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    छठ मइया की महिमा अपरंपार, भगवान भास्कर की पूजा करने लंदन से दुमका लौटी पायल

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 11:09 PM (IST)

    झारखंड के दुमका में, लंदन से पायल कुमारी और कुमार अभिषेक आठ साल बाद छठ मनाने आए हैं। पायल ने कहा कि छठ अब वैश्विक हो गया है, पर अपनी मिट्टी की बात ही अलग है। 'बिहारी कनेक्ट यूके' समूह लंदन में छठ मनाता है। किरण देवी ने बचपन में पटना में छठ देखा और अब दुमका में मनाती हैं। परिवार का मिलन और सामाजिक सौहार्द इस पर्व की विशेषता है।

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    भगवान भास्कर की पूजा करने लंदन से दुमका लौटी पायल

    राजीव, दुमका। झारखंड की उपराजधानी दुमका का हृदयस्थली टीन बाजार निवासी मोहन प्रसाद साह की बिटिया पायल कुमारी और दामाद कुमार अभिषेक आठ साल बाद लंदन से दुमका छठ मनाने आए हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर कुमार अभिषेक और पायल लंदन के ब्रिस्टल शहर में रहते हैं। 

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    शनिवार को नहाय-खाय अनुष्ठान के साथ ही चार दिवसीय नेम-निष्ठा का महापर्व शुरू हो चुका है। पायल कहती हैं कि महापर्व छठ अब ग्लोबल हो चुका है। यूएसए, यूके समेत विदेश के कई हिस्सों में महापर्व छठ मनाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 

    भारतीय धर्म और संस्कृति का डंका देश ही नहीं विदेशों में भी बज रहा है लेकिन अपनी माटी और यहां की खुशबू की बात ही कुछ और है। कहा कि छठ में दुमका आकर काफी सुखद अनुभूति हो रही है। उनके पति कुमार अभिषेक कहते हैं कि दुमका में छठ मनाने का अंदाज काफी निराला है। 

    समूह से करीब 1000 लोग जुड़े

    यूनाइटेड किंग्डम के ब्रिस्टल में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने बिहारी कनेक्ट यूके समूह के नाम से एक व्हाट्सएप समूह बनाकर अपनी धर्म व संस्कृति की परंपरा को जीवंत बना रहे हैं। इस समूह से करीब 1000 लोग जुड़े हैं जिसमें बिहार, झारखंड के लोगों की संख्या सर्वाधिक है। 

    इस समूह में लंदन में रह रहे रांची, जमशेदपुर, बोकारो, दुमका के लोग भी शामिल हैं। इस वर्ष समूह के माध्यम से लगातार चौथा वर्ष महापर्व छठ मनाया जा रहा है जो लंदन के हान्सलो स्थित ब्रह्मर्षि आश्रम में आयोजित हो रहा है। 

    अभिषेक कहते हैं कि सनातन धर्म व संस्कृति का कोई विकल्प नहीं है। यह अद्भूत और अक्षुण्ण है। पायल की मां किरण देवी का मायका बिहार के पटना सीटी में है।

    छठ करने की परंपरा

    छठ की बात करते ही इनका मन तरंगित हो उठा। कहती हैं कि मायका में मां को छठ करते बचपन से देखती आईं। पटना के छठ की बात ही निराली है। ब्याह कर ससुराल दुमका आई तो यहां भी छठ करने की परंपरा थी। 

    छठ गीत की चर्चा छेड़ते ही किरण गुनगुनाने लगती हैं-पेहनन डॉ.ऋषभ बबुआ पियरिया दऊरा घाटे पहुंचाए। उठ न अभिषेक बऊवा,ले आवअ दुधवा भइल अरग के बेर..। कहती हैं नई पीढ़ी छठ की महत्ता को समझें। बदलाव के बयार में इस परंपरा को अक्षुण्ण बनाएं रखें यह जरूरी है। 

    किरण कहती हैं कि वह अपनी सास सावित्री देवी के साथ छठ की शुरुआत की थीं। उनके समय छठ आते ही माहौल पूरी तरह से बदल जाता है। तब जाता में गेहू पीस कर छठ का प्रसाद बनता था। 

    सास कहती थीं कि छठ पर्व नेम धर्म व आस्था का प्रतीक है। इसमें दिखावा नहीं होना चाहिए। कहती थीं कि श्रद्धा व आस्था से जुड़े इस महापर्व की परंपरा अनवरत रखने लिए नई पीढ़ी को तैयार करना बड़ी चुनौती है। 

    किरण देवी की गोतनी है वीणा देवी। कहती हैं पूछने कहती हैं छठ महापर्व के प्रति लोगों की आस्था लगातार बढ़ रही है। कहा कि इस वर्ष खरना के दिन 12 किलो खीर का प्रसाद बनेगा। ठेकुआ और दूसरे प्रसाद भी बनेगा। 

    इस वर्ष छठ पर पूरा परिवार का जुटान होने से ऐसा महसूस हो रहा है कि इससे बढ़ कर कोई धन-दौलत व खुशी नहीं है।


    छठ में पारिवारिक व सामाजिक सौहार्द माहौल देखते ही बनता है। लोग एकजुट होकर इस महापर्व को मनाते हैं। निसंदेह बदलते समय के साथ भावी पीढ़ी तैयार करने की चुनौती है लेकिन यह मुश्किलों से भरा कतई नहीं है।- किरण देवी, छठ व्रती


    छठ में व्रतियों की सूर्य भगवान से सीधी बातचीत होती है। अब तो छठ मनाने की परंपरा ग्लोबल हो गई है। विदेशों में भी छठ मनाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। यह सुखद अनुभूति देती है।- कुमार अभिषेक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, लंदन

    सूर्य अराधना कहीं भी हो सकती है लेकिन अपनी माटी और अपने परिवार के बीच छठ मनाने की खुशियां बिल्कुल खास है। लंदन में रहकर छठ को मिस करती हूं। मन करता है कि मैं भी छठ व्रत करूं। जब छठी मइया की कृपा होगी तो यह मनोकामना पूरी हो जाएगी। छठ में दुमका आकर काफी खुश हूं।- लपायल कुमारी, लंदन


    छठ पर्व काफी नेम-निष्ठा से मनाया जाता है। समय के साथ बहुत कुछ बदलाव हुआ है लेकिन छठ मनाने की परंपरा बिल्कुल अक्षुण्ण है। नई पीढ़ी भी इस महापर्व की महत्ता को बखूबी समझती है। यही कारण है कि दिनों दिन छठ व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।- वीणा देवी, छठ व्रती, टीन बाजार

    तमाम व्यस्तता के बाद भी छठ पर्व पर दुमका आना बहुत अच्छा लगता है। ऐसा महसूस होता है कि छठ की वजह से पूरा परिवार एक सूत्र में पिरोया हुआ है। दिल्ली से दुमका आकर छठ पर्व में शामिल होना काफी आनंदित करता है।- डॉ.ऋषभ, पुत्र, किरण देवी

    पटना के छठ अनूठी है लेकिन मां के पास आकर छठ में अपनी सहभागिता तय करना काफी अच्छा लगता है। इसलिए छठ में मां के पास दुमका आ जाते हैं। छठ व्रत करने का मन मुझे भी करता है। छठी मइया का जब आदेश हो जाएगा तो इसकी शुरुआत कर देंगे।- डॉ.काजोल, पुत्री, किरण देवी