बाबा बैद्यनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए हाईकोर्ट में PIL, लखराज जमीन का मिले मालिकाना हक
सांसद निशिकांत दुबे ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट की निगरानी में काम कराने मंदिर के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखने लखराज जमीन मालिकों को मुआवजा और मालिकाना हक देने तथा स्थानीय लोगों को बिना कतार के दर्शन की सुविधा देने की मांग की है। बड़ा सवाल क्या बाबा बैद्यनाथ का विकास अब कोर्ट की निगरानी में होगा?
जागरण संवाददाता, देवघर। बाबा बैद्यनाथ मंदिर कॉरिडाेर निर्माण के लिए सांसद डाॅ. निशिकांत दुबे ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किया है। अपने अधिवक्ता के माध्यम से दायर याचिका में सांसद ने चार प्रमुख मुद्दों पर माननीय न्यायालय से आग्रह किया है। पीआइएल में कहा गया है कि बाबा मंदिर में कॉरिडोर का निर्माण करोड़ों तीर्थयात्री की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जाए।
मंदिर के सिंह द्वार और आंतरिक स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना किया जाए। मंदिर के आसपास लखराज स्वरूप की जमीन है, जिस पर रहने वाले को मालिकाना हक के साथ उनको मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा स्थानीय लोगों को भी बिना कतार में लगे प्रतिदिन पूजा करने की विशेष सुविधा दी जाए।
जनहित याचिका में, याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि गलियारे का निर्माण तुरंत शुरू किया जाए। अनुमोदित योजना और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार समयबद्ध काम हो। माननीय न्यायालय के तत्वावधान में एक उच्च-स्तरीय निगरानी समिति की निरंतर निगरानी में काम पूरा कराया जाए।
सिंह द्वार और आंतरिक स्वरूप रहे यथावत
याचिकाकर्ता ने कहा है कि गलियारे का निर्माण इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए कि गलियारे की प्राचीन संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। ऐतिहासिक सिंह द्वार और मंदिर के आंतरिक परिसर को नुकसान पहुंचाने या बदलने से पूरी तरह बचना चाहिए, जो मूल गर्भगृह का अभिन्न अंग हैं और लाखों भक्तों द्वारा पूजनीय हैं।
याचिकाकर्ता ने आग्रह किया है कि माननीय न्यायालय द्वारा एक उच्च-स्तरीय निगरानी समिति में एक निश्चित समय-सीमा के भीतर कोरिडोर को पूरा करने का आदेश दिए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
लखराज जमीन का मिले मुआवजा
सांसद ने याचिका में आग्रह किया है कि कॉरिडोर से प्रभावित सभी लखराज काश्तकारों का ध्यान रखा जाए।मुआवजे के प्रयोजनों के लिए मालिक के रूप में मान्यता मिले। इसके साथ यह सुनिश्चित किया जाए कि कानून के तहत देय सभी मुआवजे का शीघ्र वितरण हो। उनको मालिकाना हक व मुआवजा देने का भी आग्रह किया है।
स्थानीय लोगों को मिले पूजा करने की विशेष सुविधा
जनहित याचिका में स्थानीय लाेगों के लिए भी आग्रह किया गया है। देवघर के वास्तविक स्थानीय निवासियों जो तीर्थयात्रा गतिविधियों में सहायता और समर्थन करते हैं। उनको मंदिर के साथ उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को मान्यता देते हुए। मंदिर में सुबह के अनुष्ठानों के बाद एक से दो घंटा के लिए बिना सामान्य भक्तों की कतार में लगे दर्शन की सुविधा मिले।
क्या होगा अगला कदम?
इस याचिका के बाद अब झारखंड हाई कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी होगी। कोर्ट इस मामले में सरकार मंदिर प्रबंधन और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांग सकती है। कोर्ट यह भी तय कर सकती है कि क्या वास्तव में एक निगरानी समिति की आवश्यकता है या नहीं। यह पूरी प्रक्रिया यह तय करेगी कि बाबा बैद्यनाथ धाम का भविष्य कैसा होगा? क्या यह एक आधुनिक सुविधा केंद्र बनेगा या अपनी प्राचीनता को बरकरार रखते हुए विकसित होगा।
माननीय उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका कॉरिडोर निर्माण के लिए दायर किया गया है। यह देवघर आने वाले करोड़ों तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए है। माननीय न्यायालय से एक उच्च स्तरीय कमेटी के गठन करने और न्यायालय के निगरानी में कार्य को पूरा कराने का भी आग्रह किया गया है।
-डा. निशिकांत दुबे, सांसद
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