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    Hazaribagh News:कौन विषय विद्यार्थियों को अधिक पसंद आ रहा, किसमें सुधार की जरूरत... होगी समीक्षा

    विभावि के कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि कुछ वर्षों से नए पाठ्यक्रम का संचालन हो रहा है जिसकी अब समीक्षा की जाएगी। कौन से विषय विद्यार्थियों को अधिक पसंद आए किनमें सुधार की गुंजाइश है और किन नए विषयों की जरूरत है। कुलाधिपति से इस विषय पर विस्तृत विमर्श भी हो चुका है।

    By Vikash Singh Edited By: Kanchan Singh Updated: Tue, 12 Aug 2025 05:39 PM (IST)
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    विभावि में नई शिक्षा नीति के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर उच्चस्तरीय बैठक।

    संवाद सहयोगी, हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय (विभावि) में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर सोमवार से तीन दिवसीय उच्च स्तरीय बैठक हुई।

    कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि कुछ वर्षों से नए पाठ्यक्रम का संचालन हो रहा है, जिसकी अब समीक्षा की जाएगी। कौन से विषय विद्यार्थियों को अधिक पसंद आए, किनमें सुधार की गुंजाइश है और किन नए विषयों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति से इस विषय पर विस्तृत विमर्श भी हो चुका है और हर हाल में नई शिक्षा नीति 2020 को सफलता के साथ लागू किया जाएगा।

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    विवेकानंद सभागार के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने की, जबकि संचालन नई शिक्षा नीति 2020 के नोडल पदाधिकारी डा. इंद्रजीत कुमार ने किया।

    बैठक में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थानों से आए दस विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया। इनमें योगसरिता लिमिटेड, नई दिल्ली की संस्थापक निदेशक सरिता शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक काउंसलर प्रो. नवीन कुमार, इग्नू स्कूल ऑफ एजुकेशन के वेंकटेश्वरलू और निराधार दे,

    तेजपुर विश्वविद्यालय (असम) से डॉ. सशापरा चक्रवर्ती व डॉ. मोहम्मद आसिफ, साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया से डॉ. तरुण कुमार त्यागी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड, रांची की अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ डॉ. अपर्णा, अकाल भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक व कृषि विशेषज्ञ डॉ. ललन शर्मा तथा इंडियन योग एसोसिएशन झारखंड इकाई के सचिव अमित कुमार शामिल थे।

    बैठक में विशेषज्ञों ने स्नातक पाठ्यक्रम को अधिक अर्थपूर्ण और प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। डॉ. इंद्रजीत कुमार ने पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए विश्वविद्यालय के वर्तमान व प्रस्तावित पाठ्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसमें विभावि के 17 शिक्षक और प्राचार्य भी शामिल हुए।