मचारियों, विद्यालयों के कर्मचारियों, डीवीसी के पेंशनरों और अन्य केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को अब एलटी बिजली आपूर्ति प्रीपेड मीटर प्रणाली के तहत मिलेगी।
जारी आदेश के अनुसार, 1 सितंबर 2025 से प्रीपेड बिलिंग व्यवस्था लागू होगी। इस व्यवस्था के आरंभ में उपभोक्ता का खाता शून्य शेष राशि से शुरू होगा। वहीं, उपभोक्ताओं पर पूर्व में बकाया बिल की राशि को संबंधित एचओपी के स्तर पर सामंजस्य स्थापित करने के बाद छह समान मासिक किस्तों में वसूला जाएगा।
डीवीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी उपभोक्ता का बैलेंस अचानक खत्म हो जाता है तो उसकी बिजली आपूर्ति तत्काल बाधित नहीं होगी। उपभोक्ताओं को (-) 200 रुपये तक का अतिरिक्त उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
हालांकि, यदि इस अवधि में खाता रिचार्ज नहीं किया गया तो आपूर्ति अस्थायी रूप से काट दी जाएगी। डीवीसी का कहना है कि यह व्यवस्था उपभोक्ताओं को समय पर रिचार्ज करने का पर्याप्त अवसर देने के लिए की गई है।
इसके अलावा, सभी एचओपी को निर्देश दिया गया है कि वे पूर्व बकाया राशि की वसूली पर अपने स्तर से सामंजस्य स्थापित करने के बाद मासिक एमआईएस रिपोर्ट डीवीसी मुख्यालय को भेजें। प्रशासनिक स्तर पर यह भी कहा गया है कि उपभोक्ताओं को जानकारी देने के लिए नोटिस चिपकाए गए हैं और लोगों से सहयोग की अपील की गई है।
डीवीसी बोकारो थर्मल प्रबंधन ने लोगों को धोखे में रखकर स्मार्ट मीटर लगाए और इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी, जिसके कारण उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि ठेका मजदूर और सप्लाई मजदूरों के बिजली बिल हर महीने वेतन से काटे जाते रहे हैं, इसके बावजूद उनके खातों में बकाया राशि जोड़ दी गई है।यह स्थिति दोहरी वसूली का उदाहरण है। एक तरफ पैसा लिया जा रहा है और दूसरी तरफ उधारी भी बाकी दिखाया जा रहा है। डीवीसी द्वारा पत्र जारी कर 10 जून से स्मार्ट मीटर लागू करने की घोषणा की गई, लेकिन बिल 10 जून से पहले की अवधि का भी जोड़ा जा रहा है, जो पूरी तरह से अनियमितता है। शुक्रवार को डीवीसी प्रबंधन के साथ बैठक निर्धारित है। इस बैठक में हम अपनी प्रमुख मांगें रखेंगे। सप्लाई और ठेका मजदूरों को एनर्जी अलाउंस दिया जाए। पोस्टपेड सिस्टम को लागू किया जाए। - भरत यादव, भाजपा नेता सह संयोजक नागरिक अधिकार मंच
डीवीसी किसी को भी धोखे में रखकर स्मार्ट मीटर नहीं लगा रही है। यह डीवीसी की नीतिगत प्रक्रिया है और सभी उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य है। स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की परेशानी के लिए नहीं, बल्कि उन्हें और अधिक सुलभ तरीके से बिजली बिल जमा करने का एक आधुनिक और पारदर्शी माध्यम उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं। पहले की व्यवस्था में मीटर रीडिंग लेने के लिए कर्मचारी घर-घर जाते थे और उसके आधार पर बिल तैयार होता था। अब यह पूरी प्रक्रिया तकनीक के माध्यम से स्वत संचालित होगी, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता और सुविधा मिलेगी। सप्लाई और ठेका मजदूरों का वेतन से बिजली का पैसा कटता रहा है। इस प्रकार का मामला संज्ञान में आई है। उनकी समस्या का समाधान शीघ्र कर दिया जाएगा। 1 तारीख से उनके खातों को जीरो बैलेंस कर स्मार्ट मीटर शुरू किया जाएगा। इसके बाद अब तक जितना पैसा काटा गया है और जितना बिल बना है, दोनों का मिलान कर समायोजन किया जाएगा। अतिरिक्त राशि का भुगतान 6 किस्तों में किया जाएगा। डीवीसी यह भी स्पष्ट करती है कि यदि किसी उपभोक्ता का बैलेंस समाप्त हो जाता है तो उसकी लाइन तुरंत नहीं कटेगी। उपभोक्ताओं को -200 रुपये तक उपयोग की अनुमति होगी। इस अवधि में यदि वह रिचार्ज कर लेते हैं तो उनकी लाइन बाधित नहीं होगी। डीवीसी आश्वस्त करती है कि किसी भी उपभोक्ता को कोई परेशानी नहीं होगी। डिजिटल मीटर उपभोक्ताओं की सुविधा, पारदर्शिता और सहयोग के लिए ही लगाए जा रहे हैं। - सुशील कुमार अरजरिया, एचओपी डीवीसी बोकारो थर्मल
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